मां कालरात्रि हैं नवरात्रि की सातवीं शक्ति, जानिए कैसे होती है मां की पूजा, पढ़ें मंत्र और स्तोत्र

नवरात्रि का महापर्व नौ दिनों का उत्सव होता है जिसमें अलग-अलग दिन माता के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा करते हैं। पूरे वर्ष में यह नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते है। नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि स्वरुप की पूजा की होती है। कालरात्रि माता के नाम का अर्थ होता है काल यानि मृत्यु तथा रात्रि अर्थात रात दुर्गा मां का सातवां स्वरुप अंधेरे को खत्म करने वाला होता है। ये माता गधे की सवारी करती हैं। उनके नाम मात्र से ही भूत-प्रेत, राक्षस, दानव और सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं। कालरात्रि माता को काली के नाम से भी जाना जाता है। माता को रात रानी और गेदें का फूल अतिप्रिय हैं।

कैसे बनी माँ कालरात्रिः- पूर्ण कथा

माता के इस स्वरुप की कथा अत्यधिक प्रचलित है एक पौराणिक कथा के अनुसार रक्त बीज नाम का एक राक्षस था। जिसके अत्याचारों से देवी-देवताओं के साथ-साथ मनुष्य भी परेशान हो गये थें। रक्तबीज राक्षस की एक महत्वपूर्ण बात यह थी कि उसके शरीर का एक बूंद भी पृथ्वी पर गिरता तो उसके जैसा एक और राक्षस उत्पन्न हो जाता था जिसके कारण उसका वध करना मुश्किल हो गया। तब सभी देवता भगवान शिव के पास गये और अपनी समस्या का हल निकालने के लिए कहा शिव जी को यह बात ज्ञात था कि रक्तबीज दानव का अंत केवल माता पार्वती कर सकती हैं तो भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया।

रक्तबीज और कालरात्रि माता का युद्ध

☸ भगवान शिव के अनुरोध करने के बाद देवी पार्वती ने स्वयं की शक्ति व तेज से माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया। उसके बाद माता ने अपने कालरात्रि रुप में रक्तबीज का अंत किया और अंत के दौरान माता ने रक्तबीज के शरीर से निकलने वाले रक्त का एक बूंद भी धरती पर गिरने नही दिया और रक्त को अपने मुख मे लें लिया। माता का यही स्वरुप कालरात्रि कहलाया।

☸ हिन्दू धर्म के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने शुंभ और निशुंभ को मारने के लिए कालरात्रि का स्वर्ण अवतार लिया था उसी दिन से माता का नाम कालरात्रि पड़ा।

अभी जॉइन करें हमारा WhatsApp चैनल और पाएं समाधान, बिल्कुल मुफ्त!

Join WhatsApp Channel

हमारे ऐप को डाउनलोड करें और तुरंत पाएं समाधान!

Download the KUNDALI EXPERT App

हमारी वेबसाइट पर विजिट करें और अधिक जानकारी पाएं

Visit Website

संपर्क करें: 9818318303


कालरात्रि माँ की पूजा विधि

☸ आज के दिन प्रातः काल उठें और स्नान आदि करके स्वयं को शुद्ध करें।
☸ इसके पश्चात सबसे पहले कलश के पास मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
☸ अब मां के मंत्रों या सप्तशती का पाठ करें।
☸ उसके बाद पूजा में चमेली, गुलदाउदी और गुड़हल के फूल मां को अवश्य अर्पित करें।
☸ माता को भोग में मिठाई, फल, गुड़ इत्यादि का भोग लगायें तथा जल भी अर्पित करें।
☸ नवरात्रि के सातवें दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का भी उपासना करना चाहिए।
☸ अब अंत में माता की आरती करें और पूजा में मौजूद सभी लोगों मे प्रसाद वितरण करें।

मां के पूजा में करें निम्न मंत्रों का जाप

कई मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि माता को पिंगला नाड़ी का स्वामित्व प्राप्त है तथा माता अपने श्रद्धालुओं को सिद्धि स्वरुप आशीर्वाद देने की क्षमता भी रखती हैं इसके अलावा माता अपने भक्तों की सभी समस्याएं दूर करती हैं जो भी जातक नियमित रुप और श्रद्धा भाव से मां कालरात्रि की पूजा करते है तथा उनके मंत्रों का जाप करते हैं तथा उनके जीवन की सभी परेशानियाँ खत्म हो जाती हैं।

मंत्र

ओम देवी कालरात्र्यै नमः ।।

प्रार्थना मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रुपेण
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 

368 Views
× How can I help you?