मीन संक्रांति 2025: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
मीन संक्रांति 2025, जिसे मीना संक्रामण भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है। यह सूर्य देव के मीन राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है और हिंदू सौर वर्ष की अंतिम संक्रांति होती है। वर्ष 2025 में मीन संक्रांति 14 मार्च को मनाई जाएगी। यह संक्रांति धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और भगवान विष्णु एवं सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है।
मीन संक्रांति का महत्व
मीन संक्रांति को हिंदू धर्म में अत्यधिक आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व दिया गया है। यह संक्रांति हिंदू नववर्ष से पहले की अंतिम संक्रांति होती है, जो एक चक्र के पूर्ण होने और नए आरंभ का संकेत देती है।
- इस दिन दान-पुण्य करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
- कृषक वर्ग इस दिन को धन्यवाद और आगामी कृषि चक्र के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के रूप में मनाते हैं।
मीन संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा
मत्स्य अवतार की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाप्रलय के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया और राजा मनु को जलप्रलय से बचाया। उन्होंने राजा मनु को एक नौका बनाने का आदेश दिया और सभी वनस्पतियों के बीज, सप्तऋषि और पवित्र ज्ञान को सुरक्षित रखने को कहा। जब प्रलय आया, तो भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में नौका को मार्ग दिखाया और सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। यह कथा मीन संक्रांति के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है, जो परिवर्तन, रक्षा और नवचक्र की शुरुआत का प्रतीक है।
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मीन संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व
मीन संक्रांति का ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान है, क्योंकि यह सूर्य के मीन राशि में प्रवेश का संकेत देती है। मीन राशि ध्यान, योग और आत्मिक ज्ञान की राशि है, जिससे इस समय आध्यात्मिक जागरूकता में वृद्धि होती है।
- यह समय आध्यात्मिक साधना, भावनात्मक उपचार और नकारात्मकता से मुक्ति पाने के लिए शुभ होता है।
- जल तत्व राशियों (कर्क, वृश्चिक, मीन) के लिए यह भावनात्मक उथल-पुथल ला सकता है।
- अग्नि तत्व राशियों (मेष, सिंह, धनु) के लिए यह समय धैर्य और संतुलन बनाए रखने का होता है।
- यह आत्म-सुधार और नए आरंभ के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
मीन संक्रांति पूजा विधि
मीन संक्रांति पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के दौरान सूर्य देव को प्रणाम करें और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
- भगवान विष्णु की आराधना तुलसी पत्र, फूल और नैवेद्य के साथ करें।
- घर और मंदिरों में दीप जलाएं और पूजा करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
- वैदिक मंत्रों का जाप करें और भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
मीन संक्रांति 2025 पुण्य काल मुहूर्त
- मीन संक्रांति तिथि: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
- पुण्य काल: दोपहर 12:30 बजे से शाम 06:29 बजे तक (अवधि: 5 घंटे 58 मिनट)
- महा पुण्य काल: शाम 04:29 बजे से शाम 06:29 बजे तक (अवधि: 1 घंटा 59 मिनट)
निष्कर्ष
मीन संक्रांति न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह एक नए आध्यात्मिक चक्र की शुरुआत और आत्म-सुधार का समय होता है। इस दिन की गई पूजा, दान और साधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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