आज हम अपने लेख के माध्यम से जानेंगे कि मूलांक व भाग्यांक कैसे निकालें तथा कुण्डली और हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है यदि आप लम्बे समय से मूलांक और भाग्यांक निकालने का प्रयत्न कर रहें है परन्तु आपको बार-बार परेशानी आ रही हैं तो यह लेख आपके लिए सहायक होगा।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र द्वारा मानव जीवन की कई घटनाओं का पता लगाया जाता है अर्थात इस विद्या के आधार से जातक अपना आने वाला कल अपना व्यक्तित्व और अपने जीवन से जुड़ी कई बातों को जान सकता है। ज्योतिष में कुण्डली हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, फेस रिडिंग आदि कई विद्याओं के आधार पर मानव जीवन का विश्लेषण करके उनका भविष्य बताया जाता है। ऐसे में आज हम अंक ज्योतिष के माध्यम से जानेंगे कि मूलांक और भाग्यांक क्या है ?
इकाई पद्धति में मूलांक दिनांक पर आधारित होता हैं और भाग्यांक सम्पूर्ण जन्म तिथि पर आधारित होता है।
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मूलांक या जन्मांक क्या है ?
मूलांक को ही जन्मांक के नाम से जाना जाता है। जन्मांक का प्रभाव जातक के सोच और व्यक्तित्व पर पड़ता है मूलांक संख्या 1 से 9 तक की होती है। मूलांक जन्म तारीख से प्राप्त होता है।
मूलांक की गणना कैसे करें ?
मान लीजिए किसी जातक का जन्म 18 अगस्त 1998 (18.08.1998) है तो उसका मूलांक उसके जन्म दिनांक के दोनों अंको का योग होता है।
उदाहरण:- 1 + 8=9 अर्थात जातक का मूलांक 9 होगा।
अंक ज्योतिष में भाग्यांक क्या है ?
भाग्यांक जातक के जीवन को सही दिशा में ले जाने वाला मार्ग होता है इसलिए इसे जीवन पथ संख्या भी कहते हैं। भाग्य अंक जन्म तिथि (Birth Details) का योग होता है अर्थात दिन महीना एवं वर्ष का योग भाग्यांक कहलाता है। भाग्यांक के द्वारा जीवन की कुछ घटनाओं का एक विस्तृत रुपरेखा का अनुमान लगाया जा सकता है। भाग्यांक संख्या 1 से 9 और 11, 22 और 33 है। 11, 22 और 33 को अति विशेष अंक या मास्टर बिल्डर अंक कहा जाता है।
भाग्यांक की गणना ?
अब उसी जातक का भाग्यांक निकलने के लिए हम जन्म की तिथि, मास वर्ष और शताब्दी का योग करेंगे जो इस प्रकार होगा –
1+8+8+1+9+9+8= 44 =4+4= 8
इस प्रकार जातक का मूलांक 9 तथा भाग्यांक 8 होगा।
उदाहरणः- मान लीजिए कि दिनांक 14 हैं तो इसमें 1 अंक का स्वामी सूर्य है और 4 अंक का स्वामी राहु है। अब दोनों का योग करेंगे (1+4 = 5) तो यह 5 अंक का स्वामी बुध हो गया।
कुछ अन्य मत ?
कुछ ज्योतिषी का यह मत होता है कि इकाई पद्धति का सिद्धान्त सही नही हैं वह दिनांक की बजाय 1 से 31 दिनांक तक अलग-अलग व्याख्या करते है उनके अनुसार मूलांक की गणना करने पर दिनांक का स्वरुप बिगड़ जाता है।
मूलांक सारणी
दिनांक मूलांक स्वामी
1, 10, 19, 28 1 सूर्य (Sun)
2, 11, 20, 29 2 चन्द्र (Moon)
3, 12, 21, 30 3 गुरु (Jupiter)
4, 13, 22, 31 4 राहु (Rahu)
5, 14, 23 5 बुध (Mercury)
6, 15, 24 6 शुक्र(Venus)
7, 16, 25 7 केतु (Ketu)
8, 17, 26 8 शनि (Saturn)
9, 18, 27 9 मंगल (Mars)
मूलांक एवं भाग्यांक फल की संख्या ?
हम सभी सौर मंडल में उपस्थित नौ (9) ग्रहों के बारे में भली-भाँति जानते हैं और इन ग्रहों के लिए 1 से 9 तक के अंक निर्धारित किये गए हैं और जो अंक 9 के बाद आते हैं वह इन्हीं अंको का पुनरावृत्ति है।
ठीक इसी प्रकार जब मूल संख्या को मूलांक में परिवर्तित किया जाता है तो वह संख्या 1 से 9 तक के बीच की होती है और इसी को संख्या की आत्मा कहते है।