मेडिकल एस्ट्रोलाॅजी से जाने मनोरोग

चिकित्सा ज्योतिष द्वारा मनोरोग विचार, योग 
हम सभी अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों जैसे, क्रोध, वैमनस्थ उत्तेजना, खिन्नता तथा अवसाद आदि का अनुभव करते हैं। परिस्थितियों एवं वातावरण में बदलाव के कारण मानव स्वभाव में इनकी प्रतिक्रिया सामान्य मानी जाती है परन्तु जब ये प्रतिक्रियाएं सामान्य मानव के स्वभाव से अत्यधिक बढ़ जाएं तो इसे ‘मनोरोग’ या ‘मानसिक रोग’ के नाम से जाना जाता है। मनोरोग शब्द एक शिथिल एवं उथला शब्द है जो हमारे जीवन के कुछ विभिन्नताओं को सूचित करता है।

मनोरोग के कुछ ज्योतिषिय योग जो आपके लिए है अत्यन्त आवश्यक

ज्योतिष शास्त्र में मानसिक विकार, पागलपन उन्माद इत्यादि के कई मुख्य योगों का उल्लेख मिलता हैं। ये योग प्रायः कारण का उल्लेख न कर कुछ पूर्व विधि से ग्रह योगों उत्पन्न परिणाम पर विशेष बल देते हैं।

मनोरोगों से सम्बन्धित कुछ प्रमुख योग इस प्रकार है

गुरू लग्न भाव में हो तथा मंगल सप्तम भाव में हो अथवा मंगल लग्न भाव एवं गुरु सप्तम भाव में हो तो-
गुरु को शुभ ग्रह एवं आदर्शवाद का ग्रह माना जाता है तथा मंगल उग्र एवं आक्रमकता का प्रतीक है। यदि इनका सामान्य से कहीं ज्यादा प्रभाव हो तो जातक का वैवाहिक जीवन असंतोषजनक होता है क्योंकि सप्तम भाव वैवाहिक जीवन का सूचक है।
यदि मंगल के स्थान पर शनि ग्रह हो तब भी समान परिणाम देखने को मिलता है पाप ग्रहों की अशुभता के कारण जातक अत्यधिक चिंतित हो जाता है और कई बार पाप ग्रहों की प्रकृति बदलने के कारण यह चिंता तथा आक्रामकता अपमाद का रूप ले लेती है।
जब किसी जातक का जन्म मंगल अथवा शनि की होरा में हो तथा सूर्य-चन्द्रमा की युति प्रथम, पंचम या नौवें भाव भाव में हो तथा गुरू केन्द्र में हो तो मानसिक परेशानी बनती है। 

जब कभी शनि बारहवें भाव में कमजोर चन्द्रमा के साथ विराजमान हो तो मानसिक अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।
विशेषः- शनि के साथ चन्द्रमा का सम्बन्ध जातक के नकारात्मक सोच को बढ़ाता है। ज्योतिष शास्त्र में द्वादश भाव को अशुभ भाव की संज्ञा दी जाती है।
जब त्रिकोण भाव में पापग्रह दृष्ट हो तथा लग्न भाव में राहु एवं चन्द्रमा की युति हो तो मानसिक विकार की स्थिति उत्पन्न होती है। यह योग पिशाच ग्रस्त योग  के नाम से जाना जाता है।
जब शनि एवं द्वितीय भाव के स्वामी की युति सूर्य अथवा मंगल ग्रह के साथ हो तो अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

 

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