माणिकः– सिंह लग्न की कुण्डली मे सूर्य लग्नेश होता है। इस लग्न के लिए माणिक शुभ होता है। इसको धारण करने से जातक अपने शत्रुओं का सामना करने मे सक्षम होते है। तथा शारीरिक एवं मानसिक रुप से स्वस्थ्य रहेंगे। आपके आयु मे वृद्धि होगी।
मोतीः– सिंह लग्न मे चन्द्रमा बारहवें भाव का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के जातकों को मोती नही धारण करना चाहिए। लेकिन चन्द्रमा यदि द्वादश का स्वामी होकर द्वादश भाव मे ही विराजमान हो तो चन्द्रमा की महादशा मे मोती धारण कर सकते है अन्यथा नही।
मूंगाः– सिंह लग्न में मंगल चतुर्थ एवं नवम भावों का मालिक होने के साथ-साथ कारक भी है। इसलिए मूंगा धारण करने से आपको मानसिक शांति, भूमि लाभ, धन लाभ, माता का सुख, गृह सुख की प्राप्ति होगी तथा आपका मान सम्मान भी बढ़ेगा और आपके भाग्य की उन्नति होगी।
पन्नाः– सिंह लग्न के लिए बुध द्वितीय एवं एकादश भाव का स्वामी होती है। पन्ना धारण करने से संतान सुख, पारिवारिक सुख, अतुल धन लाभ की प्राप्ति होगी। पन्ना को बुध की महादशा मे धारण करना चाहिए। समाज मे आपका मान-सम्मान बढ़ेगा।
पुखराजः– सिंह लग्न के कुण्डली मे बृहस्पति पंचम त्रिकोण एवं अष्टम भाव का मालिक होता है। सिंह लग्न के लिए बृहस्पति अच्छा माना जाता है। पुखराज धारण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यदि पीला पुखराज धारण करें तो अत्यन्त शुभ फलो की प्राप्ति होगी इसके अलावा पुखराज के साथ माणिक भी धारण करने से आपको लाभ प्राप्त होगा।
हीराः– हीरा शुक्र का रत्न माना जाता है। सिंह लग्न के जातकों की कुण्डली मे शुक्र तीसरे एवं ग्यारहवें भाव का मालिक होता है। यह ग्रह शुभ नही माना जाता है। यदि एकादश भाव मे उपस्थित हो तो शुक्र महादशा मे हीरा धारण कर सकते है इससे आपको धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होगी और आपका मान सम्मान बढ़ेगा।
नीलमः– सिंहलग्न मे शनि छठवें एवं सातवे भाव का मालिक होकर अति मारक भी होता है। साथ ही लग्नेश सूर्य का शत्रु भी है। इसलिए सिंहलग्न के लोगो को नीलम नही धारण करना चाहिए।
नोटः- यह रत्नों को पहनने का एक सामान्य परिचय दिया गया है इसलिए कोई भी रत्न कुण्डली के विश्लेषण के पश्चात ही पहने ।