राम नवमी हिन्दूओं का एक प्रमुख त्यौहार है। राम जी के भक्तों के लिए इस त्यौहार का अत्यधिक महत्व होता है, पौराणिक ग्रंथो मे बताया गया कि भगवान राम भगवान विष्णु जी के अवतार थे और उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ जी के वहाँ चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसलिए इस दिन को पूरे उत्साह के साथ श्री राम के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है, राम नवमी चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन पड़ता है। जिसके कारण इसका महत्व और अत्यधिक बढ़ जाता है।
राम नवमी जन्म कथा
हिन्दूओं का पवित्र ग्रंथ रामायण और रामचरित मानस है, राम जी को ईश्वर मानते हुए तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना की है जबकि आदिकवि वाल्मीकि ने अपने रामायण में राम जी को एक मनुष्य की ही संज्ञा दी है। तुलसी जी द्वारा रचित रामचरितमानस में राम के राज्याभिषेक के बाद कथा को समाप्त कर दिया गया वहीं वाल्मीकि जी द्वारा लिखित रामायण में कथा को राम महाप्रणाय तक बताया गया है। रामचरित मानस और रामायण में बताया गया है कि अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थी। कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा किन्तु राजा को किसी से कोई संतान नही था इसलिए राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ आरम्भ करने का निश्चय किया, उनके अनुसार श्यामकर्ण नामक घोड़ा चतुरंगिनी सेना के साथ छुड़ा दिया गया। राजा दशरथ ने ऋषि मुनियों, तपस्वी, मनस्वी तथा वेदविज्ञ प्रकण्ड पण्डितो को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिए बुलावा भेजा, सभी लोग के उपस्थित हो जाने के बाद महाराज दशरथ अपने कुल गुरु वशिष्ठ और परम मित्र अंग देश के अधिपति लोभवाद के जमाता ऋंग ऋषि को लेकर यज्ञ मण्डप में पहुंचे और महान यज्ञ का विधिवत शुभारम्भ किया गया। समस्त पण्ड़ितो, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गौ आदि का भेंट देने के साथ यज्ञ पूर्ण हुआ, राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद को जो खीर के रुप में था उसको अपने महल में ले जाकर अपनी तीनों रानियों मे वितरित कर दियें, प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात तीनों रानियो ने गर्भधारण किया, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में जब सूर्य, मंगल, शनि, बृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च राशि में उपस्थित थे और कर्क लग्न का उदय हो रहा था तब महाराज दशरथ के पहली पत्नी रानी कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जिनका वर्ण नील, अत्यन्त क्रान्तिवान, चुम्बक के समान आकर्षण वाले और अत्यधिक सुंदर था, इसके बाद शुभ नक्षत्र और शुभ घड़ी में महाराज की दूसरी पत्नी कैकेयी से एक पुत्र तथा तीसरी रानी सुमित्रा से दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ।
महाराज के चार पुत्रों के जन्म के खुशी में सम्पूर्ण राज्य में नृत्य और गायन होने लगा, गन्धर्व गान करने लगे और अप्सराएं नृत्य करने लगी, राजा दशरथ प्रसन्न होकर प्रजा में धन-धान्य तथा दरबारियों को रत्न व आभूषण प्रदान किए गए। नामकरण संस्कार में दशरथ जी के चारों पुत्रों का नामकरण वशिष्ठ जी के द्वारा किया गया है। जो कि क्रमशः रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखा गया, आयु-वृद्धि के साथ ही साथ राम गुणों में भी अपने भाइयों से आगे बढ़ने तथा प्रजा में लोकप्रिय होने लगे, राम जी के अन्दर विलक्षण प्रतिभा थी जिसके प्रभाव से वह अल्प-काल में ही सभी विषयों मे पारंगत हो गए। राम जी सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने तथा हाथी, घोड़े एवं सभी प्रकार के वाहनों की सवारी करने में निपुण थे, भगवान राम माता-पिता एवं गुरुजनों की सेवा करते थे तथा उनके सभी आशा का पालन करते थें।
राम जी का अनुसरण उनके तीनो भाई करते थे वे सभी भी सभी कलाओं से निहित थें और चारों भाइयो के बीच परस्पर प्रेम और सौहार्द भी था।
आगे चलकर राम जी ने राक्षसों का वध करके ऋषि-मुनियों के यज्ञ की रक्षा की और सीता के स्वयंवर में धनुष तोड़ने के पश्चात उनसे विवाह किया, पिता के दिए गए वचनों का पालन करते हुए वह भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता सहित वन गए, वहाँ पर उनकी पत्नी सीता का रावण द्वारा हरन हुआ, भ्राता लक्ष्मण वानर सेना भक्त हनुमान, मित्र सुग्रीव और विभिषण के सहयोग द्वारा राम जी ने राक्षस कुल का नाश किया और अन्त में रावण वध करने के बाद राम जी ने बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की।
राम नवमी का महत्व
राम का अर्थ है स्वयं का प्रकाश ‘रवि’ शब्द ‘राम’ शब्द का पर्याय है। रवि शब्द मे ‘आर’ का अर्थ है प्रकाश और ‘वी’ का अर्थ है अर्थ है विशेष हमारे अन्दर अनन्त प्रकाश, इस प्रकार राम नवमी आत्मा का प्रकाश है।
मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि को हुआ था और ये जुगों से मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रतीक के रुप में जाने जाते है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान विष्णु त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करके धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए पृथ्वी पर श्री राम के रुप में अवतरित हुए थें। भगवान राम की प्रकाश है, लक्ष्मण (भगवान राम के छोटे भाई) जिसका अर्थ है सतर्कता, शत्रुघ्न जिसका अर्थ है। जिसका कोई दुश्मन और विरोधी नही हो, भरत का अर्थ है योग्य भगवान राम का जन्म जहाँ हुआ था। उसका नाम था अयोध्या और अयोध्या का अर्थ होता है। जिसको नष्ट नही किया जा सकता है।
राम नवमी पूजा विधि
☸ राम नवमी के दिन प्रातः काल स्वच्छ किया निवृत्त होकर पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ तत्पश्चात घर के मन्दिर में दीप प्रज्ज्वलित करें।
☸ घर के मन्दिर में देवी-देवताओं को स्नान कराने के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र धारण कराएं।
☸ भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें साथ ही साथ भगवान राम को फल भी चढ़ाएं।
☸ इस दिन व्रत रखने का भी विधि-विधान है अगर आप व्रत रख सकते है तो इस दिन व्रत भी रखें।
☸ अपने सामर्थ्य के अनुसार भगवान श्री राम को भोग भी लगाएं।
☸ रामचरितमानस/रामायण, राम स्तुति और रामरक्षा स्त्रोत का पाठ भी करें।
☸ अन्त में भगवान श्री राम की आरती करें।
रामनवमी 2023 शुभ तिथि एवं मुहूर्त
2023 को रामनवमी का त्यौहार 30 मार्च 2023 को मनाया जायेगा।
हिन्दूशास्त्र के अनुसार नवमी तिथि का आरम्भ 29 मार्च 2023 को रात्रि 21ः07 से होगा तथा नवमी तिथि की समाप्ति 30 मार्च 2023 को रात्रि 23ः30 पर होगी।