वर्ष 2023 में कब मनाई जायेगी चित्रगुप्त पूजा जाने इस लेख के माध्यम से तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

चित्रगुप्त पूजा दीवाली के बाद मनाई जाती है। ये पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को पड़ती है। इस दिन भाई दूज का त्योहार भी मनाया जाता है जिसको यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कायस्थ समाज के लोग कलम, कापी को नही स्पर्श करते हैं। भगवान चित्रगुप्त को यमराज को सहायक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त ही मनुष्यों द्वारा किये गये अच्छे और बुरे कार्यों के अभिलेखों के संरक्षक हैं। जब मनुष्य मृत्यु के बाद यमलोक पहुँचता है तो उसके अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क जाने का निर्णय लिया जाता है। इस दिन कायस्थ परिवार में भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ बहीखातों और कलम की पूजा भी की जाती है।

आइये जानते है इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा कब मनाई जायेगी

हिन्दु पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 चित्रगुप्त पूजा 14 नवम्बर दिन मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से ज्ञान साक्षरता और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चित्रगुप्त पूजा 2023 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरम्भ 14 नवम्बर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगी और 15 नवम्बर 2023 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर यह तिथि खत्म होगी। राहुकाल को छोड़कर इस दिन किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायी रहेगा।

सुबह का मुहूर्तः- सुबह 10:48 से दोपहर 12:13 तक।
अभिजीत मुहूर्तः- सुबह 11:50 से दोपहर 12:36 तक।
अमृत काल मुहूर्तः- शाम 05:00 से शाम 06:36 तक।
राहु काल समयः- दोपहर 03:03 से शाम 04:28 तक।

चित्रगुप्त पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के काया से हुआ था। कायस्थ समाज इन्हें अपना आराध्य मानता है क्योंकि उनका मानना है कि इस दिन चित्रगुप्त पूजा करने से ज्ञान, साक्षरता में वृद्धि होती है तथा कायस्थ वर्ग के लोग इस दिन शिक्षा और साक्षरता के मूल्य पर जोर देने के लिए किताब, कलम और स्याही के बर्तन की पूजा भी करते हैं। इस दिन कारोबार से जुड़े लोग अपने कार्य-व्यवसाय का लेखा-जोखा भगवान चित्रगुप्त के समक्ष रखते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से कार्य-व्यवसाय में बरकत बनी रहती है।

इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा

चित्रगुप्त पूजा के दिन प्रातः स्वच्छ क्रिया से निवृत्त होकर स्नान आदि करने के पश्चात घर में एक चौकी रखकर उसके ऊपर स्वच्छ कपड़ा बिछा दें तथा उसके ऊपर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा/तस्वीर स्थापित करें।

इसके बाद उन्हें कुमकुम से तिलक लगायें और फूलों का माला पहनायें, उनके समक्ष घी का दीपक जलायें तथा उन्हें चन्दन, रोली, हल्दी, पान, सुपारी अर्पित करें।

तत्पश्चात फल और मिठाई का भोग भी लगायें।

इस दिन पुस्तक और कलम का पूजा करने के लिए एक कागज पर पंचदेवता का नाम लिखे और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें।

मषीभाजन संयुक्तश्चरसित्वं ! महीतले।
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते।।
चित्रगुप्त ! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकम्।
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोस्तुते।।

मंत्रोच्चारण करने के बाद एक सफेद कागज पर स्वास्तिक बनायें और उस पर अपने आय-व्यय का विवरण देकर उसे भगवान चित्रगुप्त जी को अर्पित करें।

अन्त में आरती करके पूजा सम्पन्न करें।

भगवान चित्रगुप्त जी की आरती

ओम जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामी जय चित्रगुप्त हरे।
भक्तजनों के इच्छित,
फल को पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी।
सृष्टि सम्हारन, जन दुःख हारन,
प्रकटभये स्वामी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
नृप सुदास अ: भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
दारा, सुत, भगिनी,
सब अपने स्वास्थ्य के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चैरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते।
नानक शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥

 

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