विवाह में देरी के 5 ज्योतिष कारण और उपाय

विवाह में देरी के 5 ज्योतिष कारण और उपाय

विवाह में देरी एक सामान्य चिंता है जो कई लोगों को होती है। ज्योतिष शास्त्र में विवाह में देरी के विभिन्न कारणों का विश्लेषण किया गया है। यहां पर कुछ प्रमुख ज्योतिष कारण और उनके समाधान बताए जा रहे हैं:

Highlight

विवाह में देरी के ज्योतिष कारण  (Astrological reasons for delay in marriage)

1. ग्रह दोष  

कुंडली में ग्रह दोष विवाह में देरी का एक प्रमुख कारण हो सकता है। विशेष रूप से, शनि और मंगल ग्रह के दोष विवाह में बाधा डाल सकते हैं। शनि के दोष से जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, जबकि मंगल दोष विवाह की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।

2.नक्षत्र दोष 

कुछ नक्षत्रों के संयोग से भी विवाह में देरी हो सकती है। यदि विवाह के लिए उपयुक्त नक्षत्र नहीं मिलते या नक्षत्रों में कोई दोष होता है, तो यह विवाह में देरी का कारण बन सकता है।

3.अशुभ ग्रहों का योग 

अशुभ ग्रहों की स्थिति जैसे कि मंगल और शनि का प्रभाव विवाह के समय को अनुकूल नहीं बना सकता है। इन ग्रहों की खराब स्थिति विवाह में देरी कर सकती है।

4.शनि गोचर 

शनि ग्रह को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है। यदि शनि सप्तम भाव या शुक्र पर गोचर कर रहा है, तो यह विवाह में देरी का संकेत दे सकता है।

5.मंगल दोष 

वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष एक महत्वपूर्ण कारण है जो विवाह में देरी का कारण बन सकता है। जब मंगल किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तो इसे मांगलिक दोष माना जाता है, जो विवाह में रुकावट पैदा कर सकता है।

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विवाह के लिए योग्य आयु

ज्योतिष के अनुसार, सामान्यतः पुरुषों की विवाह आयु 28 से 30 वर्ष और महिलाओं की विवाह आयु 25 से 27 वर्ष मानी जाती है। इस अवधि के आसपास विवाह का योग बनता है और जीवनसाथी खोजने के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है। हालांकि, यह आयु कुंडली में ग्रहों की स्थिति और अन्य भावों के प्रभाव पर निर्भर करती है।

विवाह से पहले कुंडली में महत्वपूर्ण ग्रह संयोजन (Important planetary combinations in horoscope before marriage)

विवाह से पहले कुंडली का विश्लेषण करके ग्रहों के संयोजन का पता लगाना महत्वपूर्ण होता है। कुछ प्रमुख संयोजन हैं:

गुण मिलान 

वर और वधू की कुंडली में 36 गुणों की जांच की जाती है। यह शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक गुणों का विश्लेषण करता है।

ग्रह मेल 

नवग्रहों के मेल के आधार पर विवाह का निर्णय लिया जाता है। ग्रहों की स्थिति और उनके गुणों का विश्लेषण किया जाता है।

नाड़ी दोष 

यदि दोनों कुंडलियों में एक ही प्रकार की नाड़ी होती है, तो नाड़ी दोष उत्पन्न होता है, जो स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

शुक्र और मंगल 

शुक्र और मंगल के स्थान और पहलू प्रेम और आकर्षण के स्तर को दर्शाते हैं।

सप्तम भाव 

सप्तम भाव विवाह और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है और इसकी स्थिति विवाह के लिए अनुकूल समय का संकेत देती है।

विवाह संबंधी ज्योतिष उपाय (marriage related astrology solutions)

विवाह में देरी से निपटने के लिए कुछ ज्योतिष उपाय किए जा सकते हैं:

शनि दोष 

शनि देव की पूजा करें और शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करें।

मंगल दोष 

मंगल की पूजा करें और मंगल दोष निवारण मंत्र का जाप करें।

सूर्य दोष 

सूर्य देव की पूजा करें और सूर्य दोष निवारण मंत्र का जाप करें।

शुक्र दोष 

शुक्र देव की पूजा करें और शुक्र दोष निवारण मंत्र का जाप करें।

बृहस्पति दोष 

बृहस्पति देव की पूजा करें और बृहस्पति दोष निवारण मंत्र का जाप करें।

रुद्राक्ष धारण  

ग्रहों के दोष को दूर करने के लिए रुद्राक्ष धारण करें या धारण करने से पहले उसकी पूजा करें।

विवाह के लिए इन उपायों का पालन करने से पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना उपयुक्त रहेगा, ताकि सही और प्रभावी समाधान मिल सके।

यदि आप अपने राशिफल की विस्तृत जानकारी या विवाह के बारे में जानना चाहते हैं, तो कुंडली विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा से परामर्श कर सकते हैं। उन्हें दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों में से एक माना जाता है और उनकी कुंडली विशेषज्ञता के लिए वे प्रसिद्ध हैं।

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