विश्वकर्मा पूजा

पुरानी मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म इसी दिन हुआ था, यही कारण है इसको विश्वकर्मा जयंती कहा जाता है, सनातन धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है और विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और यह प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रान्ति के दिन मनाया जाता है, विश्वकर्मा जयंती के दिन औजारों, निर्माण के कार्य से जुड़ी हुई मशीनों, दुकानों, कारखानों की पूजा की जाती है और कहा यह भी जाता है कि संसार के पहले इंजीनियर और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा जी ही थे।

क्यों मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजाः-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग के राजा इंद्र का अस्त्र वज्र का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था और साथ मे जगत के निर्माण के लिए भी विश्वकर्मा ने ब्रह्मा जी का साथ दिया था और संसार की रुपरेखा तैयार किया था, इस संसार को बनाने में ब्रह्मा जी और विश्वकर्मा जी दोनो का बराबर का योगदान है, ओड़िशा में स्थित भगवान जगन्नाथ समेत बालभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण एवं सोने की लंका का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था और जब हनुमान जी ने सोने की लंका जला दी तब रावण ने रावण ने दोबारा विश्वकर्मा जी को बुलाकर लंका का पुनःनिर्माण कराया और बाल गोपाल श्री कृष्ण के आदेश पर उन्होने (विश्वकर्मा) द्वारका नगरी का निर्माण भी किया था, इस प्रकार हम कह सकते है कि कारोबार, व्यवसाय के उन्नति के लिए विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों मे की जाती है, जो लोग कारखाने, उद्योग या फिर मशीनों से सम्बन्धित कार्य करते है उनकी मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा करने से मशीने जल्दी खराब नही होती है और अच्छे से कार्य करती है, और साथ में मशीन काम मे धोखा भी नही देती।

विश्वकर्मा जी से जुड़ी जानकारियाँः-

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा जी को निर्माण एवं सृजन का देवता माना गया है और कई जगह यह स्पष्ट है कि सोने की लंका का निर्माण इन्होनें ही किया था, विश्वकर्मा जी की तीन पुत्रिया थी जिनका नाम ऋद्धि, सिद्धि एवं संज्ञा था, ऋद्धि -सिद्धि का विवाह भगवान गणेश तथा संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र भगवान सूर्यनारायण से हुआ था।

वेदों मे उल्लेखः-

ऋग्वेद में विश्वकर्मा सुक्त के 11 ऋचाए उपलब्ध है और ऋग्वेद मे विश्वकर्मा जी का एक बाद इन्द्र व सूर्य का विशेषण बनाकर भी प्रयुक्त किया गया है, महाभारत के खिल भाग सहित सभी पुराणकार प्रभात पुत्र विश्वकर्मा जी कों आदि विश्वकर्मा मानते है, कई जगह यह उल्लेख भी है कि महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मदित्या की विदुषी थी उनका विवाह अष्टम वसु ऋषि प्रभास की पत्नी से हुआ और उनके मिलन से सम्पूर्ण शिल्प विद्या-ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ, पुराणों मे कही योगसिद्ध, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति के बहन का बताया गया है, शिल्प शास्त्र का कर्ता विश्वकर्मा देवताओं के आचार्य है और सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह महर्षि अंगिरा क ज्येष्ठ पुत्र के भानजे है, अंगिरा कुल से विश्वकर्मा जी का सम्बन्ध सभी विद्वान् स्वीकार करते है। इस प्रकार भारत में विश्वकर्मा जी को शिल्प शास्त्र का अविष्कारक माना जाता है और कारीगर उनकी पूजा करते है प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार से यह पता है कि जहाँ ब्रहा, विष्णु और महेश की वन्दना अर्चना हुई है वही भगवान विश्वकर्मा को भी स्मरण परिष्टवन किया गया है। अतः जिसकी सम्यक सृष्टि और कर्म व्यापार है वही विश्वकर्मा है।
भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा एवं महोत्सव वर्ष मे कई बार मनाया जाता है। जैसे भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा के दिन विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना की जाती है परन्तु ये पूर्वी बंगला और शिलांग मे ही मुख्य तौर पर मनाया जाता है, गोवर्धन पूजा के दिन भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है, 05 मई को ऋषि अंगिरा जयन्ती पर भी विश्वकर्मा पूजा का महोत्सव मनाया जाता है, भगवान विश्वकर्मा की जन्म तिथि माघ मास त्रयोदशी शुक्ल-पक्ष को मनाया जाता है, विश्वकर्मा पूजा जन कल्याणकारी है अतः सृष्टिकर्ता, शिल्प कलाधिपति, तकनीकी और विज्ञान के जनक भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा अर्चना अपनी व राष्ट्रीय उन्नति के लिए अवश्य करनी चाहिए।

विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाई जाती हैः-

विश्वकर्मा पूजा घर, दफ्तर और कारखानों मे की जाती है जिस लोग का इंजीनियरिंग, चित्रकारी, बेल्ड़िग मशीन या आर्किटेक्चर के काम से जुड़ाव है वो लोग विश्वकर्मा पूजा को बहुत उत्सव से मनाते है, इस दिन मशीनों दफ्तरों और काराखानों की सफाई होती है और लोगो द्वारा विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित की जाती है, घरो पर भी लोग गाड़ियां, कम्प्यूटर, लैपटाॅप व अन्य मशीनों की पूजा करते है और मन्दिर मे विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करते है।

पूजा मे हथियारों का उपयोगः-

विश्वकर्मा पूजा के दिन यदि विश्वकर्मा जी की चित्र स्थापित करके उनकी पूजा कर रहे है तो अपने हथियारों को पूजा मे रखे क्योंकि विश्वकर्मा जी हथियारों/औजारों से प्रसन्न होते है, विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी पुराने औजार को अपने घर फैक्ट्री या दुकान से बाहर न फेकें क्योंकि ऐसा करने से विश्वकर्मा देव नाराज होते है।

विश्वकर्मा पूजा विधिः-

☸पूजा स्थल या पूजा के चैकी पर भगवान विश्वकर्मा जी की मूर्ति की स्थापना करें।
☸तत्पश्चात् जिस वस्तुओं की पूजा करना है, उनपर अक्षत, हल्दी और रोली लगाए और भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षासूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें तथा धूप एवं दीपक से आरती करें।

विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करे, क्या नही:-

औद्योगिक स्थल पर पूजा आयोजनः- पूजा का आयोजन औद्योगिक स्थल जैसे कारखाने, फैक्ट्री मे ही करना चाहिए।
मशीनों से जुड़ा कार्य न करेंः- जिनके कारखाने, फैक्ट्रीयां आदि है या फिर उनका मशीन से जुड़ा कोई काम है तो उन्हें विश्वकर्मा पूजा के दिन उन्हें अपने मशीनों का प्रयोग नही करना चाहिए।
वाहन की सफाईः- विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनें वाहनो की साफ-सफाई एवं पूजा करना न भूलें।
मांस मदिरा वर्जितः- विश्वकर्मा पूजा के दिन मांस मदिरें के सेवन से दूर रहें।
दानः- व्यापार एवं सुखी जीवन के लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन निर्धन व्यक्ति और ब्राह्मण का दान अवश्य देना चाहिए।

पूजन मंत्रः-

ओम आधार शक्तपे नमः और ओम कूमधि नमः।
ओम अनन्तम नमः, ओम पृथिब्यै नमः ।।

विश्वकर्मा पूजा 2022 का शुभ मुहूर्तः-

कन्या संक्रान्ति पर भगवान विश्वकर्मा जी के पूजन का आयोजनन किया जाता है। इस तिथि पर संक्रान्ति का पुण्य काल 17 सितम्बर (शनिवार) प्रातः 07ः00 बजकर 36 मिनट से प्रारम्भ होगा।

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