सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को ही संक्रांति कहते है। जब सूर्यदेव अपनी उच्च राशि अर्थात मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि मे प्रवेश करते है तो इस स्थिति को वृषभ संक्रांति कहा जाता है। हिंदू धर्म में वृषभ संक्रांति का महत्व अत्यधिक माना जाता है। इस दिन सूर्य उदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सत्यनारायण की कृपा बनी रहती है तथा व्यक्ति को यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन सूर्यदेव की आराधना करने से सूर्य ग्रह से संबंधित दोष दूर होते है। पुरानी मान्यत के अनुसार इस दिन कुबेर देवता ने माता लक्ष्मी से धन अर्जन के लिए प्रार्थना की थी और माता जी इनसे खुश होकर इन्हें धन और सुख समृद्धि से सम्पन्न कर दिया था। इसलिए वृषभ संक्रांति के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी को पूजा अर्चना भी की जाती है।
वृषभ संक्रांति की पूजा विधिः-
☸ आज सबसे पहले उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें उसके बाद भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा-अर्चना करें।
☸ दिन भर के उपवास के बाद शाम को आरती करें उसके उपारन्त फलाहार भोजन किया जाता है। इसके अलावा इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है।
वृषभ संक्रांति तिथि एवं शुभ मुहूर्तः-
वृषभ संक्रान्ति: मई 15, सोमवार, 2023 को
वृषभ संक्रान्ति पुण्य काल: 05ः31 से 11ः58
अवधि: 06 घण्टे 27 मिनट
वृषभ संक्रान्ति महा पुण्य काल: 09ः42 से 11ः58
वृषभ संक्रांति का पर्वः-
वृषभ संक्रांति पर दूध के रुप में उपहार देने वाली गायों को शुभ माना जाता है। भक्त विशेष रूप से इस शुभ दिन विष्णु मंदिरों पर जाते हैं और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करने ज्ञान दें। पूरे देश में पवित्र स्थान वृषभ संक्रांति के लिए तैयारी की जाती है क्योंकि भक्त इस दिन संक्रमन स्नान करते हैं। पितृ तर्पण के लिए भी वृषभ संक्रांति शुभ मानी जाती है इस विशेष स्नान को संक्रमन स्नान के नाम से जाना जाता है जिसके तहत परिवार के पूर्वजों की आत्मा की शांति को लिए किया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य को भी संमानित करने के लिए स्नान दान किया जाता है। उड़ीसा में भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पुरी आतें है। पुरी के घांटों पर स्नान करते हैं और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं। ब्रुश संक्रांति स्नान पुरी में पूर्ण धार्मिक उत्साह के साथ किया जाता है और भक्त इस धार्मिक अवसर पर सूर्य भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। भक्त भगवान विष्णु से आशीर्वाद मांगने के लिए जगन्नाथ मंदिर भी जाते हैं। देश के कुछ हिस्सों में वृषभ संक्रांति को आमतौर पर वृषभ संक्रमन के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव के वाहक नंदी भी एक बैल हैं जो भगवान शिव के सबसे प्रिय भक्त है इसलिए इस दिन पर भगवान शिव की अराधना करने से शुभ फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि भगवान, ब्रह्मा दुनिया के निर्माता हैं, भगवान विष्णु पूरे ब्रह्मांड की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार है और भगवान शिव इसे नष्ट करने के लिए जिम्मेदार है। इस प्रकार ब्रह्मांड में संतुलन बनाए रखने के लिए तीनों का होना आवश्यक है। जीवन का यह चक्र इन्हीं तीनों के कराण चलता है। इसलिए वृषभ संक्रांति के भक्तों के लिए बहुत धार्मिक महत्व है और वे भगवान विष्णु से आशीर्वाद मांगकर दिन को विशेष बनाते हैं। लोग प्रार्थना करते हैं कि वो मोह- माया में फंसे बिना बेहतर जीवन जी सकें ताकि वे फिर से जन्म लेने से मुक्त हों उन्हें मुक्ति प्राप्त हो सके। वृषभ संक्राति मोक्ष भी दिलाती है।