वैकुंठ एकादशी: 10 जनवरी 2025 – मोक्ष की प्राप्ति का पवित्र दिन
वैकुंठ एकादशी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना के लिए प्रसिद्ध है और यह मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैकुंठ एकादशी हर साल मार्गशीर्ष या पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, और वर्ष 2025 में यह शुभ दिन 10 जनवरी को पड़ रहा है।
वैकुंठ एकादशी की विशेषता इस बात में है कि इस दिन भगवान विष्णु के वैकुंठ द्वार खुलते हैं और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु के परम धाम में स्थान प्राप्त होता है। इस पर्व का विशेष महत्त्व दक्षिण भारत के मंदिरों में है, खासकर तिरुपति और श्रीरंगम के मंदिरों में, जहाँ बड़ी संख्या में भक्त इस दिन भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।
वैकुंठ एकादशी का महत्व
वैकुंठ एकादशी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। हिन्दू धर्म के पुराणों में इस दिन का वर्णन मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, जो सृष्टि के पालनहार और संरक्षक माने जाते हैं। पुराणों में वर्णित है कि जो भी व्यक्ति वैकुंठ एकादशी का व्रत और पूजा करता है, उसे न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
पौराणिक कथा
वैकुंठ एकादशी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कथा के अनुसार, एक समय राजा रुक्मांगद ने अपने राज्य में सभी के लिए एकादशी का व्रत अनिवार्य कर दिया था। लेकिन उनके पुत्र ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप भगवान विष्णु ने उसे दंड दिया। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे सच्चे मन से करना चाहिए।
एक और कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने मुरासुर नामक एक असुर का वध करने के बाद अपने भक्तों को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति वैकुंठ एकादशी का व्रत करेगा, उसे उनके धाम में स्थान प्राप्त होगा।
वैकुंठ एकादशी के व्रत और पूजा विधि
वैकुंठ एकादशी का व्रत बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं व्रत और पूजा की विस्तृत विधि:
- व्रत की तैयारी:
- व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें और मानसिक रूप से व्रत की तैयारी करें।
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।
- घर को स्वच्छ करें और पूजा स्थल को सजाएँ।
- पूजा विधि:
- पूजा के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को पीले वस्त्र पहनाकर स्थापित करें।
- भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएँ।
- पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्त्व होता है, इसलिए भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
- धूप, दीप, और फूल चढ़ाकर विष्णु सहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- एकादशी की कथा सुनें या सुनाएँ और भगवान से अपने पापों की मुक्ति की प्रार्थना करें।
- व्रत पालन:
- वैकुंठ एकादशी के दिन उपवास रखा जाता है। यदि संभव हो तो निर्जला व्रत रखें, अन्यथा फलाहार ग्रहण करें।
- दिन भर भगवान विष्णु के नाम का जप करें और ध्यान करें।
- रात को जागरण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है, जिसमें भजन-कीर्तन करते हुए रात बिताई जाती है।
- द्वादशी पर व्रत समाप्ति:
- व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत पूरा किया जाता है।
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वैकुंठ एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
वैकुण्ठ एकादशी, शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
• पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 11 जनवरी को सुबह 07:15 बजे से 08:21 बजे तक
• पारण दिन पर द्वादशी समाप्त: सुबह 08:21 बजे
• एकादशी तिथि प्रारंभ: 09 जनवरी 2025 को दोपहर 12:22 बजे
• एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी 2025 को सुबह 10:19 बजे
वैकुंठ एकादशी के लाभ
वैकुंठ एकादशी का व्रत करने से कई आध्यात्मिक और लौकिक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के कुछ मुख्य लाभ:
- मोक्ष की प्राप्ति:
- वैकुंठ एकादशी का सबसे बड़ा लाभ मोक्ष की प्राप्ति है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसे मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
- पापों से मुक्ति:
- इस व्रत से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति पा सकता है। वैकुंठ एकादशी के व्रत से पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति का जीवन शुद्ध हो जाता है।
- सुख और समृद्धि:
- इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा से घर में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। यह दिन गृहस्थ जीवन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- स्वास्थ्य लाभ:
- वैकुंठ एकादशी का व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण का भी साधन है। उपवास से शरीर की सफाई होती है और ध्यान-योग से मानसिक शांति मिलती है।
निष्कर्ष
वैकुंठ एकादशी, जो 10 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी, एक पवित्र और आध्यात्मिक दिन है। इस दिन भगवान विष्णु के प्रति भक्ति भाव से व्रत और पूजा करने से न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति भी प्राप्त होती है। इस दिन को संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाना चाहिए, जिससे भगवान विष्णु की कृपा से सभी पापों का नाश हो और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति हो।
इस वैकुंठ एकादशी पर आइए, हम सभी भगवान विष्णु की आराधना करें, दीप जलाएँ, और अपने जीवन को उनके आशीर्वाद से प्रकाशित करें।
ओम् नमो भगवते वासुदेवाय!