वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को करें दूर

हम सभी अपने वैवाहिक जीवन को लेकर कई सपने देखते हैं और एक खुशहाल जीवन की कामना करते हैं परन्तु वैवाहिक जीवन की नाजुक डोर कभी-कभी परेशानियों के कारण बहुत कमजोर हो जाती है और टूटने के कगार पर आ जाती है। हम इस रिश्तें को मजबूत बनाने के लिए कई प्रयास करते हैं इसके बावजूद भी हमारे रिश्तें में कुछ सही नहीे होता है। इसका एक मुख्य कारण पति-पत्नी की ग्रह, दशा, कुण्डली का न मिलना, आपसी समझ की कमी हो सकती है। तो आज हम प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा जानेंगे कि वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ किन कारणों से होती है।

वैवाहिक जीवन में परेशानी का कारण

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे कारकों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार हैः-

ज्योतिष शास्त्र में पिछले कर्म को विवाहित जीवन में महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जन्मों में बुरे कर्म किये हैं तो यह उनके वर्तमान वैवाहिक जीवन में परेशानी उत्पन्न कर सकता है।

नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर भी वैवाहिक जीवन में परेशानी का करण बन सकता है।  जातक की कुण्डली के अशुभ योग भी जातक के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं। जैसे यदि किसी जातक की कुण्डली में मंगल दोष का निर्माण हो रहा हो तो जातक को वैवाहिक जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है तथा विलम्ब विवाह का योग बनता है। जातक की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति विवाह की सफलता या विफलता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विवाह से पहले वर-वधू की कुण्डली मिलान को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कुण्डली ठीक से मेल नही खाती है तौ यह वैवाहिक जीवन में मुश्किलें उत्पन्न करता हैं। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन में दों लोगों की अनुकूलता भी अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं क्योंकि यदि दों लोगों मे आपसी सहमति एवं समझ न हो तो भी सम्बन्ध कमजोर हो जाता है।

वैवाहिक जीवन में किन ग्रहों से होती हैं परेशानी
मंगल ग्रह

मंगल ग्रह को आक्रामकता, संघर्ष एवं साहस का कारक माना जाता है। जब किसी जातक की कुण्डली में मंगल अशुभ, कमजोर एवं नीच अवस्था में हो तो जातक के वैवाहिक सुख में कमी होता है क्योंकि कुण्डली में इसकी उपस्थिति शारीरिक ऊर्जा को दर्शाती है। इस ऊर्जा की कमी में जातक अपने जीवनसाथी को पूर्ण रुप से सुख नही दे पाता है जिसके कारण सम्बन्धों में दूरियां बढ़ती है।

शुक्र ग्रह

शुक्र को सुख, प्रेम एवं आनन्द का ग्रह माना जाता है। यदि शुक्र अशुभ कमजोर या बलहीन अवस्था में हो तो यह वैवाहिक जीवन में प्रेम, स्नेह और सद्भावना की कमी करता है। शुक्र की शुभ स्थिति जातक को अपने जीवनसाथी के प्रति आकर्षित करती है।

शनि ग्रह

किसी भी कुण्डली में शनि अनुशासन, जिम्मेदारी और प्रतिबंध ग्रह होता है। किसी जातक की कुण्डली में उपस्थित शनि जातक के साथी के प्रति कर्तव्य और प्रतिबद्धता की भावना की ओर संकेत करता है। यदि शनि अशुभ, बलहीन एवं कमजोर अवस्था में हो तो विवाह में विलम्बता का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही बाधाओं और चुनौतियों का कारण बन सकता है।

राहु और केतु

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को उपछाया ग्रह कहा जाता है और ये ग्रह किसी राशि के स्वामी नही होते हैं। राहु-केतु अशुभ अवस्था में हो तो वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कुण्डली में राहु-केतु जातक के उत्साह, बेचैनी और आवेग के स्तर को दर्शाते हैं।

खुशहाल वैवाहिक जीवन के उपाय जो आपके लिए हैं आवश्यक

☸ वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में लाल किताब के टोटकों और उपायों को विशेष महत्व दिया गया है। यहा लाल किताब के आधार पर कुछ प्रमुख उपायों को बताया जा रहा है जो आपके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है इस उपाय को अपनाकर आप वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को दूर कर सकते हैं।
☸ आपको प्रतिदिन उगते सूर्य को जल देना चाहिए जिसके फलस्वरुप कुण्डली में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आपके रिश्ते मजबूत होंगे।
☸ हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा सबसे पवित्र पौधा माना जाता है। अतः आपको अपने घर में एक तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। यह उपाय सकारात्मक ऊर्जा एवं सद्भाव में वृद्धि करता है तथा वैवाहिक सम्बन्धों को मजबूत करता है।
☸ अपने दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में तांबे की अंगूठी पहनें आपके वैवाहिक जीवन में सौभाग्य एवं सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी। ऐसा माना जाता है कि तांबा का सम्बन्ध शुक्र ग्रह से होता है जिसे प्रेम एवं सद्भाव का ग्रह कहा जाता है।
☸ शुक्र के प्रभावशाली मंत्र ‘‘ ओम शु शुक्राय नमः’’ का प्रतिदिन 108 बार जाप करें जिससे वैवाहिक जीवन के नकारात्मक प्रभाव दूर होंगे तथा अपने जीवनसाथी के साथ संबंधों में सुधार करने के लिए यह उपाय सबसे सरल एवं उत्तम माना जाता है।
☸ सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी ग्रह को समर्पित किया गया है ठीक उसी प्रकार शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार का व्रत रखकर संतोषी माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं।
☸ विवाहित जोड़ो को नवविवाहित दम्पत्तियों को वस्त्र एवं मिठाई का दान करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन के सम्बन्ध मधुर होते हैं एवं जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अतः आपको यह उपाय अवश्य अपनाना चाहिए।
☸ यदि आपकी कुण्डली में बुध एवं शुक्र कमजोर अवस्था में हो तो आप देवगुरु बृहस्पति का जाप कर सकते हैं। इससे आपके वैवाहिक सम्बन्धों में मधुरता बढ़ेगी।

कुण्डली के योग जो बनते हैं वैवाहिक जीवन में परेशानी
कुंज दोष

किसी जातक की कुण्डली में मंगल के कारण मंगल दोष कुंज दोष कहलाता है। इस दोष के कारण जातक वैवाहिक जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करता हैं। दाम्पत्य जीवन में वाद-विवाद, गलतफहमी और तलाक की स्थिति बन जाता है।

नाड़ी दोष

कुण्डली में नाडी दोष के कारण भी वैवाहिक सम्बन्धों में परेशानियां आती हैं तथा वित्तीय क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

विष दोष

जातक की कुण्डली में शनि और चन्द्रमा के कारण विष दोष का निर्माण होता है। इस दोष के कारण भी दाम्पत्य जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

दरिद्र योग

किसी व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की युति, आर्थिक अस्थिरता और दरिद्रता का संकेत देती है। यह योग भी वैवाहिक जीवन में समस्या उत्पन्न करता है।

पापकर्तरी योग

पापकर्तरी योग का निर्माण भी वैवाहिक सम्बन्धों को कमजोर करता है।

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