शनि की महादशा का फल

शनि एक नैसर्गिक पापी ग्रह अवश्य है, लेकिन अपने प्रभाव से व्यक्ति को पापात्मा नही बनाता, दरिद्र भले ही बना देता है। यदि कुण्डली मे शनि कारक होकर उच्च राशि या मूल त्रिकोण राशि, स्वक्षेत्री अथवा मित्रक्षेत्री होकर बलवान अवस्था में केन्द्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो तो अति शुभ फल प्रदान करता है। जातक को शुभ शनि की दशा में राजकीय एवं सामाजिक सम्मान भी मिलता है। उसके वैभव एवं कीर्ति की बढ़ोत्तरी भी होती है। शनि की दशा जातक के लिए पूर्णरुप से भाग्य उदय में सहायक होती है। यदि शनि लाभ स्थान में धनु अथवा मीन राशि का हो तो जातक का कर्म चारों तरफ फैलता है। यदि शनि स्वराशि होकर दशम स्थान में हो तो जातक को पैतृक सम्पत्ति नहीें प्राप्त होती है और साथ ही माता- पिता  तथा परिवार से वियोग भी हो जाता है। यदि धन स्थान में उच्च का शनि आय स्थान बृहस्पति से दृष्ट हो तो जातक सहजता से ही लक्ष्मी जी की कृपापात्र करता है। न्यायप्रिय देवता शनि सबको उनके कर्मों के हिसाब से फल देते है। इसलिए जो अपने जीवन में अच्छा काम करते है उन्हें शनि की महादशा में लाभ होता है। वहीं बुरे कर्म करने वालों को शनि की साढ़े साती एवं ढैय्या में अशुभ फल भोगने पड़ते है।

शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा

शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है, जिसमें उसका फल अंतर्दशा स्वामी की भाव में स्थिति आदि के साथ-साथ शनि से उसके सम्बन्ध पर भी निर्भर करता है। महादशा का फल शनि की गोचर स्थिति पर भी निर्भर करता है। इस प्रकार शनि की महादशा के अंत में भी उसका फल अंतर्दशा स्वामी और शनि के गोचर पर निर्भर करता है। शनि अपनी महादशा में मेहनत करवाता है। शनि की महादशा में शनि की ही अंतर्दशा तीन वर्ष की होती है। दोनो ही स्थानों पर शनि का होना आपको काफी मिले-जुले परिणाम देने वाला होता है। इस दौर में आपको जमीन से जुड़े मामलों में भी लाभ मिलता है। यह अवधि जीवनसाथी और संतान सम्बन्धी मामलों के लिए भी ठीक है। वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है। इसके साथ ही शनि न्याय व कर्म फलदाता भी है ऐसे मे कुण्डली मे इनकी महादशा व अंतर्दशा का चलना अपने आप में ही महत्वपूर्ण बन जाता है। जन्म कुण्डली मे एक अप्रभावित शनि आपको दशा के दौरान जीवन में बेहतर स्थिति और स्थिति से प्रभावित करता है । जातक को बहुत अधिक सामाजिक समर्थन भी मिलता है।

शनि ग्रह के खराब होने के लक्षण

☸ जब आर्थिक तंगी का सामना करना पड़े।
☸ जब सम्बन्धों में पड़ने लगे दरार।
☸ जब घर में कोई अनहोनी हो जाए।
☸ जब नशे की लत लग जाए।
☸ जब स्वभाव में आने लगे बदलाव।
☸ जब सेहत होने लगे खराब।

शनि की महादशा में क्या करना चाहिए ?

अगर किसी जातक की शनि की महादशा चल रही है तो शनि देव की आराधना सूूर्यास्त के बाद ही करें ऐसा करना अधिक फलदायी होता है। शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें, इसके बाद शनिदेव का ध्यान करते हुए सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शनि की महादशा में क्या होता है ?

शनि की महादशा के दौरान आप अधिक ज्ञान, आध्यात्मिकता, जीवन की लम्बी उम्र प्रभावशाली मित्र और सामाजिक उन्नति प्राप्त करते है क्योंकि शनि देव कर्म कड़ी मेहनत, सच्चाई और भाग्य का प्रतिनिधित्व करते है दूसरी ओर यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जिसके परिणाम स्वरुप यह शुष्क, बंजर और ठंडा होता है। शनि के प्रभाव को अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक तीव्रता के साथ और अधिक विस्तारित अवधि के लिए अनुभव किया जा सकता है। शुक्र राशि में जन्म लेने वाले जातकों को शनि से अच्छा लाभ मिलता है। शनि सभी ग्रहों के न्यायाधीश है तथा वह अन्याय को बर्दाश्त नही करते है। महादशा की पूरी अवधि के दौरान, व्यक्ति को अपने जीवन के हर पहलू में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो शनि द्वारा लायी जाती है।

शनि की महादशा के उपाय

शनि की महादशा के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए शुक्ल पक्ष के शनिवार से संध्या समय में मंत्र जाप आरम्भ करें। स्वच्छ कपड़े पहने और शुद्ध आसन पर बैठे तथा अपना मुख हमेशा उत्तर अथवा पूर्व की ओर रखें। 19,000 मंत्रों का जाप करना चाहिए।

  मंत्रः- ओम शं शनेश्चराय नमः।

शनि ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष मे शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज, तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है।

ज्योतिष में शनि ग्रह कुण्डली से लेकर गोचर महादशा तथा साढ़े साती से हमें प्रभावित करते है। शनि मनुष्य के शरीर में मुख्य रुप से वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते है। शनि का प्रभाव जातक को वकील, नेता का काम करने वाला तथा विद्या में रुचि रखने वाला बना देता है तथा शनि के मंत्रों का नियमित जप करने वाला बना देता है परेशानियों का बोझ कम हो जाता है।

ओम श् प्रां प्रीं प्रौ सः

शनैश्चराय नमः ।।

 

नोट- यहाँ पर हमने केवल शनि की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ-अशुभ फलो की संभावना मात्र व्यक्त की है किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से अपनी कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करें।

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