शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक 27 नक्षत्रों में अपनी-अपनी एक अलग ऊर्जा, गुण तथा क्षमताएं होती हैं जो कि जातक की जन्म कुण्डली और अन्य कारकों के आधार पर ही सभी जातकों के लिए अलग-अलग रूप से प्रकट होती हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुछ नक्षत्र तो ज्योतिष के अन्दर उनके विभिन्न व्याख्याओं और दृष्टिकोणों पर निर्भर करता है परन्तु कुछ नक्षत्र ऐसे होते हैं जिसमें जन्म लेने वाले जातक के लिए पारंपरिक रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है तो आइए हम यह भली-भाँति जानने का यह प्रयास करते हैं कि किस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक हमेशा अशुभ होते हैं।
आश्लेषा नक्षत्र में जन्में जातक
बात करते हैं यदि हम आश्लेषा नक्षत्र कि तो आश्लेषा नक्षत्र, नक्षत्रों की श्रेणी का नौंवा नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र का प्रतीक तथा देवता नागों के राजा शेषनाग को माना गया है। आश्लेषा नक्षत्र के समूह में 6 तारे होते हैं जो कि चक्राकार है आपको बता दें आश्लेषा नक्षत्र के तारा चक्र को सर्पराज वासुकी के सिर में स्थान मिला है, इसका संबंध हमेशा सर्प की कुंडली से होता है। यह नक्षत्र कर्क राशि में पड़ता है इसलिए जिन लोगों की राशि कर्क होती है उनका जन्म नक्षत्र आश्लेषा अवश्य हो सकता है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक में एक अलग तरह की गहरी भावनात्मक तीव्रता और मनौवैज्ञानिक अन्तर्दृष्टि हो सकती है। यह नक्षत्र जातक के विश्वास, हेरफेर और सत्ता के संघर्ष से सम्बन्धित कई प्रकार की चुनौतियाँ जीवन में ला सकती हैं। अतः जिन जातकों का जन्म आश्लेषा नक्षत्र में हुआ है उन्हें अपने जीवन में आत्म जागरुकता विकसित करना, एक स्वस्थ संचार का अभ्यास करना और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचने के लिए अपनी किसी भी तरह की भावनाओं को प्रतिबंधित करना अति आवश्यक होता है।
मूल नक्षत्र में जन्मे जातक
शास्त्रों के अनुसार मूल नक्षत्र 27 नक्षत्रों की श्रेणी में 19 वाँ होता है। यह नक्षत्र धनु राशि में 0.00 डिग्री से 13. 20 डिग्री तक होता है इसलिए जिन लोगों की राशि धनु होती है उनका जन्म नक्षत्र मूल हो सकता है। इस नक्षत्र का प्रतीक पेड़ के पौधे के जड़ों के एक समूह से होता है जो कि हमेशा एक साथ बंधे होते हैं। इस नक्षत्र पर विनाश की देवी यानी देवी महाकाली का शासन होता है। आपको बता दें मूल नक्षत्र को मूलाधार चक्र के द्वारा भी समझा जा सकता है जो कि आधार चक्र होते हैं। इस चक्र में आशीर्वाद और श्राप दोनों ही विराजमान होते हैं।
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में पूरी स्वतंत्रता के लिए एक अलग प्रकार की मजबूत प्रेरणा तथा गहन आध्यात्मिक सच्चाइयों को प्रकाशित करने की इच्छा हो सकती है। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों के लिए मूल नक्षत्र उथल-पुथल हानि और आंतरिक विकास की आवश्यकता से संबंधित जावक के जीवन में अन्य कई चुनौतियाँ भी ला सकती हैं। यदि जातक का जन्म इस नक्षत्र में है तो इन सभी अशुभ प्रभावों से प्रभावित जातकों को इस नक्षत्र से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने के लिए अपने जीवन में एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने पर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्में जातक
ज्येष्ठा नक्षत्र, नक्षत्रों की श्रेणी का अट्ठारहवाँ नक्षत्र होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र इंद्रदेव के सफलता, सौंदर्य और आपदा जैसे आकर्षक अंगों के साथ ही, वरिष्ठ या अगे्रजों के महत्वों को भी दर्शाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, ज्येष्ठ माह की शुरुआत वरीयता से सम्बन्धित भव्य और अत्यधिक प्रतिष्ठित ज्येष्ठा नक्षत्र से हुई है जो जातक के बुद्धिमानी का कौशल प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र का शासक ग्रह बुध होता है। यह नक्षत्र एक झुमके, ताबीज या छाते के जैसा प्रतीत होता है, जो कि ज्येष्ठ बहन, पवित्र गंगा नदी या हाथ की मध्य उंगली का प्रतीक होता है। इसके अलावा यह नक्षत्र शक्ति, अधिकार और वरिष्ठता के साथ भी जुड़ा हुआ है।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में प्राकृतिक नेतृत्व गुण, मजबूत अंतर्ज्ञान तथा अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरणा हो सकती है। इसके अलावा यह नक्षत्र कभी-कभी अहंकार, नियंत्रण मुद्दों और किसी प्रकार के रिश्तों में संघर्ष से संबंधित बहुत सारी चुनौतियाँ भी ला सकता हैं। ऐसे में ज्येष्ठा से प्रभावित होने वाले जातकों को इसके सभी नकारात्मक परिणामों से बचने के लिए अत्यधिक विनम्रता, भावनात्मक, कुशलता तथा अपनी शक्तियों की संतुलित अभिव्यक्तियों का प्रयास करते रहना चाहिए। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातकों के लिए यह लक्षण वास्तव में बहुत अशुभ होता है।
विशेषः- आपको बता दें यहाँ पर बताये गये सभी महत्वपूर्ण नक्षत्रों की व्याख्या और उसके पड़ने वाले शुभ और अशुभ प्रभाव एकदम निश्चित या इस संपूर्ण सृष्टि के सार्वभौमिक नहीं है। ऐसे में किसी जातक के जीवन पर नक्षत्र के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए कुण्डली में स्थित अन्य ग्रहों की स्थिति और अंत क्रिया के साथ समग्र जन्म कुण्डली भी अति आवश्यक होती है। अतः अपने जन्म नक्षत्रों के शुभ-अशुभ प्रभावों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए एक अनुभवी और श्रेष्ठ ज्योतिषी के परामर्श से ही नक्षत्रों के प्रभाव की और भी ज्यादा अत्यधिक व्यापक जानकारी और व्यक्तिगत समझ मिल सकती है। इसके अलावा एक योग्य ज्योतिषी से अपनी जन्म कुण्डली का विश्लेषण करवा लेने से आपको अपने जीवन में स्पष्ट मार्गदर्शन के साथ अपने जन्म कुण्डली के लिए बताये गये अशुभ प्रभावों को स्पष्टता के साथ समाप्त करने में मदद मिल सकती है।