शिव चालीसा की इन पक्तियों में छिपा है, हर परेशानी का हल

सोम प्रदोष के दिन मानव जीवन की हर परेशानी का हल

भोलेनाथ की पूजा को कभी भी किया जा सकता है लेकिन मान्यता है कि सोम प्रदोष के दिन उनकी आराधना बाकी दिनों की तुलना में अत्यंत लाभकारी होती है। शास्त्रों के अनुसार सोम प्रदोष के दिन शिव चालीसा की इन पंक्तियाँ का जाप करने से जीवन में सौभाग्य, आरोग्य, सुख-शांति, धन, वैभव और प्रेम की वृद्धि होती है। साथ ही कई समस्याओं का निदान होता है और जीवन की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं।

।। दोहा ।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

सुख शांति के लिए

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

शत्रु नाश के लिए

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

परिवार में प्रेम के लिए

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

संकट नाश के लिए

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

कृपा प्राप्ति के लिए

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

रोग दोष निवारण के लिए

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

इच्छित वरदान के लिए

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट व्यक्ति और विचारों से बचने के लिए

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

भारी संकट नाश के लिए

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन प्राप्ति के लिए

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ऋण मुक्ति के लिए

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

संतान प्राप्ति के लिए

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

भगवान शिव की महिमा

शिव चालीसा की इन पक्तियों में छिपा है, हर परेशानी का हल 1

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने के लिए शब्दों में सीमित होना मुश्किल है क्योंकि उनकी महिमा अत्यन्त अद्भुत और अगम्य है। वे सृष्टि के परम प्रेमी हैं, धरती पर धर्म की स्थापना करने वाले हैं, संहार का कारण और सृष्टि के पुनर्निर्माण के उपाध्यक्ष हैं। भगवान शिव अत्यंत दयालु और करुणामय हैं। वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनते हैं और उन्हें रक्षा देते हैं। शिव अमर हैं और मृत्यु के स्वामी हैं। उनके नाम से लिया गया नाम ‘महामृत्युंजय’ भक्तों को मृत्यु के भय से मुक्ति प्रदान करता है। भगवान शिव को ‘त्रिपुरांतकार’ के रूप में भी जाना जाता है, जो तीनों लोकों को नष्ट करने वाले असुरों को संहार किया।

उनकी ध्यान करने से मनुष्य अपने मन को शांत करता है और आत्मविश्वास और संतोष की प्राप्ति होती है। उनका अर्धनारीश्वर रूप प्रेम और समरसता का प्रतीक है, जो पुरुष और प्रकृति के संगम को दर्शाता है। भगवान शिव को ध्यान करने और साधना करने के लिए लाखों लोगों को प्रेरित किया गया है, जिनका परिणाम उनकी आत्मगति और आत्मानुभूति में प्रकट होता है। इन विशेषताओं के माध्यम से, भगवान शिव की महिमा का अनुभव उनके भक्तों के जीवन में निरंतर विकसित होता है और उन्हें उनके मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

भगवान शिव के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ

भगवान शिव का अर्थ:- शिव का अर्थ है ‘मांगने योग्य’ या ‘करने योग्य’. उन्हें संसार के सृष्टिकर्ता, संहारक और पालनहार के रूप में जाना जाता है।

शिव के पारिवारिक संगठन:- भगवान शिव की पत्नी का नाम पार्वती है और उनके दो पुत्र हैं, गणेश और कार्तिकेय।

शिव के चिन्ह:- उन्हें त्रिशूल, दमरू, नाग, गंगा, चंद्रमा और भस्म आदि के साथ प्रतिष्ठित किया जाता है।

त्रिमूर्ति का एक अंग:- उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिमूर्ति का तीसरा अंग माना जाता है, जो सृष्टि, संरक्षण और संहार के लिए जिम्मेदार हैं।

महाशिवरात्रि:- यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।

शिवलिंग:- यह शिव की प्रतिमा है जो उनके आज्ञाकारक स्वरूप को प्रतिनिधित करती है। शिवलिंग को शिव की पूजा में प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र:- यह शिव का एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे भगवान की कृपा, रक्षा और मोक्ष के लिए जपा जाता है।

तपस्या और वैराग्य:- भगवान शिव को तपस्या और वैराग्य के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। उनका ध्यान धारण करके और उनकी कृपा को प्राप्त करके, भक्त संसारिक संघर्षों से मुक्ति पा सकते हैं।

 

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