संकष्टी चतुर्थी के दिन करें भगवान गणेश जी के शक्तिशाली मंत्र और स्त्रोत का पाठः
हिंदू धर्म और सनातन संस्कृृति में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान श्री गणेश धन, बुद्धि और लक्ष्मी के दाता माने जाते हैं। वे अपने भक्तों से विघ्नों को दूर कर, जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं, जिससे सभी कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाते हैं।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्री गणेश जी के मंत्रों का जाप करना विशेष महत्व रखता है। यहाँ बताए गए मंत्रों का जाप करने से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव होता है और जातक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। यहां हम श्री गणेश के कुछ प्रमुख मंत्र, स्त्रोत और उनके अर्थ के बारे में बता रहे हैं, जो गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर विशेष रूप से उपयोगी हो सकते हैं। India’s Most Popular Astrologer.
1- सर्व शक्तिशाली गणेश मंत्रः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
मंत्र का अर्थः
जिनकी सूंड वक्र (टेढ़ी) है, जिनका शरीर बहुत विशाल है और जिनकी आभा करोड़ों सूर्यों से भी अधिक चमकदार है। ऐसे भगवान श्री गणेश हमेशा मेरे सभी कार्यों को बिना किसी विघ्न के और सफलता पूर्वक संपन्न करने का आशीर्वाद प्रदान करें। kundali expert
मंत्र का लाभः
हिंदू धर्म में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी के इस मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सभी कार्य में सफलता मिलती है और हर मुश्किल आसान हो जाती है। यह मंत्र विशेष रूप से भगवान गणेश जी के उपासकों के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
2- श्री गणेश मूल मंत्रः
ॐ गं गणपतये नमः।
मंत्र का अर्थः
हे सभी गणों के प्रधान श्री गणेश, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
मंत्र का लाभः
यह भगवान गणेश जी का मुख्य मंत्र है, जिसे गणेश का बीज मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र का जाप किसी नए कार्य की शुरुआत करने से पहले किया जाता है, इस मंत्र का जाप करने से किए गए कार्य अवश्य सफल होते हंै। इसे विशेष रूप से अध्यात्मिक उन्नति और योग साधना में भी प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। Genuine Astrologer in Delhi
3- श्री गणेश गायत्री मंत्रः
ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।
मंत्र का अर्थः
जिनके पास एक दांत है और जिनका चेहरा अत्यंत आकर्षक है, जो अपने शरणागत भक्तों के रक्षक हैं और समस्त प्राणियों की पीड़ा को दूर करने वाले हैं, ऐसे शुद्ध रूप भगवान श्री गणेश को हम सादर प्रणाम करते हैं।
मंत्र का लाभः
गणेश गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को अपने करियर में त्वरित सफलता प्राप्त होती है और सभी कार्यों में सफलता सुनिश्चित होती है। इस मंत्र का जाप विशेष रूप से जीवन में सिद्धि और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
4- विघ्नों के नाश व मंगल विधान के लिए मंत्रः
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननाः।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपाः॥
विनायकश्चारुकणी पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय या पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित।
मंत्र का अर्थः
गणपति, विघ्नराज, लम्बतुण्ड, गजानन, द्वैमातुर, हेरम्ब, एकदन्त, गणाधिप, विनायक, चारुकर्ण, पशुपाल और भवात्मज ये भगवान श्री गणेश के बारह प्रमुख नाम हैं। जो व्यक्ति प्रातःकाल उठकर इन पवित्र नामों का विधिपूर्वक पाठ करता है, वह न केवल मानसिक शांति और सुख प्राप्त करता है, बल्कि उसके जीवन में आने वाले सभी विघ्न और रुकावटें दूर हो जाती हैं। इस श्रद्धापूर्वक जाप से उसका जीवन समृद्धि, सफलता और समग्र खुशी से भर जाता है। उसके हर कार्य में सफलता की संभावना प्रबल होती है और उसे कभी भी कोई विघ्न नहीं आता। ये मंत्र जीवन के हर क्षेत्र में लाभकारी होते हैं, जिससे उसे संसार में सम्मान और प्रतिष्ठा भी मिलती है। Vastu Consultant in Delhi NCR
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ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा यहाँ कुछ गणेश स्तोत्र बताए गये हैं जिनका पाठ संकष्टी चतुर्थी के दिन करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हांेगीः
1- मोक्ष प्राप्ति के लिए गणेश स्तोत्रः
परमं धामं, परमं ब्रह्म, परेशं परमेश्वरं विघ्ननिप्नं करें शांतं पुष्टं कांतमनंतकम सुरा सुरेंद्रे सिद्धेन्द्रे स्तुतं स्तोमि परात्परम सुर पद्म दिनेशं च गणेशं मंगलाय नमः इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोक हरं परम यह पठेत् प्रातरुत्थाय सर्व विघ्नात् प्रमुच्यते।
स्तोत्र का अर्थः
यह स्तोत्र भगवान श्री गणेश जी के परम रूप का वर्णन करता है। वे ब्रह्मा, परमेश्वर और सभी जगत के पालनहार हैं, जो समस्त विघ्नों का नाश करने वाले, शांत, पुष्ट और अनंत गुणों से संपन्न हैं। उनके पास शांति और समृद्धि है और वे सभी प्राणियों के कष्टों का निवारण करते हैं। देवता, इन्द्र और सिद्ध लोग उनकी पूजा करते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश को सर्वाेच्च, चमत्कारी और शुभकारी मानते हुए उनका स्तुति करता है, जिन्हें सुर पद्म दिनेश जैसे उच्चतम सम्मान प्राप्त है। इस स्तोत्र का जाप करना विशेष पुण्य और लाभकारी माना जाता है, जो जातक प्रातःकाल उठकर इस स्तोत्र का पाठ करता है किया जाता है वह सभी विघ्नों से मुक्त होकर जीवन में सफलता प्राप्त करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक और भौतिक दोनों प्रकार की शांति मिलती है और उसे जीवन में किसी भी प्रकार के विघ्न का सामना नहीं करना पड़ता। Best Astrologer in Chandigarh
2- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गणेश स्तोत्रः
ॐ नमो विघ्नराजाय, सर्वसौख्य प्रदायिने दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने लंबोदरं महावीर्य, नागयज्ञोपज्ञोभितम अर्धचंद्र धरं देहं विघ्नव्यूह विनाशनम् ॐ हां, हीं हूं, हें हों हेरंबाय नमो नमः सर्व सिद्धिं प्रदोसि त्वं सिद्धि बुद्धि प्रदो भवं चिंतितार्थ प्रदस्तवं हीं, सततं मोदक प्रियं सिंदूरारुण वस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः इदं गणपति स्तोत्रं य पठेद् भक्तिमान नरः तस्य देहं च गेहूं च स्वयं लक्ष्मीं निर्मुजति।
स्तोत्र का अर्थः
यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है। ॐ नमो विघ्नराजाय का अर्थ है, हम उन भगवान गणेश को प्रणाम करते हैं जो विघ्नों के राजा हैं और जो सर्वसौख्य देने वाले हैं। वे दुष्टों और समस्याओं का नाश करने वाले, परमात्मा के स्वरूप हैं। उनका रूप लंबोदर और महावीर्य से युक्त है, उनके पास नागयज्ञ का आशीर्वाद है और उनके शरीर पर अर्धचंद्र धारण करने का सौभाग्य है। भगवान गणेश का यह रूप विघ्नव्यूह के नाशक हैं, जो सभी विघ्नों और संकटों से मुक्ति दिलाता है। उनके नामों में हेरंब शामिल है, जो उनकी शक्तिशाली और समर्थ स्थिति को दर्शाता है। वे सदैव मोदक प्रिय होते हैं और सिंदूर के रंग में रंगे वस्त्रों में पूजे जाते हैं। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा भाव से करता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है और वह लक्ष्मी प्राप्त करता है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और सफलता मिलती है।
3- संतान प्राप्ति हेतु गणेश स्तोत्रः
ॐ नमोस्तु गणनाथाय, सिद्धिबुद्धि युताय च सर्व प्रदाय देहाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च गुरुदराय गरबे गोपुत्रे गुह्यासिताय ते गोध्याय गोपिता शेष, भुवनाय चिदात्मने विश्व मूलाय भव्याय, विश्व सृष्टि कराय ते नमो नमस्ते सत्याय, सत्यपूर्णाय शुंडिने एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः प्रपत्र जन पालाय, प्रणतार्ति विनाशिने शरणंभव देवेश संततिं सुद्धां कुरु भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुते गणनायकः ते सर्वे तब पूजार्थ निरताः स्युर्वरोमतः पुत्र प्रर्व इदंस्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम।
स्तोत्र का अर्थः
यह स्तोत्र भगवान गणेश के महिमापूर्ण गुणों का वर्णन करता है। ॐ नमोस्तु गणनाथाय का अर्थ है हम उन गणेश भगवान को प्रणाम करते हैं जो सभी सिद्धियों और बुद्धि के दाता हैं। वे सर्वप्रदाता हैं, जो देह और पुत्र वृद्धि प्रदान करते हैं और जो गुरुदेव के समान उपदेश देने वाले होते हैं। भगवान गणेश का रूप गर्भ, गोपुत्र और गुप्त आत्मा के रूप में है। वे सभी प्राणियों के पालनकर्ता और सृष्टिकर्ता हैं, जो चिदात्मा में समाहित हैं और जिनका कार्य सृष्टि की रचना करना है। उनका रूप सत्य, शुद्ध और एकदंत है, जिनके पास समग्र सृष्टि के निर्माण की शक्ति है। वे भक्तों के कष्टों का निवारण करने वाले हैं और जो श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करते हैं, उनके सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं, संतान सुख की प्राप्ति होती है और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। Best Astrologer in Chennai
विषेशः
मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने, किसी मंदिर में, पुण्य क्षेत्र में या उनके चित्र के सम्मुख बैठकर अनुष्ठान किया जा सकता है। अनुष्ठानकर्ता को पवित्र स्थान पर शुद्ध आसन पर बैठकर विभिन्न उपचारों से श्री गणेश का पूजन करना चाहिए।
श्रद्धा और विश्वास के साथ, मनोवांछित फल प्राप्त करने वाले स्तोत्र का कम से कम 21 बार पाठ करें। यदि अधिक बार पाठ कर सकें तो वह और भी श्रेष्ठ रहेगा। इस मंत्र और स्त्रोत का पाठ प्रातः और संध्या दोनों ही समय किया जाए, तो इससे फल शीघ्र ही प्राप्त होते हैं।
जब तक कामना पूरी नहीं होती, तब तक पाठ को नियमित रूप से जारी रखें। कभी-कभी मनोवांछित फल प्राप्ति में देरी हो सकती है या फल प्राप्त नहीं भी हो सकते हैं। ऐसे में विद्वान, ज्योतिषी की सलाह लेकर मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। अविश्वास या कुशंका के साथ आराध्य के प्रति अश्रद्धा नहीं करनी चाहिए। यहाँ बताए गए सभी मंत्र और स्त्रोतों में से किसी भी मंत्र या स्त्रोत का पाठ संकष्टी चतुर्थी के दिन करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।