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संकष्टी चतुर्थी पर है भद्र काल का साया | Sankasthi Chaturthi Benefit |

गणेश जी की पीठ के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए?

गणेश जी की पीठ के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए?

हिन्दू पंचाग के अनुसार वैशाख माह की कृष्ण पक्ष को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाया जायेगा। चतुर्थी तिथि पर सुबह से ही भद्रा लग रही है परन्तु सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। आज के दिन भगवान गणेश जी की आराधना करते है। साथ ही आज व्रत रखकर रात के समय चन्द्रमा का पूजन करते है। यह व्रत चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण मानी जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को सिंदूर, मोदक एवं दूर्वा अर्पित करें। इससे आपके सभी कष्ट दूर हो जायेंगे।

संकष्टी चतुर्थी पर भद्र काल का समय

संकष्टी चतुर्थी के पावन अवसर भद्र काल है जो 09 अप्रैल दिन रविवार को प्रातः 06ः03 से लेकर प्रातः 09ः35 तक रहेगा। जिसमे 08ः02 मिनट तक पृथ्वी लोक तथा 08ः02 से 09ः35 तक होगी स्वर्ग लोग मे भद्रा रहेगी।।

संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त एवं तिथिः-

गणेश जी को विघ्नहर्ता कहते है। अतः उनकी पूजा आराधना करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है एवं कार्यों मे सफलता मिलती है। संकष्टी चतुर्थी का आरम्भ प्रातः 09ः35 मिनट पर होगा तथा इसका समापन 10 अप्रैल को 08 बजकर 37 मिनट पर होगा।

चतुर्थी तिथि पर पूजा शुभ मुहूर्तः- 09 अप्रैल को प्रातः 09 बजकर 13 मिनट से प्रातः 10 बजकर 48 मिनट तक

अमृत सर्वोत्तम मुहूर्तः- सुबह 10 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक। यह दोनो शुभ मुहूर्त गणेश जी की पूजा के लिए उत्तम है।

सिद्धि योग में पूजाः- संकष्टी चतुर्थी पर सिद्धि योग बन रहा है जो प्रातः से लेकर रात 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

संकष्टी चतुर्थीः- संकष्टी चतुर्थी पर अर्घ्य देने का शुभ समय रात्रि 10 बजकर 02 मिनट पर है। अतः चन्द्रमा को अर्घ्य देने के लिए यह समय उत्तम रहेगा।

संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधिः-

☸आज सूर्योदय से पूर्व उठें तथा सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्वयं को शुद्ध करें।
☸अब भगवान गणेश जी की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें।
☸चौकी पर लाल स्वच्छ वस्त्र अवश्य बिछाएं।
☸गणेश जी के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें, उसके बाद जल, अक्षत, दुर्वा, लड्डू, पान आदि गणेश जी को अर्पित करें।
☸अब हाथ में अक्षत एवं फूल लेकर अपने मन की इच्छा व्यक्त करें।
☸उसके पश्चात ओम ‘‘ गं गणपतये नमः’’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
☸इसके उपरान्त एक केले का पत्ता अथवा थाली लें और रोली से त्रिकोण बनाएं।
☸त्रिकोण के अग्र मुख पर घी का एक दीपक जलाएं एवं बीच में मसूर की दाल एवं सात साबुत लाल मिर्च रखें।
☸पूजन करने के पश्चात चन्द्रमा को अर्घ्य देकर पूजा का समापन करें एवं लड्डू प्रसाद स्वरुप स्वयं खाएं और दूसरों मे वितरण करें।

संकष्टी चतुर्थी की व्रत विधिः-

आज के दिन जो भी उपाय व्रत रखते है उन्हें चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिए तथा व्रती को केवल फलों का सेवन करना चाहिए।

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