समाज में उच्च पद प्रतिष्ठा तथा मान सम्मान की प्राप्ति कराता है सूर्य

बात करते हैं सूर्य की तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य को आत्मा और पिता का कारक माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य का विशेष महत्व होता है। हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता मानकर ही उसकी पूजा अर्चना की जाती है। यह इस पृथ्वी पर सभी मनुष्यों के लिए ऊर्जा का प्राकृतिक स्त्रोत माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार में जन्मकुण्डली में सभी बारह राशियों और नौ ग्रहों का विशेष महत्व होता है ये नौ ग्रह अपने अपने अनुसार ही सभी लोगों को फल प्रदान करते हैं। परन्तु इसमें सूर्य को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। किसी जातक की जन्मकुण्डली के पंचम भाव का स्वामी ग्रह भी सूर्य को ही माना जाता है। इसके अलावा सूर्यदेव को सिंह राशि का स्वामित्व भी प्राप्त होता है। सूर्य देव मेष राशि में उच्च के तथा तुला राशि में नीच के होते हैं। अतः जिन जातकों की जन्मकुण्डली में सूर्य उच्च के होते हैं उन्हें करियर क्षेत्र में हमेशा अच्छी सफलता प्राप्त होती है। वहीं यदि सूर्य देवता किसी जातक की जन्मकुण्डली में कमजोर हैं या फिर किसी अन्य ग्रहों से पीड़ित हैं तो ऐसे में यह जातक को हृदय और आँख से सम्बन्धित कोई न कोई बीमारी अवश्य प्रदान करते हैं।

कुण्डली में सूर्य की ऐसी स्थिति से मिलेगा मान-सम्मान

☸ सूर्य की कुण्डली में भूमिका की बात करें तो एक व्यक्ति के जीवन में सूर्य की अच्छी स्थिति जातक को सरकारी नौकरी की प्राप्ति कराते हैं यह व्यक्ति को सिद्धान्तवादी तथा कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन वाला अधिकारी बनाते हैं। कुण्डली में सूर्य की अच्छी स्थिति उच्च पद पर आसीन अधिकारी तथा प्रशासक और समय के साथ साथ उन्नति करने वाला बनाता है। परन्तु जन्मकुण्डली में यदि सूर्य कमजोर स्थिति में हैं तो ऐसे में जातक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

☸ हिन्दू धर्म की पंचांग तथा धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार सूर्यदेवता के लिए प्रत्येक दिन में से एक रविवार का दिन उनके लिए समर्पित है जो की सप्ताह के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। यह ग्रह एक तरह से जातक को संजीवनी जैसा फल देता है इसलिए कभी भी अपने जन्मकुण्डली का विश्लेषण करवाते समय सभी योग्य ज्योतिष सूर्य का विचार सर्वप्रथम करते हैं। आपको बता दें सूर्य हमेशा पूर्व दिशा में ही स्थान बली होता है।

☸ सिंह राशि पर इसका अधिपत्य ज्यादा होने के कारण यह अपनी ही राशि में स्वयं स्वगृही होता हैं। कुण्डली में शनि और शुक्र इसके शत्रु ग्रह होते हैं।

☸ हिन्दू धर्म में सूर्यदेव का विशेष महत्व होता है प्रतिदिन सूर्याेदय होने पर भगवान भास्कर की विशेष पूजा अर्चना की जाती है इसके अलावा प्रतिदिन सूर्य पर जल अर्पित करने से कई तरह के लाभ और पुण्य की प्राप्ति होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यदेव महर्षि कश्यप के पुत्र है जबकि सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव महाराज हैं।

☸ किसी जातक की जन्मकुण्डली में सूर्य मेष राशि में 10 अंश का होने पर यह परम उच्च स्थिति में पहुँच जाता है सूर्य अपनी इस स्थिति में आकर और भी ज्यादा हो जाता है। इसके अलावा तुला राशि में यदि 10 अंश का सूर्य उपस्थित हो तो ऐसी स्थिति में वह नीच का गिना जाता है। यहाँ पर मेष राशि में सूर्य 0 से 10 अंश या डिग्री का हो तो ऐसे में यह मूल त्रिकोण का हो जाता है तथा सूर्य की पूर्ण दृष्टि सातवीं दृष्टि होती हैं।

☸ यदि कुण्डली में सूर्य की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है तो ऐसे में उस जातक को यश कीर्ति और मान-सम्मान मिलने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसके अलावा इसके खराब होने की स्थिति में पिता से बहुत अच्छे संबंध नही रहते तथा पिता से जातक का साथ भी छूट जाता है।

☸ यदि सूर्य किसी जातक की कुण्डली में मजबूत हो तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी सेवाओं में उच्च पद की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अन्य सरकारी नौकरियों के लिए भी सूर्य जिम्मेदार होता है। ऐसे जातकों के अंदर एक गजब सी नेतृत्व, विकास क्षमता विकसित होती है तथा समाज में उन्हें मान-सम्मान और प्रसिद्धि की प्राप्ति भी होती हैं।

☸ सूर्य यदि जन्म कुण्डली में अच्छा हो तो ऐसे जातकों मे भरपूर आत्मविश्वास होता है और यदि सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो जातक के आत्मविश्वास में निरन्तर कमी आती जाती है

 कुण्डली में सूर्य को बलवान बनाने के उपाय

☸ यदि आपकी कुण्डली में सूर्य अपनी अशुभ अवस्था में हो तो उसके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अपने घर की पूर्व दिशा को साफ-सुथरा करके रखना चाहिए
☸ सूर्य के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अपने पिता तथा पितातुल्य व्यक्तियों का हमेशा सम्मान करें प्रतिदिन उनके चरण स्पर्श करें।
☸ प्रतिदिन सूर्याेदय से पहले जगने की आदत डालें साथ ही स्नान करके साफ-सुथरे होकर सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में कुमकुम, लाल फूल तथा इत्र डालकर ही अर्घ्य दें।
☸ सूर्य के अशुभ प्रभावों से बचने और सूर्य को बलवान बनाने के लिए रविवार के दिन सूर्यदेव की उपासना करें तथा रविवार का व्रत रखें।
☸ पूजा करने के दौरान प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
☸ सूर्य देव को अपनी कुण्डली में बलवान करने के लिए गरीबों तथा जरूरतमंदों को गुड़, लाल पुष्प, तांबा या गेंहू का दान करें इससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
☸ यदि सम्भव हो पाये तो सूर्य के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष ज्योतिषिय सलाह से अवश्य धारण करें।
☸ सूर्यदेव की आराधना करते समय सूर्य का बीज मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
☸ अपनी कुण्डली में सूर्य के अशुभ प्रभावों को दूर करने तथा उसे हमेशा बलवान बनाये. रखने के लिए योग्य ज्योतिष की सलाह लेने के बाद ही माणिक्य रत्न धारण करें।