मन और माँ का कारक चन्द्रमा लाता है जीवन में कई अन्य प्रसिद्धियाँ

बात करें यदि हम चन्द्रमा की तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पांचवा सबसे विशाल उपग्रह है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार  चंद्रमा सबसे छोटा उपग्रह माना जाता है और यह पृथ्वी के सबसे करीब स्थित होता  है इसलिए मनुष्यों पर चन्द्रमा का प्रभाव भी उतना ही होता है। ऐसे में सभी योग्य ज्योतिषी किसी जातक की कुण्डली का विश्लेषण करते समय चन्द्रमा की स्थिति के बारे में विचार अवश्य करते हैं। चन्द्रमा व्यक्ति के मन का कारक माना जाता है तथा ज्योतिष में यह सभी नौ ग्रहों में से एक माना जाता है। मन का कारक होने के साथ-साथ चन्द्रमा माता, जातक की मानसिक स्थिति, व्यक्ति का मनोबल, द्रव्य वस्तुएं, यात्रा, सुख शांति, धन सम्पत्ति, रक्त, बायीं आँख तथा छाती का कारक माना जाता है। ग्रहों में चन्द्रमा को स्त्री का स्वरूप माना जाता है। भगवान शिव जी के मस्तक पर चन्द्रमा की उपस्थिति होने के कारण शिव जी को चन्द्रमा का देवता माना जाता है। चन्द्रमा कर्क राशि और रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र के स्वामी होते हैं। चन्द्रमा को सभी ग्रहों में सबसे तेज ग्रह माना जाता है जिसके कारण चन्द्रमा लगभग सवा दो दिनो में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है। इसके अलावा यह वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र, कन्या राशि में हस्त नक्षत्र और मकर राशि में श्रवण नक्षत्र को नियन्त्रित करता है। चन्द्रमा की किसी जातक की जन्मकुंडली में सातवीं दृष्टि होती है।

चन्द्रमा की स्थिति से मिलेगी मानसिक शांति

उच्च का चन्द्रमा
चन्द्रमा के प्रभाव से मिले शुभता की बात करें तो यदि किसी जातक की कुण्डली में चंद्रमा उच्च का होता है तो ऐसे जातक को अपनी माता से खूब प्यार और दुलार मिलता है। इसके अलावा उच्च स्थिति में जातक के मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह होता है ऐसा जातक यदि कोई काम करने की सोच लेते हैं तो वह करके ही रहते है। इस स्थिति में चन्द्रमा होने के कारण जातक की कल्पना करने की शक्ति भी बहुत गजब की होती है। यदि कोई जातक अपने माँ से बहुत दूर रहता है तो ऐसी स्थिति में उस जातक को माँ का उतना प्यार नही मिल पाता है।

नीच का चन्द्रमा
इसके विपरीत यदि कुण्डली में उपस्थित चन्द्रमा अपनी नीच स्थिति में हो तो ऐसे चन्द्रमा में जातक मानसिक रूप से अत्यधिक परेशान रहता है। जातक के मन में अपराधिक विचार आने लगते हैं जातक का मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता है। आत्मविश्वास में कमी आने लगती हैं। चन्द्रमा नीच का होने की स्थिति में जातक का किसी काम में मन नहीं लगता है वह कोई भी काम बहुत मन से नहीं कर पाता है। यह जातक दिल से बहुत कमजोर होता है तथा अचानक से कोई विपरीत परिस्थिति आने पर जातक जल्द ही घबरा जाता है।

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चंद्रमा के उदय और अस्त की स्थिति

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में उसके लग्न से बारहवें भाव में शुक्र ग्रह हो तो ऐसे जातक को राजयोग का सुख प्राप्त होता है इसके अलावा यदि कुण्डली में लग्न से सूर्य, चन्द्रमा हो और उसके बारहवें भाव में शुक्र ग्रह हो तो ऐसा जातक हमेशा धनवान होता है।

शरीर के हिस्सों पर प्रभाव
चन्द्रमा किसी भी जातक के मन का कारक होता है जिसके कारण  शरीर के और अंगों की अपेक्षा मन पर ज्यादा प्रभाव होता है। इसके अलावा शरीर में स्थित द्रव्य जैसे रक्त, मूत्र, पाचक रस, तथा पाचन क्रिया पर भी चन्द्रमा का प्रभाव होता है। चंद्रमा की रात्रि में प्राकृतिक रौशनी मिलने के कारण दृष्टि और आँख पर भी पूरा-पूरा अधिकार चन्द्रमा का ही होता है। चन्द्रमा का प्रभाव पुरुषों की बायीं आँख तथा स्त्रियों की दायीं आँख पर तथा वक्षस्थलों पर भी चंद्रमा का प्रभाव है।

मनुष्य की कफ प्रवृत्ति
चंद्रमा जातक के शरीर में कफ प्रवृत्ति तथा जल तत्व का भी प्रतिनिधित्व करते हैं इसके अलावा मनुष्यों के शरीर में द्रव्य पदार्थों की मात्रा, बल तथा बहाव को भी नियंत्रित करता है। यदि कुण्डली में चन्द्रमा का प्रबल प्रभाव हो तो ऐसे जातक सामान्य रूप से अधिक वजन वाले हो सकते है इसी कारणवश चन्द्रमा का जन्म तत्व पर नियन्त्रण होता है। ऐसे जातकों की सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा अत्यधिक नींद लेने की प्रवृत्ति बन जाती है। कुछ जातक ऐसे होते हैं जिन्हें काम कम करने की आदत होने या फिर काम का अवसर कम मिल पाने के कारण चर्बी की मात्रा बढ़ जाती है। अतः ऐसे जातको को सामान्य रूप से कफ और शरीर के द्रव्यों से सम्बन्धित कोई न कोई रोग या फिर मानसिक परेशानियों से सम्बन्धित रोग भी हो जाते हैं।

चन्द्रमा के अशुभ होने की स्थिति में बीमारियाँ

आपको यह बात भली-भाँति पता है कि चंद्रमा का किसी व्यक्ति के मन पर प्रभाव अत्याधिक रहता है इसी कारण जातक को चन्द्रमा खराब होने की स्थिति में मानसिक रोग, होना, अजीब तरह का व्यवहार करना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन दिखना, उन्माद की बीमारी से परेशान रहना इसके अलावा पाचन से सम्बन्धित शिकायत, बहती हुई वस्तुओं पर अधिकार जैसे खाँसी सर्दी, जुकाम, कफ सम्बन्धित बीमारियां,  दृष्टि दोष, फेफड़ों में सूजन तथा हाइड्रोसील की बीमारी चन्द्रमा की कुण्डली में खराब या कोई गम्भीर दो उत्पन्न होने के कारणा होती हैं।

चंद्रमा का कारोबार पर अधिपत्य

किसी भी जातक की कुण्डली में चन्द्रमा हमेशा जल से ही जुड़ा हुआ होता है। इसलिए चंद्रमा का अधिपत्य कारोबार क्षेत्र में सिंचाई जल विभाग, मछली, नौसेना, मोती इत्यादि से सम्बन्धित कारोबार को देखा जाता है। इसके अलावा बहती हुई वस्तुओं से सम्बन्धित होने के कारण कैरोसिन और पेट्रोल के कारोबार पर भी इसका पूरा नियंत्रण होता है। चन्द्रमा को स्नेह का कारक भी माना जाता है जिसके कारण फूल, नर्सरी व रसो से जुड़ा हुआ कारोबार भी चन्द्रमा के अच्छे और बुरे प्रभावों से देखा जाता है।

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कुण्डली में चन्द्रमा का गुण

बात करते हैं किसी जातक की कुण्डली में चन्द्रमा के गुणों की तो इसकी रात्रि में रोशनी शीतल होने के कारण चन्द्रमा को शीतलता, ठंडक, पानी से जुड़ा हुआ, हवा में स्थित भाप, गति में बदलाव तथा सैर करने कीे चाह होना भी चंद्रमा के गुणों में से एक माना जाता है। यदि चंद्रमा ज्योतिष के विश्लेषण के अनुसार कालपुरुष की गणना में चतुर्थ भाव में उपस्थित है तो कुण्डली के इस भाव मे भवन, भूमि, मातृभूमि तथा देशप्रेम की भावना की गणना भी चंद्रमा से ही कि जाती है।

चन्द्रमा का आधिकारिक स्थान

यदि हम किसी जातक की कुण्डली में चन्द्रमा के अधिकारिक स्थान की बात करें तो चंद्रमा के शीतलता का कारक होने के कारण पानी से सम्बन्धित क्षेत्र, टंकिया, कुंआ, तालाब, हिल स्टेशन, हरे पेड़-पौधों से भरा हुआ जंगल, दूध से जुड़ा हुआ गाय- भैंसों का तबेला वाला स्थान, फ्रिज, पीने वाला पानी रखने का स्थान तथा हैंडपंप इत्यादि का स्थान चन्द्रमा को माना जाता है तथा इसके शुभ और अशुभ प्रभाव भी इन्हीं स्थानों की गणना की जाती है।

इससे सम्बन्धित उत्पादन क्षेत्रों में होता है चन्द्रमा का अधिपत्य

चंद्रमा एक ऐसा उपग्रह है जिसकी गति अत्यधिक तेज होती है इसलिए जल्दी ही बढ़ने वाली सब्जियां जैसे रसदार फल, गन्ना, केसर, शकरकंद और मक्का का उत्पादन इसके अधिकार क्षेत्र में ज्यादा होता है। इसके अलावा चन्द्रमा रंगों का भी कारक होता है इसलिए निकिल चाँदी, मोती, कपूर, मत्स्य निर्माण, चाँदी में जड़ा हुआ मोती इत्यादि ऐसी सभी वस्तुएं बनाने का कारोबार भी चन्द्रमा की कुण्डली से स्थिति और विश्लेषण द्वारा ही देखा जाता है।

पशु पक्षियों और सब्जियों पर चन्द्रमा का अधिपत्य

कुण्डली में चंद्रमा का विश्लेषण करते समय पालतू जानवरों कुत्ता, बिल्ली, मछली, कछुआ, बत्तख, केकड़ा तथा सफेद चूहे के शरीर पर भी चंद्रमा का अधिकार माना जाता है। इसके अलावा जल में पनपने वाली सब्जियों पर भी चंद्रमा का विशेष अधिकार होता है। इसलिए गणना करते समय इन सब पर भी विचार करना उतना ही आवश्यक होता है।

चंद्रमा से होती है यश की प्राप्ति

चंद्रमा की कुण्डली में शुभ स्थिति से जातक को यश की पूर्ण प्राप्ति होती है। इसके अलावा इसकी शुभता से जातक का शौक, सौंदर्य, ज्योतिष विद्या में रूचि, राज, एश्वर्य संपत्ति, वाहनसुख , प्रसन्नता हृदय की चेतना शक्ति, सुगंधित वस्तुओं का शौक इत्यादि अन्य चिजों से भी यश की प्राप्ति होती है।

कुण्डली में उपस्थित चन्द्रमा को बलवान बनाने के उपाय

☸ यदि किसी जातक की कुण्डली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो तो उसके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कम से कम 10 तथा अधिक से अधिक 54 सोमवार का व्रत रखना चाहिए तथा चंद्रमा की श्रद्धापूर्वक पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से चन्द्रमा अत्यधिक मजबूत होने के साथ-साथ मानसिक शांति भी देगा।
☸ चन्द्रमा के कमजोर होने की स्थिति में उन्हें अपने बड़े बुजुर्गों और अपने मित्रों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए तथा अपनी संतान का अच्छे से पालन पोषण करने से चंद्रमा की कुण्डली में स्थिति मजबूत होती है।
☸ सोमवार के दिन किसी ब्राह्मण या ब्राह्मण पात्र व्यक्ति को घी वाला कलश, सफेद वस्त्र दही, शंख, मोती या चाँदी की धातु दान करने से भी कुण्डली में बने हुए चन्द्रमा से सम्बन्धित दोष भी जल्द ही दूर हो जाते हैं।
☸ चंद्रमा की स्थिति कुण्डली में मजबूत करने के लिए सोमवार के दिन सफेद वस्त्र धारण करके साफ-सुथरा होने के बाद ओम श्रां भी औ सः चंद्राय नमः मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 3, 5, या फिर 11 माला का जाप करना चाहिए।
☸ प्रतिदिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से भी कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव स्वयं ही चंद्रशेखर का एक रूप हैं। उन्होंने चंद्रमा को अपने मस्तक पर ही धारण किया हुआ है। यदि आप अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में माँ का चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेने की प्रक्रिया शामिल करें तो भी आपकी जन्मकुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति पहले की अपेक्षा मजबूत होती जाती है.
☸ नियमित रूप से बरगद के पेड़ में जल या पानी डालें इसके अलावा बिना नमक के दही, दूध, चावल, चीनी और खाद्य पदार्थों  को खाने से भी चंद्रमा मजबूत होते हैं।
☸ घर की नींव बनवाते समय उसमें थोड़ा सा चाँदी का टुकड़ा रखने से भी चंद्रमा की स्थिति आपकी कुण्डली में मजबूत होती है।
☸  चंद्रमा की स्थिति मजबूत करने के लिए रात को बहुत देर रात तक नहीं जागना चाहिए देर रात तक जागने से कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो जाती है।
☸ व्यवसायिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने और व्यवसाय में लाभ पाने के लिए भी आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं।
☸ यदि आपकी कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति कमजोर है तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा को प्रबल बनाने के लिए उसका रत्न मोती किसी योग्य ज्योतिष की सलाह से धारण कर सकते हैं और यदि मोती धारण करना संभव न हो पाये तो चंद्रमा का उपरत्न यानि चंद्रकांत मणि को धारण कर सकते हैं।
☸ प्रत्येक सोमवार को छोटी कन्याओं को खीर खीलाएँ, रात को सोते समय दूध और खीर का सेवन न करें और अपने पर्स में एक चांदी का चैकोर टुकड़ा अवश्य रखें  ऐसा करने से चंद्रमा आपकी कुण्डली में मजबूत होता है। 

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