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सावधान, हो सकती है जेल यात्रा

सावधान, हो सकती है जेल यात्रा

सावधान, हो सकती है जेल यात्रा

कुण्डली में कैसे बनते हैं जेल यात्रा के योग तथा इसे दूर करने के उपाय

किसी भी जातक के लिए जेलयात्रा का योग एक ऐसी घटना है जिसका सामना वह अपने पूरे जीवनकाल में नही करना चाहता है। किसी भी जातक की कुण्डली में जेलयोग को ही कारावास योग या बंधन योग के नाम से जाना जाता है। जेल यात्रा योग एक बहुत ही अशुभ योग हैं जैसा कि इसके नाम के द्वारा ही जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुण्डली में ग्रह स्थिति, महादशा, अंतर्दशा तथा अशुभ ग्रहों की बलवान स्थिति कई बार निर्दाेष जातकों को भी जेल पहुंचा देता है ऐसे में आपको कुण्डली का विश्लेषण अवश्य कराना चाहिए ताकि सही समय पर उपाय किये जा सके तो आइये हम प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा समझते है कि कुण्डली की कौन-सी ग्रह स्थिति बनाती है जेलयात्रा का योग-

जेलयात्रा का योग

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, मंगल और राहु जेल योग का निर्माण करते हैं। इसके अलावा लग्न में द्वादश, षष्ठेश एवं अष्टमेश भी कारावास योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही लग्नकुण्डली में महादशा, अंतर्दशा भी अशुभ ग्रह पर हो तो जेलयाता का योग बनता है लग्न कुण्डली में छठे, आठवे एवं बारहवे भाव का स्वामी ग्रह जेल योग का निर्माण करते हैं।

जन्मकुण्डली में मंगल एवं राहु

जब किसी जातक की कुण्डली में मंगल और राहु युति करके अंगारक योग का निर्माण कर रहे हों तो जातक का स्वभाव बहुत ही उग्र एवं हिसक होता है जिसके कारण रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ अधिक तालमेल नहीं रहता है तथा कई बार लड़ाई – झगड़े की स्थिति बन जाती है। अंगारक योग मनुष्यों को हिंसक एवं अपराधी बनाता है और सामाजिक कार्यों के कारण जातक जेल का सामना करता है। जातक को अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।

कुण्डली में कारावास योग कैसे निर्मित होता है 

☸जब किसी जातक की कुण्डली में छठें, आठवें एवं बारहवें भाव का एक दुसरे से संबंध बन रहा हो तो जेल यात्रा का निर्माण होता है। 
☸ यदि मेष, मिथुन, कन्या अथवा तुलालग्न हो तथा द्वितीय, द्वादश, पंचम एवं नवम भाव में अशुभ ग्रह हो तो जातक जेल जा सकता है।
☸ यदि कुण्डली में राहु और मंगल किसी भाव में युति कर रहे हो और उनका संबंध 6 या 12 से हो तो जेल योग का निर्माण होता है।
☸ कुण्डली में मंगल, चतुर्थेश के साथ उपस्थित होकर कुण्डली के छठे भाव में हो तो जेल योग बनता है।
☸ कुण्डली में राहु अष्टमेश के साथ हो तो और अष्टमेश एवं आठवें भाव में किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो किसी अपराध के कारण जेल जाने का योग बन सकता है।
☸ यदि किसी जातक की कुण्डली में शनि मंगल एवं राहु की युति या दृष्टि संबंध हो तो कारावास योग बनता है तथा मंगल और शनि एक दूसरे से दृष्ट हो तो लड़ाई झगड़े की स्थिति बनती है।
☸यदि शनि, मंगल, सूर्य और राहु केतु जैसे ग्रहों के अतिरिक्त निर्बल चन्द्रमा और अशुभ बुध के कारण भी जेल जाने का योग बनता है।
☸यदि वृश्चिक लग्न हो और द्वितीय, द्वादश, पंचम और नवम भाव में अशुभ ग्रह हो तो जेल में जाने की सम्भावना अधिक रहती है।
☸ जब कुण्डली के बारहवें भाव में अष्टमेश के साथ यदि शनि और राहु या दोनों विराजमान हों तो न्यायालय में हारने के बाद जेल जाना पड़ता है।

☸ यदि अशुभ ग्रह 2, 5, 7, 9 और 12 वें भावों में उपस्थित हो तो जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे में लग्न मे मेष, वृष, अथवा धनु राशि हो तो कठोर दण्ड मिल सकता है।
☸यदि कर्क, मकर या मीन लग्न की कुण्डली हो और द्वितीय एव द्वादश भावों में अशुभ ग्रह विराजमान हो तो जातक राजकीय भवन में नजर बन्द रहता है जैसे अनेक राजनेताओं के साथ हो जाता है। ऐसे में यदि पंचम अथवा नवम स्थित कोई शुभ ग्रह लग्न को देख रहा हो तो जातक हथकड़ी नही पहनता है।
☸ यदि लग्नेश और षष्ठेश शनि के साथ युति करके केन्द्र या त्रिकोण भाव में हो तो जेलयोग बनता है।
☸  यदि शुभ ग्रहों के कारण जेलयोग बन रहा हो तो जातक बिना अपराध किये जेल जाता है।

उपाय

☸इस परेशानी से मुक्ति पाने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंगलवार एवं शनिवार को पवनपुत्र भगत हनुमान जी की आराधना करें। शनिदेव की पूजा के साथ-साथ काली उड़द, छाता, कम्बल और दान करें गरीबों की सेवा करें।
☸ अपने कुल देवी या देवता के स्थान पर जाकर एक निम्बू लेकर अपने ऊपर से 21 बार कर उसे दो भागों में काट दें उसके पश्चात उसे दो दिशा में फेंक दें।
☸ इसके बाद भगवान से क्षमा मांगकर पूजा-पाठ करवाएं।
☸ सरसों के तेल मे चेहरा देखकर तेल लेने आये व्यक्ति को शनिवार के दिन दान करें। जटा वाला नारियल अपने सिर से दक्षिणावर्त उतारकर बहते जल में प्रवाहित करें।

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