कुण्डली में कई प्रकार के शुभ एवं अशुभ योग बनते है जिस प्रकार जातकों की कुण्डली का विश्लेषण किया जाता है ठीक उसी प्रकार देश, सप्ताह आदि का भी पूर्ण विश्लेषण किया जाता है। इस बार देश की कुण्डली में ऐसे योग का निर्माण हो रहा है जिससे पूरे भारत में त्राहिमाम-त्राहिमाम मच सकता है ठीक ऐसा ही योग 147 वर्ष पहले सन् 1874 में बना था। इस योग के कई नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे जो हमारे लिए मुसीबतें उत्पन्न करते है आज इस योग की सम्पूर्ण जानकारी हम प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी द्वारा समझेंगे जिनकी कई भविष्यवाणियाँ एकदम सटीक एवं सत्य हुई है।
क्या है अग्नि वायु युद्ध
ज्योतिष शास्त्र में अग्नि एवं वायु को मित्र माना जाता है क्योंकि अग्नि के जलने में वायु सहायता करती है परन्तु कई प्रकार यही वायु अग्नि को बुझाने का कार्य भी करती है। इस स्थिति को ही अग्नि वायु युद्ध कहते है। इस योग के कारण दंगे-फसाद, अनैतिकता, अहिंसा, सामाजिक अत्याचार, सम्प्रदायिक मामलें अत्यधिक बढ़ जाते है।
1874 में बने योग में शनि देव की नीच दृष्टि राहु पर थी तथा सूर्यदेव भी वहीं विराजमान थे और देव गुरु बृहस्पति का भी प्रभाव पड़ रहा था जिसके कारण कई अनैतिक घटनाए हुई। ठीक इसी प्रकार का योग 15 अप्रैल 2023 को बन रहा है शनि की नीच दृष्टि राहु पर पड़ रही है। शनि की न्यायिक दृष्टि पूरे भारत देश पर पड़ेगी तथा सूर्य भी अपनी उच्च राशि में विराजमान होंगे जिसके कारण जनता पर कुछ न कुछ परेशानियाँ बनी रहेगी तथा पूरी जनता इन परेशानियों के कारण मानसिक रुप से पीड़ित होगा।
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कब बनता है अग्नि वायु का योग
कुण्डली में यह योग तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के नक्षत्र में चले जाते है विशेषकर गुरु, शनि, राहु-केतु एवं रक्तपात का कारक मंगल ग्रह। यह योग 147 वर्ष पहले सन् 1874 में बना था। उस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी का पूर्णतयः पतन हो गया। वर्तमान वर्ष में यह योग 15 अप्रैल को बन रहा है जब शनि की नीच दृष्टि राहु पर होगी। राहु राजनीति का कारक माना जाता है जिसके कारण राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव अधिक रहेगा। शनि की न्यायिक दृष्टि के कारण जो लोग भारत को नकारात्मक रुप से प्रभावित करना चाहते तो उनका पतन हो सकता है।
इस योग का प्रभाव 15 अप्रैल 2023 से लेकर 15 मई तक अधिक रहेगा। कुछ संघर्षों के बाद इन सभी परेशानियों से राहत मिलेगी तथा मेदिनी ज्योतिष के अनुसार युग परिवर्तन हो सकता है अशांति बढ़ेगी लेकिन अन्तः सब अच्छा हो जायेगा।
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