सावन अमावस्या, जिसे श्रावणी अमावस्या या हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है, इस साल 4 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन 3 अत्यंत शुभ योग भी बन रहे हैं: रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग। इन योगों में किए गए कार्य शुभ फलदायी माने जाते हैं।
सावन अमावस्या 2024 तिथि
तिथि शुरू: 3 अगस्त को 3:50 PM
तिथि समाप्त: 4 अगस्त को 4:42 PM
मुख्य तिथि: 4 अगस्त, रविवार
सावन अमावस्या पर शुभ योग
- रवि पुष्य योग: 06:01 AM से 1:26 PM तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:01 AM से 1:26 PM तक
- सिद्धि योग: प्रातःकाल से 10:38 AM तक
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सावन अमावस्या 2024 के मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 4:26 AM से 5:14 AM
अमृत काल: 6:39 AM से 8:21 AM
अभिजीत मुहूर्त: 12:05 PM से 12:57 PM
विजय मुहूर्त: 2:41 PM से 3:35 PM
स्नान-दान का समय
स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में करना अति उत्तम है। अगर यह संभव न हो, तो सूर्योदय के बाद रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में स्नान करें।
दान: स्नान के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को कपड़ा, अन्न, फल, द्रव्य आदि का दान करें।
पितरों के लिए तर्पण का समय
स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और जल, काले तिल, सफेद फूल और कुशा से पितरों के लिए तर्पण करें। कुशा के पोरों से दिया गया तर्पण पितरों को प्राप्त होता है और वे प्रसन्न होते हैं। तर्पण करते समय पवित्री पहनें। तर्पण से पितरों को जल प्राप्त होता है और वे प्रसन्न होते हैं क्योंकि पितृ लोक में जल की कमी होती है।
सावन अमावस्या का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है और इस महीने में पूजा, पाठ और उपाय भोग और मोक्ष की कामना से किए जाते हैं। अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं ताकि वे अपने वंश से तृप्त हो सकें। विधि विधान से पूजा, पाठ, दान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
इस सावन अमावस्या पर भगवान शिव से अपने पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें और शुभ योगों में स्नान-दान और तर्पण करें ताकि पितरों का आशीर्वाद और पुण्य प्राप्त हो सके।
शिव पूजन से होगा लाभ
हरियाली अमावस्या के दिन पति-पत्नी को मिलकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए, जिससे शादीशुदा जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन दूध में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और ॐ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त होता है।