सावन के महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई को मनाया गया था तथा दूसरा सावन प्रदोष व्रत 28 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जायेगा। प्रदोष व्रत के साथ ही श्रावण का सोमवार भी समाप्त हो जायेगा। सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत भी कहलायेगा। सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है।
सावन के अंतिम सोमवार के दिन बन रहे हैं एक से बढ़कर एक योग
सावन का अंतिम सोमवार बेहद खास रहने वाला है क्योंकि अंतिम सोमवार के दिन ही श्रावण माह का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जायेगा जिससे भक्तों को दोगुना लाभ प्राप्त होगा साथ ही आठवें सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि और त्रिपुष्कर योग का भी निर्माण हो रहा है। यदि आपने अब तक शिव जी का जलाभिषेक नही किया है तो आखिरी सोमवार को महादेव की विधिपूर्वक पूजा करके अपने कष्टों से राहत पा सकते हैं।
सोम प्रदोष व्रत के श्रेष्ठ लाभ
आज के दिन शिव जी की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही सभी बाधाएँ दूर हो जाती है। पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करने संतान की इच्छा भी पूरी होती है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का दूध से अभिषेक करें और शिवलिंग पर सफेद रंग के पुष्पों की माला अर्पित करें।
प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण विधि
☸ प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान करें।
☸ स्नान के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनें।
☸ अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
☸ यदि संभव हो तो व्रत रखें।
☸ भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें।
☸ भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
☸ इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।
☸ भगवान शिव के लिए भोग चढ़ाएं।
प्रदोष व्रत मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भः- 28 अगस्त, सायं 06 बजकर 21 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्तः- 29 अगस्त, दोपहर 02 बजकर 47 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्तः- शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात्रि 09 बजे तक।