सावन माह में शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है ऐसा कहा जाता है जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव सें इस माह मे शिव जी की पूजा करते हैं उनको विशेष लाभ प्राप्त होता है तथा उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है सावन का माह इतना विशेष क्यों होता है ? क्यो शिव जी को प्रिय है यह माह तो आज आपके इन्हीं सभी सवालो का सटीक जवाब हम दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा जानेंगे।
भगवान शिव को प्रिय है सावन
पौराणिक मान्यताओं एवं कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सती ने महादेव को हर जन्म में पाने का प्रण किया था जिसके लिए उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उसके पश्चात कई वर्षों के बाद सती माता ने हिमालय राज के घर पार्वती के रुप में जन्म लिया था। माता पार्वती ने सावन माह में ही भगवान शिव का पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसलिए भगवान शिव को सावन का माह प्रिय है।
आज के दिन सो जाते है देवो के देव महादेव
हम सभी देवशयनी एकादशी से भली-भाँति परिचित है यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है तथा देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते है तथा चतुर्दशी के दिन महादेव भी सो जाते है उस दिन को शिव श्यनोत्सव के नाम से जाना जाता है। इस समय अवधि में भगवान शिव अपने दूसरे रुप रुद्रावतार में सृष्टि का संचालन करते है। भगवान रुद्र को बलवान में सबसे बलवान कहा गया है। जिसकी पुष्टि ऋग्वेद में की गई है।
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शिव जी के रुद्राभिषेक का महत्व
ऐसा माना जाता है रुद्र देव जितने जल्दी प्रसन्न हो जाते है उतने ही शीघ्रता से रुष्ट भी हो जाते है जब सृष्टि के संचालक शिव जी एवं ब्रह्मा जी सो जाते है तब रुद्र देव पर सृष्टि का भार आ जाता है। इसलिए सावन के महीने भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है जिसके फलस्वरुप रुद्र देव प्रसन्न रहें।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
सावन माह में भक्त कई प्रकार के पूजा एवं व्रत करते है उनमे से कुछ पूजा एवं व्रत सुहाग के लिए होता है। इन्ही व्रतों मे से प्रसिद्ध व्रत है मंगला गौरी और कोकिला। यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग के लिए रखती है। मंगला गौरी का व्रत सावन में मंगलवार के दिन रखा जाता है। इस व्रत में माता पार्वती की आराधना करते है जिससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा साथ ही पति की आयु भी लम्बी होती है। इसके अलावा आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर सावन मास की पूर्णिमा तक कोकिला व्रत भी किया जाता है।
भगवान शिव पहली बार आये अपने ससुराल
ऐसा माना जाता है भगवान शिव पहली बार सावन के महीने में ही अपने ससुराल आये थें तथा इसी माह में समुन्द्र मंथन से निकले हलाहल विष का सेवन किया था। सावन माह के दौरान भगवान शिव पृथ्वी लोक पर पहली बार आयें थे तब उनके भक्तों ने उनका स्वागत बड़े ही धूम-धाम से किया था। इसलिए भी यह महीना शिव जी को प्रिय है। इसके अलावा इस माह में मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने शिव जी की कठोर तपस्या से वरदान प्राप्त किया था साथ ही यमराज भी नत मस्तक हो गये थे।
सावन माह जुड़ा है शिव जी से
सावन माह के प्रारम्भ सोमवार से कार्तिक मास की अमावस्या तक रोटक नामक व्रत किया जाता है तथा यह व्रत सिद्धि प्राप्त करने के लिए विशेष होता है।
शिव पूजा में रखें इन सभी बातों का ध्यान एवं कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
☸ पूजा करते समय अपना मुख उत्तर की ओर रखें।
☸ कपूर से निर्मित शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
☸ सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अष्ट धातु से निर्मित शिवलिंग की पूजा करें।
☸ शत्रु के नाश के लिए शीशे से निर्मित शिवलिंग उत्तम होता है।
☸ यदि सुखों में वृद्धि चाहते है तो कासें अथवा पीतल की शिवलिंग की पूजा करें।
☸ समाज में यश, मान-सम्मान, कीर्ति के लिए चाँदी की शिवलिंग की पूजा करें।
☸ धन, वैभव, शिक्षा के लिए पारस से निर्मित शिवलिंग की पूजा करें।