सूर्य संक्रान्ति का ही सिंह संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद महीने में जब सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करता है तो उसे सूर्य संक्रान्ति कहते है। तथा दक्षिण भारत मे इस संक्रान्ति को सिंह संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य देव एवं भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गाय का घी खाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। घी को वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक माना जाता है। सूर्य देव को पंचदेवो मे से एक माना जाता है। सिंह संक्रान्ति के दिन सूर्य पूजा का बहुत महत्व होता है। तथा इस दिन कई प्रकार के पकवान बनाये जाते है। जिसमें दल की भरवा रोटी, खीर का अधिक महत्व है। इस दिन घी खाने से बुद्धि, ऊर्जा, तेज याददाश्त मे वृद्धि होती है।
सिंह संक्रान्ति की पूजा विधिः-
☸ इस दिन विष्णु भगवान, सूर्य देव एवं नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है।
☸ इस दिन भक्त पवित्र नदी में स्नान करने के लिये जाते है।
☸ स्नान करने के पश्चात देवताओं को नारियल पानी और दूध से अभिषेक किया जाता है।
☸ ध्यान रखें कि पूजा के लिए ताजा नारियल के पानी का ही प्रयोग करें।
☸ इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा भी की जाती है।
☸ इस दिन पूजा के बाद गरीबों में दान पुण्य का कार्य किया जाता है।
☸ उसके बाद देवताओं को फूल, फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ अर्पित करें।
सिंह संक्रान्ति व्रत का शुभ मुहूर्तः-
सिंह संक्रान्ति का पुण्य कालः- 05ः51 से 07ः37
सिंह संक्रान्ति का महा पुण्य कालः- 05ः51 से 07ः97 तक
सिंह संक्रान्ति की शुभ तिथिः- 17 अगस्त दिन बुधवार