सूर्य की महादशा का फल

सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती है। सूर्य की महादशा मे जातक को देश-विदेश की यात्रा करनी पड़ती है तथा इन यात्राओं के माध्यम से धन और मान अर्जित करता है। अगर वह राज्य कर्मचारी है तो उसकी पदोन्नति भी होती है तथा वह प्रभावशाली व्यक्तियों से मेल-मिलाप के अवसर भी प्राप्त करता है और वह वाहन सुख मे बढ़ोत्तरी होती है। उपरोक्त सभी फल सूर्य के शुभावस्था में होने पर ही प्राप्त होते है। सूर्य सम्पूर्ण जगत की आत्मा है। वैदिक ज्योतिष मे सूर्य देवता को नव ग्रहों का राजा कहा गया है।
💠 यदि सूर्य उच्च राशि का हो तो अपनी दशा मे जातक को धन, पुत्र, भूमि, शौर्य, कीर्ति एवं राज्यस्तर पर सम्मानित करता है।
💠 यदि सूर्य पंचमेश से युक्त हो तो जातक को सन्तान लाभ की प्राप्ति होती है और धन तथा कुटुम्ब में वृद्धि भी होती है और यदि वह तृतीयेश से युक्त हो तो भ्रात सुख में कमी आती है। चतुर्थेश से युक्त हो तो कई वाहनों का सुख प्राप्त होता है।
💠 यदि सूर्य दशम स्थान से युक्त हो तो अवश्य ही राज्यकृपा की प्राप्ति होती है तथा धन मान एवं प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है और यदि जातक सेना में नौकरी करता है तो उसे सेना की कमान संभालने का अवसर भी मिलता है।

सूर्य महादशा के शुभ फल
यदि लग्न कुण्डली मे सूर्य कारक ग्रह है तो तथा सूर्य शुभ स्थिति में है तो जातक/जातिका को निम्न फल की प्राप्ति होती है।
💠 कार्य व्यापार में लाभ।
💠 धन का आगमन।
💠 पदोन्नति मे लाभ।
💠 मकान, वाहन, भूमि में लाभ।
💠 पुत्र की प्राप्ति ।

सूर्य की महादशा में अशुभ फल
यदि लग्न कुण्डली में सूर्य एक अकारक ग्रह हों और अशुभ भाव में स्थित हो तो जातक/जातिका को निम्न फल की प्राप्त होती है।
💠धन तथा मान का हानि होती है।
💠 नेत्र के रोग से वह परेशान रहेगा।
💠 राज्य से दंड का भय होता है।
💠 पिता के साथ सम्बन्ध खराब रहते है।
💠 जातक को पित्त सम्बन्धी समस्याएं झेलनी पड़ती है।
💠 वाहन, मकान के सुख में कमी आती है।

सूर्य के कुप्रभाव से बचने के उपायः-
यदि लग्न कुण्डली मे सूर्य मारक है तो सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करें।
💠 पिता व अपने गुरुओं का सम्मान करें।
💠 बिना किसी अंताराल के सूर्य को अर्ग दे।
💠 सूर्योदय के समय ओम सूर्याय नमः का 108 बार नियमित जाप करें।
💠 आदित्य हृदय स्त्रोत का नियमित पाठ करें।
💠 घर की पूर्व दिशा सूर्य देवता की होती है। अतः इसे स्वच्छ रखें।
💠 रविवार का व्रत रखें।

Note- ध्यान रखें यहां हमने केवल सूर्य की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है। किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई भी रत्न धारण करने से पूर्व किसी ज्योतिषीय  की सलाह अवश्य लें।

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