सूर्य ग्रहण 2024: 2 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और उसका ज्योतिषीय महत्व

सूर्य ग्रहण 2024: 2 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और उसका ज्योतिषीय महत्व

साल 2024 में दूसरी बार सूर्य ग्रहण का अद्भुत खगोलीय घटना घटित होने जा रही है। यह ग्रहण 2 अक्टूबर को लगेगा और इसका धार्मिक, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व व्यापक है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका प्रभाव दुनिया के कई हिस्सों में देखा जाएगा। इस लेख में हम इस ग्रहण से जुड़े धार्मिक और ज्योतिषीय पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, इसके संभावित प्रभावों और सूतक काल की स्थिति पर भी बात करेंगे।

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सूर्य ग्रहण 2024: 2 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और उसका ज्योतिषीय महत्व

सूर्य ग्रहण का खगोलीय महत्व

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की किरणों को आंशिक या पूर्ण रूप से रोक लेता है। इस बार का सूर्य ग्रहण एक “कंकण सूर्य ग्रहण” (Annular Solar Eclipse) होगा, जिसमें चंद्रमा का आकार पृथ्वी से देखने पर सूर्य से छोटा दिखेगा। परिणामस्वरूप, सूर्य पूरी तरह से ढका नहीं जाएगा और उसके चारों ओर एक चमकदार रिंग या “रिंग ऑफ फायर” दिखाई देगी। यह खगोलीय घटना उस समय घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ा दूर होता है, जिससे उसका आकार अपेक्षाकृत छोटा दिखता है और वह सूर्य को पूरी तरह ढकने में असमर्थ रहता है। 

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सूर्य ग्रहण 2024: 2 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और उसका ज्योतिषीय महत्व

सूर्य ग्रहण और इसका पथ 

हालांकि, यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा लेकिन यह दुनिया के कुछ हिस्सों में साफ दिखेगा, जैसे दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में। चिली, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका के लोगों को यह अद्भुत दृश्य देखने का अवसर मिलेगा। यह ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 09:13 बजे से शुरू होकर 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि 03:17 बजे समाप्त होगा। इस पूरे समय में ग्रहण की कुल अवधि 6 घंटे 4 मिनट की होगी।

ग्रहण का धार्मिक महत्व

भारतीय संस्कृति और धर्म में ग्रहण का महत्व अत्यधिक है। सूर्य ग्रहण को सनातन धर्म में विशेष महत्व दिया गया है और इसका धार्मिक दृष्टिकोण से गहरा अर्थ है। सूर्य ग्रहण से जुड़े विभिन्न धार्मिक कृत्यों और मान्यताओं का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों में ग्रहण के समय किए गए दान, तप, ध्यान और धार्मिक अनुष्ठान का फल अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसी कारण से ग्रहण के दौरान विशेष पूजा, दान और जप का विधान होता है। 

साल 2024 का यह सूर्य ग्रहण आश्विन अमावस्या के दिन लगेगा, जिसे सनातन धर्म में पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। आश्विन अमावस्या को पितृपक्ष समाप्त होता है और यह दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का अंतिम अवसर होता है। ग्रहण और अमावस्या का यह संयोग इस दिन को और भी विशेष बना देता है। हालाँकि भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। 

सूर्य ग्रहण और सूतक काल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। सूतक काल में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान वर्जित माने जाते हैं। इसके अलावा सूतक काल के दौरान भोजन और पेय पदार्थों का सेवन भी वर्जित होता है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। 

हालांकि, इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए सूतक काल का पालन करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह स्थिति केवल उन क्षेत्रों में लागू होगी जहाँ ग्रहण दृश्य होगा, जैसे दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर और दक्षिण अफ्रीका के कुछ हिस्सों में।

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से उन लोगों पर होता है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या जिनकी राशि में ग्रहण लग रहा होता है। इस बार का सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगेगा, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जिनकी कुंडली में ये ग्रह स्थित हैं। इसके अलावा ग्रहण के समय राहु की सीधी दृष्टि सूर्य, बुध और केतु पर रहेगी जिससे इन ग्रहों का प्रभाव और भी बढ़ जाएगा। 

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ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

सूर्य ग्रहण का अलग-अलग राशियों पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि इस सूर्य ग्रहण का आपकी राशि पर क्या प्रभाव हो सकता है:

मेष राशि (Aries): मेष राशि के जातकों को इस दौरान अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। कामकाज में रुकावटें आ सकती हैं, इसलिए धैर्य से काम लें।

वृषभ राशि (Taurus): इस राशि के लोगों को व्यापार और वित्तीय मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता है। किसी भी प्रकार की नई योजना शुरू करने से पहले सोच-समझकर निर्णय लें।

मिथुन राशि (Gemini): मिथुन राशि के जातकों के लिए यह समय करियर और व्यक्तिगत जीवन में उतार-चढ़ाव वाला हो सकता है। रिश्तों में तनाव की संभावना है, इसलिए संवाद में सतर्कता बरतें।

कर्क राशि (Cancer): कर्क राशि के जातकों को इस दौरान परिवारिक मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक मामलों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

सिंह राशि (Leo): सिंह राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। कार्यस्थल पर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए सतर्क रहें।

कन्या राशि (Virgo): कन्या राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ग्रहण आपकी राशि में लगेगा। करियर में रुकावटें आ सकती हैं और स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है।

तुला राशि (Libra): तुला राशि के जातकों के लिए यह समय आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतने का है। किसी भी प्रकार की नई योजना शुरू करने से पहले अच्छी तरह से विचार करें।

वृश्चिक राशि (Scorpio): वृश्चिक राशि के जातकों को इस समय में मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। धैर्य से काम लें और किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचें।

धनु राशि (Sagittarius): धनु राशि के जातकों के लिए यह समय पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में चुनौतियां लेकर आ सकता है। रिश्तों में समन्वय बनाए रखने की कोशिश करें।

मकर राशि (Capricorn): मकर राशि के जातकों के लिए यह समय करियर और व्यवसाय में सकारात्मक बदलाव लेकर आ सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है।

कुंभ राशि (Aquarius): कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतने का है। किसी भी प्रकार की नई योजना शुरू करने से पहले अच्छी तरह से विचार करें।

मीन राशि (Pisces): मीन राशि के जातकों के लिए यह समय मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने का है। किसी भी प्रकार के विवाद से बचने की कोशिश करें।

ग्रहण के दौरान क्या करें?

सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। ज्योतिषियों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय कुछ विशेष कार्य करने से नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

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सूर्य ग्रहण 2024: 2 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और उसका ज्योतिषीय महत्व

दान और जप: ग्रहण के समय में किए गए दान, जप और ध्यान का विशेष महत्व होता है। इस समय में जरूरतमंदों को दान करने से ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।

ध्यान और योग: ग्रहण के दौरान मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करना लाभदायक होता है।

मंत्र जाप: ग्रहण के समय में “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ सूर्याय नमः” जैसे मंत्रों का जाप करने से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

ग्रहण के बाद स्नान: ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना आवश्यक होता है। इसे शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना जाता है।

भोजन और पेय से बचें: ग्रहण के दौरान भोजन और पेय का सेवन वर्जित होता है। यह विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए अनुशंसित होता है।

साल 2024 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा लेकिन इसका वैश्विक प्रभाव देखा जा सकेगा। इस ग्रहण का धार्मिक महत्व भी व्यापक है और पितृपक्ष के समापन के साथ इसका संयोग इसे और भी विशेष बना देता है।

ग्रहण के दौरान धार्मिक और ज्योतिषीय नियमों का पालन करने से नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

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