वास्तु शास्त्र के अनुसार, सूर्य यंत्र की स्थापना घर की पूर्व दिशा में करना सबसे शुभ माना जाता है। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है और इसे ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। जब सूर्य यंत्र को इस दिशा में स्थापित किया जाता है, तो इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान, यश और सकारात्मकता का संचार होता है। पूर्व दिशा की इस विशेषता के कारण, घर में सूर्य यंत्र स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
सूर्य यंत्र स्थापित करने के नियम
सूर्य यंत्र की स्थापना करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। यंत्र को इस प्रकार स्थापित करें कि उसका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। इसे किसी ऊंचे स्थान पर, जैसे कि पूजा स्थल या लिविंग रूम में, स्थापित करना चाहिए। यंत्र को स्थापित करने से पहले उसकी अच्छी तरह से सफाई कर लें, ताकि कोई धूल या अवांछित तत्व उस पर न रहें। यंत्र की स्थापना के समय मंत्रों का जाप करना चाहिए, जो उसकी शक्ति को और अधिक प्रभावी बनाता है। स्थापना के बाद, यंत्र की नियमित रूप से पूजा करें ताकि उसकी ऊर्जा सक्रिय बनी रहे।
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सूर्य यंत्र स्थापित करने के लाभ
घर में सूर्य यंत्र स्थापित करने से कई लाभ होते हैं। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है, जो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और सफलता को बढ़ावा देता है। सूर्य यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आत्मविश्वास तथा एकाग्रता में सुधार करता है। इसके प्रभाव से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति को मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।
सूर्य यंत्र पूजा के दौरान मंत्र जाप
सूर्य यंत्र की पूजा के लिए पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, यंत्र को एक साफ कपड़े पर रखें। यंत्र के पास एक दीपक और धूप जलाएं और भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से “ॐ सूर्याय नमः”, “ॐ गुरुभ्यो नमः”, और “ॐ आदित्याय नमः” मंत्रों का जाप करने से सूर्य यंत्र की पूजा का लाभ बढ़ जाता है। इस प्रकार सूर्य यंत्र की स्थापना और पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बना रहता है। यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है और उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
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