हरितालिका तीज 2022

                                          

हरितालिका तीज सावन के बाद आने वाले भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस व्रत को यू.पी., बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ मे मनाया जाता है, हरितालिका तीज मे श्रीगणेश, भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा की जाती है।
हरितालिका तीज मे महिलाए 24 घण्टे तक बिना अन्न जल के रहती है लेकिन प्रत्येक जगह अपनी अपनी परम्परा के अनुसार अलग-अलग नियम होते है कई जगह लोग फलाहार पर व्रत रहते है तो कई जगह पूरे दिन व्रत रखने के बाद अगले दिन सुबह ही उपवास तोड़कर पारण किया जाता है।

                              हरितालिका तीज क्यों मनाया जाता है

पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता यह है कि इस व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती के पुर्न मिलाप के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कहा यह भी जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति-रुप मे पाने के लिए 107 जन्म लिया था और अन्त मे 108 वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपने पत्नी के रुप में स्वीकार किया था तभी से लोगो मे यह मानना है कि जो स्त्री हरितालिका तीज का व्रत करती है माँ पार्वती उनपर प्रसन्न होकर उनके पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है, सावन महीना हरियाली का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस त्यौहार को हम हरियाली तीज के नाम से जानते है इस मौके पर महिलाएं मेंहदी लगाती है, झुला झुलती है, गाना गाती है आदि।

                              हरितालिका तीज कैंसे मनाया जाता है

हरितालिका तीज के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और अगले सुबह स्नान और पूजा करने के बाद उपवास तोड़ा जाता है तथा भोजन ग्रहण किया जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाओं के मायके से वस्त्र, श्रृगांर का समान तथा मिठाईयां आता है। इस दिन महिलाएं प्रातः घर के काम और स्नान करने के पश्चात् सोलह श्रृगांर करके बिना अन्न जल ग्रहण किए व्रत रखती है और विधि विधान से पूजा करने के बाद व्रत-कथा भी सुनती है। हरितालिका तीज के दिन स्त्रियों को हरे वस्त्र, चुनरी हरी, चुड़िया, हरा श्रृंगार, मेंहदी व झुला-झुलना अनिवार्य माना गया है।

                                       हरितालिका तीज की कथा

जिस कथा का वर्णन हम यहाँ करने जा रहे है इस कथा को भगवान शिव ने ही माता को सुनाया था और उनका पिछला जन्म यदि दिलाया था भगवान शिव माता पार्वती से बताते है कि आपने (पार्वती) मुझे (शिव जी) पाने के लिए बहुत कम उम्र मे कठोर तपस्या की थी आपने अन्न-जल त्यागकर बस हवा पिया और सूखें पत्ते चबाए, कठोर गर्मी और कपा देने वाली ठण्डी मे भी आप विचलित नही हुई और आपनें बरसात के मौसम मे भी जल ग्रहण नही किया और आपको उस हालत में देखकर आपके पिता अत्यधिक दुःखी थे नारदमुनि उनके पास गए और बोले कि मै भगवान विष्णु के भेजने पर आपके पास आया हूं। वह आपके पुत्री से विवाह करना चाहते है, इसके बारे मे आपकी क्या राय है। नारद जी की बात सुनकर आपके पिता जी बोले कि अगर भगवान विष्णु ही ऐसा चाहते है तो मुझे इसमे कोई समस्या नही है लेकिन जब इसकी जानकारी आपको मिली तो आप दुःखी हो गई और जब आपके सखी ने आपके दुःख के कारण पूछा तो आपने उनको बताया कि आपने सच्चे मन से शिव का वरण किया है परन्तु आपके पिता आपका विवाह विष्णुजी के साथ तय कर दिया है और अब आप विचित्र संकट मे है और आपके पास प्राण त्यागने के अलावा कोई दूसरा उपाय नही है यह सुनकर आपकी सखी ने कहा कि सभी समस्या का हल प्राण त्यागना ही नही होता, मै आपको घनघोर जंगल मे लेकर चलती हूं जहाॅ साधना स्थल भी है और वहाॅ आपको कोई ढूढ नही पायेगा और मुझे विश्वास है कि भगवान आपकी सहायता अवश्य करेंगे।
आपने ऐसा ही किया आपके कठोर तपस्या के कारण मेरा आसन हिल उठा और मै शीघ्र आपके पास पहुच गया और आपसे वर मांगने को कहा तब आपने कहा कि आप सच्चे मन से मेरा वरण कर चुकी है और यदि मै सचमुच आपके तपस्या से प्रसन्न होकर वहाँ पधारा हु तो मै आपको अर्घांगिनी के रुप मे स्वीकार करु तब मैने आपको तथास्तु कहकर अपने कैलाश पर्वत लौट गया।
उसी समय आपके माता पिता अपने बंधु-बांधवो के साथ आपको ढुढते हुए वहाॅ पहुँचे आपने सारा वृतांत बताया और कहा कि आप घर तभी जायेंगी जब आपका विवाह भगवान शिव से होगा आपके पिता मान गए और उन्होने हमारा विवाह करवाया इस व्रत का महत्व यह कि  मैं इस व्रत को करने वाली स्त्रियो का मनवांछित फल देता हु और इस पुरे प्रकरण में आपकी सखी ने आपका हरण किया था इसलिए इस व्रत का नाम हरितालिका तीज हो गया।
शिव जी ने माता पार्वती को यह भी बताया कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पतिरमण करके शिवलोक जाती है।

                                 हरितालिका तीज व्रत पुजा विधि

हरितालिका तीज प्रदोष व्रत मे किया जाता है, सूर्य के अस्त होने के बाद के मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है,  प्रदोष काल दिन और रात के मिलन का समय होता है।
☸ हरितालिका व्रत के पूजन के लिए भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश की बालु रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथो से बनाएं।
☸ पूजा स्थल को फल और फूलो से सजाकर एक आसन रखे और उस पर केले के पत्तें रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
☸ तत्पश्चात् एक कलश की स्थापना एक लोटे अथवा घड़े से करे और उसके उपर श्रीफल या एक जलता हुआ दीप रखे, घड़े के मुंह पर लाल धागा या रक्षासूत्र बांधते हुए उस पर सतिया बनाकर अक्षत चढ़ाये।
☸ कलश का पूजन करे उसपर जल, कुमकुम, हल्दी, पुष्प आदि चढ़ाए उसके बाद श्रावण कथा पढ़े और विधिपूर्वक शिव जी की पूजा करें।
☸ कलश के बाद गणेश जी की पूजा करें और उसके तत्पश्चात् माता गौरी की पूजा करके उनको सम्पूर्ण श्रृंगार चढाए।
☸ इसके बाद हरितालिका व्रत की कथा पढ़े और सर्वप्रथम गणेश जी की आरती फिर शिव जी की आरती और उसके बाद माता पार्वती की आरती करें सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाए और उस सिंदुर से सुहागन स्त्रियां सुहाग लें।
☸ इस व्रत में ककड़ी या हलवे का भोग लगाए और उसी को खाकर उपवास तोड़े।
☸ अंत मे सभी सामग्री को एकत्र करकें किसी नदी या कुण्ड में विसर्जित करें।
हरितालिका तीज शुभ तिथि एवं मुहूर्तः-
तिथिः- 30 अगस्त 2022
तिथि प्रारम्भः- 29 अगस्त 2022 दोपहर 03 बजकर 20 मिनट
तिथि समापनः- 30 अगस्त 2022 03 बजकर 33 मिनट पर
पूजा मुहूर्तः- सुबह 06 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 38 मिनट तक।

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