सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाल तीज का त्यौहार मनाया जाता है। यह पर्व नागपंचमी से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना में व्रत और पूजा करती है। यह व्रत निर्जला व्रत होता है। इसे कुवारी कन्याएं अपने लिए अच्छे पति की कामना में व्रत रखती है। सुहागिन महिलाएं 16 सिंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की विधवत पूजा अर्चना करती है। कई स्थानों पर इस व्रत में रात भर जागकर शिव पार्वती की आराधना की जाती है। इस दिन मेंहदी लगाने का विशेष महत्व होता है। प्रकृति की सुन्दर और मनोरम पल का आनन्द लेने के लिए महिलाएं झूले-झूलती है और लोक गीत तथा तीज का गीत गाकर उत्सव मनाती है। इस पर्व का सम्बन्ध भगवान शिव और देवी पार्वती से है। माना गया है कि देवी पार्वती की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थें और इसी दिन ही माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा सुनायी थी। इसलिए इस व्रत का सम्बन्ध शिव पार्वती के मिलन से है।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा
एक समय की बात है माता पार्वती अपने पूर्व जन्म के बारे में याद करना चाहती थी उन्हें कुछ याद नही आ रहा था ऐसे में भोले नाथ देवी पार्वती से कहते है! हे पार्वती तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन तुम मुझे पति के रुप मेें न प्राप्त कर सकी लेकिन 108 वें जन्म में तुमने पर्वत राज के घर में जन्म लिया और मुझे प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की भगवान शिव कहते है! हे पार्वती तुमने अन्न जल का त्यागकर पत्ते खाए और सर्दी गर्मी एवं बरसात में हजारो कष्ट सहकर भी अपने व्रत में लीन रही तुम्हारे कष्टों को देखकर तुम्हारे पिताजी बहुत दुखी थे तब नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और कहा की मुझे भगवान विष्णु ने भेजा है। भगवान विष्णु आपकी कन्या से अत्यन्त प्रसन्न है और वह उनसे विवाह करना चाहते है। मैं भगवान विष्णु का यही संदेश लेकर आपके पास आया हूं। नारद जी के प्रस्ताव को सुनकर पार्वती के पिता खुशी से भगवान विष्णु के साथ विवाह के लिए तैयार हो गये नारद मुनि ने भी भगवान विष्णु को यह शुभ संदेश सुना दिया लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली तब वह बहुत दुखी हुई पार्वती ने अपने मन की बात अपनी सखी को सुनाई तब सखी ने माता पार्वती को घने जंगल में छुपा दिया। जब पार्वती के गायब होने की खबर हिमालय को पता चली तब उन्होंने खोजने में धरती पाताल एक कर दिया लेकिन पार्वती का कही पता नही चला क्योंकि देवी पार्वती तो जंगल के अंदर एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर शिव जी की पूजा कर रही थी। शिवजी ने कथा आगे सुनाते हुए बोला हे पार्वती इस प्रकार तुम्हारी पूजा से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की जब हिमालय राज गुफा में पहुंचे तब तुमने अपने पिता से बताया की मैने शिव जी को पति के मे चूना है और उन्होंने मेरी मनोकामना पूरी कर दी है। शिवजी ने मेरा वरण कर लिया है और मै आपके साथ केवल एक शर्त पर चलूंगी की आप मेरा विवाह भोलेनाथ से करवाने के लिए तैयार हेा जाएं तब हे पार्वती तुम्हारे पिता मान गये और विधि-विधान से हमारा विवाह हुआ है पार्वती तुम्हारे कठोर व्रत और तप से ही हमारा विवाह संभव हो पाया।
हरियाली तीज में होने वाली परम्परा
☸ हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंगारा मनाया जाता है। इस दिन नव विवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान मेंहदी और मिठाई भेजी जाती है।
☸ इस दिन मेंहदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथो पर तरह-तरह की कला कृतियों में मेहदी लगाती है।
☸ नव विवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। हरियाली तीज के अवसर पर लड़कियों को ससुराल से अपने मायके बुला लिया जाता है।
☸इस दिन श्रृंगार और नये वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा की जाती है।
हरियाली तीज महत्व
यह त्यौहार मुख्य रुप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती है। इस दिन निर्जला व्रत रहा जाता है। पूरा दिन बिना भोजन तथा जल के व्यतीत करती है तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती है। इस तीज को कही-कही कजरी तीज तो कही हरियाली तीज के नाम से जानते है। भविष्य पुराण मे देवी पार्वती बताती है की तृतीया तिथि का व्रत उन्होंने बनाया है। जिसे स्त्रियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज पूजा विधि
☸ हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है।
☸ तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करती है तथा सोलह श्रृंगार कर र्निजल उपवास रखती है।
☸ पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है।
☸ कथा के समापन पर महिलाएं या गौरी से पति की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है।
☸ इस दिन हरा वस्त्र, हरि चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेंहदी तथा झूला भी झूला जाता है।
हरियाली तीज शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज प्रारम्भः- 18 अगस्त दिन शुक्रवार को 08ः07 से
हरियाली तीज समापनः- 19 अगस्त दिन शनिवार 10ः19 तक