हिन्दू धर्म में कालाष्टमी या काल अष्टमी का बहुत महत्व होता है। कालाष्टमी का पावन पर्व प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। वास्तव में कालाष्टमी की यह तिथि भगवान भैरवनाथ जी को समर्पित है। इस दिन शिव जी का अवतार माने जाने वाले कालभैरव की पूजा की जाती है। कालाष्टमी पर्व को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। सभी भक्तगण भैरव जी की उपासना तथा पूजा-अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं। मान्यता के अनुसार कालाष्टमी का व्रत सभी भक्तों के लिए बहुत ही ज्यादा फलदायी माना जाता है। भगवान शिव जी के द्वारा प्रकट किये जाने वाले कालभैरव का जन्म मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी के दिन हुआ था इसी कारण से प्रत्येक माह में पड़ने वाली कालाष्टमी की यानि कृष्ण पक्ष अष्टमी की मध्यरात्रि में भैरव जी की पूजा की जाती है तथा कुछ जगहों पर रात्रि में जागरण भी किया जाता है।
कालाष्टमी पूजा विधि
☸ इस दिन भगवान शिव जी के काल भैरव रूप की पूजा अर्चना की जाती है।
☸ इस पावन दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ यदि संभव हो पाये तो कालाष्टमी के दिन व्रत अवश्य रखें।
☸ उसके बाद घर के मंदिर में भगवान जी के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
☸ भैरव जी के साथ-साथ इस दिन भगवान शिव शंकर जी की पूजा भी अवश्य करें।
☸ भगवान शंकर जी के साथ-साथ उनके समस्त परिवार की पूजा अर्चना करना न भूलें, पूजा के दौरान कालभैरव अष्टक मंत्रों का जाप अवश्य करें।
☸ उसके बाद भैरव जी की आरती करके उन्हें सात्विक वस्तुओं से बने हुए मीठे व्यंजनों का ही भोग लगायें।
☸ पूजा के दौरान दीपक, काले तिल, उड़द और सरसो के तेल को अवश्य शामिल करें तथा व्रत पूर्णत: समाप्त होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियाँ अवश्य खिलायें सारी मनोकामनायें पूर्ण होंगी।
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी 02 फरवरी 2024 को शुक्रवार के दिन मनायी जायेगी।
अष्टमी तिथि प्रारम्भः- 02 फरवरी 2024 शाम 04ः02 मिनट से,
अष्टमी तिथि समाप्तः- 03 फरवरी 2024 शाम 05ः20 मिनट तक।