10 मई को शिव भक्तों के लिए खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट

मंत्र:-ॐ केदाराय ज्योतिर्लिंगाये नमः

केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया विधि-विधान से शुरू हो गई है। भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर से पूजा-अर्चना के साथ भैरवनाथ की डोली को केदारनाथ धाम के लिए रवाना किया गया है।

भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया को लेकर सोमवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली ऊखीमठ से केदारनाथ के लिए रवाना हो गई। ओम नम: शिवाय के उदघोष के बीच रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में पूजा के द्वार खुलते हैं तो वहां लाखों के संख्या में भक्तों की भीड़ जमा होती है। हिंदू धर्म के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। भारी बर्फबारी और अत्यंत कठिन रास्तों के कारण केदारनाथ धाम के कपाट साल के 6 महीनों तक बंद रहते हैं।

आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा 2024 में इस दिन खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट

साल 2024 में केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे। यहां तक कि कपाट खुलने की प्रारंभिक प्रक्रिया 6 मई से ही शुरू हो जाएगी लेकिन यह समाप्त अक्षय तृतीया के दिन होगी। इस वर्ष भक्त 10 मई से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकल सकेंगे।

केदारनाथ धाम के कपाट हर साल भाई दूज के दिन बंद होते हैं और 6 महीने बाद अक्षय तृतीया के दिन केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं। साल 2024 में केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे। पूजा की प्रारंभिक अवधि 5 मई को होगी जब केदारनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति की पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी। इसके बाद 9 मई की शाम को मूर्ति को केदारनाथ धाम ले जाया जाएगा और फिर 10 मई को संबंधित विधि-विधान के साथ कपाट खोले जाएंगे।

तूफान एवं बाढ़ में भी कैसे बना रहता है सुरक्षित

जब 16 जून 2013 की रात्रि में प्रकृति ने अपना कहर बरसाया तो जल प्रलय से कई बड़ी-बड़ी इमारते ताश की भाँति दह गई परन्तु वहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का भी कुछ नही हुआ। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि जब पानी के बहाव में लुढ़कती हुई विशालकाय चट्टान आई और अचानक मंदिर के पीछे रुक गई जिसके कारण जल की धारा दो भागों में विभक्त हो गई और मंदिर अधिक सुरक्षित हो गया।

कैसे हुई केदार नाथ में शिवलिंग की उत्पत्ति

10 मई को शिव भक्तों के लिए खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट 1

एक पौराणिक कथा के अनुसार हिमालाय के केदार चोटी पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थें उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और उनके प्रार्थना के अनुसार ज्योतिर्लिंग के रुप में सदा वहां वास रहने का वरदान दिया। यह स्थान पर्वत राज हिमालय के केदार धाम नाम चोटी पर स्थित है तथा केदार घाटी में दो पहाड़ी है जिसमें एक का नाम नर तथा दूसरें का नाम नारायण पर्वत है। दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करत है। कहा जाता है कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना स्वयं नारायण ने की थी।

केदारनाथ धाम से जुड़ी प्रचलित कथा

केदारनाथ धाम से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है जो महाभारत के युद्ध के बाद की घटनाओं पर आधारित है। युद्ध के बादए पांडव बहुत शोकमग्न थे और उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद की तलाश थी। उन्होंने केदारनाथ क्षेत्र में शिव की तपस्या की और उन्हें दर्शन देने के लिए उनकी भक्ति में प्रतिष्ठा पाई। पांडवों ने शिव को ढूंढने के लिए केदार खंड जायाए जहां उन्हें भगवान शिव के रूप में एक बैल मिला। शिव ने उनकी प्रतीक्षा की और उन्हें पहचानने के लिए उनके पैरों के नीचे से गुजरने से इनकार किया। भीम ने उन्हें पकड़ने का प्रयास कियाए लेकिन वे अदृश्य हो गए। तब भीम ने अपने बल का प्रयोग करके उन्हें पकड़ा। भगवान शिव ने उनकी भक्ति को देखकर उन्हें मुक्ति प्रदान की और ब्रह्महत्या के पाप से उन्हें शुद्ध किया। इसी घटना के अनुसार कहा जाता है कि केदारनाथ में पिंड रूप में स्थापित भगवान शिव का मंदिर हैए जहां उनकी पूजा की जाती है।

केदारनाथ

केदार उत्तराखण्ड का अत्यधिक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है ये दर्शन के लिए केवल 6 माह तक ही खुला रहता है जिसे वैशाख माह के बाद खोला जाता है। केदारनाथ को तीन भागों मे बांटा गया है। पहला-गभगृह, दूसरा-दर्शन मंडप, तीसरा-सभा मंडप। ये मंदिर एक एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है तथा बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रुप में विराजमान है। प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगो में केदारनाथ धाम पाँचवें स्थान पर है।

 

240 Views
× How can I help you?