भोगी पण्डिगाई भारत का एक महापर्व है जो प्रतिवर्ष मकर संक्रांति सेे पूर्व यानि 14 जनवरी को मनाया जाता है। भोगी पण्डिगाई का यह पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलांगना तथा पुदुचेरी में मनाया जाता है इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सभी लोगों के आशीर्वाद के साथ-साथ खुशियों का स्वागत करने तथा रहने के लिए मनाया जाता है। हर प्रकार के धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ आनंदित रहना है। आपको बता दे भोगी पण्डिगाई का त्योहार तेलुगु और तमिल इन दोनों ही संस्कृतियों में केवल एक ही दिन मनाया जाता है। इस दिन की परंपरा के अनुसार लोग अपनी सारी बुरी आदतों को जलती हुई अग्नि में जलाने के बाद एक धार्मिक जीवन जीने का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दिन अग्नि जलाने के लिए लोग सूर्योदय से पहले लकड़ी के लट्ठों अन्य ठोस ईंधन तथा पुराने लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग करके आग का ढ़ेर बनाते हैं और अपनी पुरानी आदतें, पुराने लगाव तथा अपने पुराने भौतिक सम्पत्ति को हमेशा के लिए त्यागने के संकेत के रूप से अप्रयुक्त वस्तुओं को यज्ञ की जलती आग में फेंक देते हैं।
आध्यात्मिक रूप से भोगी पण्डिगाई का यह उत्सव बारिश की देवी भगवान इंदिरा के सम्मान में आयोजित किया जाता है ताकि भरपूर बारिश के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके तथा किसानों को भी उनकी फसलों की कटाई में मदद मिल सके। इस पर्व में किसान भी धन और सफलता की प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
भोगी पण्डिगाई पूजा विधि
भोगी पण्डिगाई में सभी अपने घरों को सजाकर उत्सव की तैयारी करते है। इस पर्व के पहले दिन से ही घरों को साफ-सुथरा किया जाता है तथा उसे पुष्प, रंगों और मंगल कलश से सजाया जाता है। उसके बाद पूजा के समय विशेष अर्चना तथा भजन कीर्तन किया जाता है। इस दिन धार्मिक रूप से धूप और दीपक जलाये जाते हैं, जो कि हम सभी के लिए विशेष खुशियों और समृद्धि का प्रतीक होते हैं।
भोगी पण्डिगाई शुभ मुहूर्त
भोगी पण्डिगाई का यह त्योहार 14 जनवरी 2024 रविवार को मनाया जायेगा।
भोगी पण्डिगाई शुभ मुहूर्तः- 14 जनवरी मध्यरात्रि 02ः54 मिनट से 15 जनवरी तक।