16 जनवरी 2024 स्कन्द षष्ठी

हिन्दु धर्म में भगवान दीव और माँ पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है। स्कन्द पृष्ठी एक तमिल हिन्दूओं का त्योहार है, जिसका हिन्दू धर्म में बहुत सम्मान किया जाता है। जिसे भगवान मुरुशा या कार्तिकेय भी कहते हैं। भगवान कार्तिकेय को युद्ध के देवता, भगवान शिव जी के पुत्र तथा दक्षिणी भारत के एक प्रमुख देवता के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा भगवान कार्तिकेय को स्कन्द भी कहा जाता है। आपको बता दें भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी के बत को बहुत ही ज्यादा शुभ माना गया है। भगवान श्री गणेश जी की तरह कार्तिकेय भगवान की पूजा करने से जातक के जीवन से जुड़ी हुई सारी बाधाएं और दुख दूर हो जाते हैं तथा उन्हें सफलता और सौभाग्य का अच्छा वरदान प्राप्त होता है।

हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार स्कन्द पष्ठी का यह व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कन्द षष्ठी का व्रत मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति होने के कारण इस दिन किये गये पूजा-पाठ से जातक को अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। आपको बता दें स्कन्द पष्ठी का यह उपवास सभी भक्तों के द्वारा सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच किया जाता है।

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

☸ प्रातः काल सुबह के समय स्नानादि करके स्वच्छ होकर पूजा का आयोजन करें।
☸ उसके बाद स्कंद देवता की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर स्थापित करें।
☸ धूप, दीप, फल, फूल और अघ्र्य के साथ स्कंद देवता की आरती करें।
☸ उसके बाद पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी की कथा सुनें और श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करें।
☸ उसके बाद स्कंद देवता को विशेष तरह के तैयार किये गये भोग और मिठाइयाँ अर्पित करें।
☸ पूजा पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद प्रसाद वितरित करें।
☸ स्कन्द षष्ठी के दौरान आप उपवास भी रख सकते है।

स्कन्द षष्ठी शुभ मुहूर्त

स्कन्द षष्ठी का यह पर्व 16 जनवरी 2024 मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
शुक्ल षष्ठी आरम्भः- रात्रि 02ः16. मिनट से (16 जनवरी)
शुक्ल षष्ठी समाप्तः- 16 जनवरी 2024 रात्रि 11ः57 मिनट तक।

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