जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के अंगों को विभाजित किया तो माता के अंग कई देशो के स्थानों पर गिरे तथा जहाँ माता के अंग गिरे वह स्थान ही शक्ति पीठ कहलाया। कुल शक्ति पीठों की संख्या 52 है इन शक्ति पीठों में नौ शक्ति पीठ को महाशक्तिपीठ कहा जाता है जो भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करने में सक्षम होते है। इन सभी शक्तिपीठों के दर्शन के लिए भक्त कोसो दूर से आते है और माता के शक्तिपीठों का दर्शन करके स्वयं को भगवान समझाते है। आइये हम इन नौ शक्तिपीठों की महत्ता को हमारे प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा जानते है जिन्होंने अपने ज्योतिष विद्याओं के आधार पर लोगों की कई मुश्किलों का हल निकाला और लोगों का जीवन सुखमय बनाया।
नौका पर सवार आई मां जगदम्बा
आज 22 मार्च दिन बुधवार से माता 09 दिनों तक पृथ्वी पर रहेंगी और भक्त उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करेंगे साथ ही माता भी अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करेंगी। इस वर्ष माँ दुर्गा का आगमन नाव की सवारी के साथ हुआ है क्योंकि यह नवरात्रि बुधवार से प्रारम्भ हो रही है जिसके कारण माता की सवारी बुध है। इस सवारी पर विराजमान माँ पृथ्वी लोक पर सुख-समृद्धि लेकर आयी है।
हर सिद्धि माता मंदिर
माता का यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है जो 9 महाशक्ति पीठों मे से एक है तथा माता का यह मंदिर महाकाल ज्योतिर्लिंग के पास है। भक्तों की ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती का बायां हाथ और होंठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था और नवरात्रि के दौरान भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है।
कामाख्या देवी मंदिर
माँ का यह मंदिर असम के गुवाहाटी में उपस्थित है तथा भक्तों की मान्यताओं के अनुसार यहाँ माता सती का योनि भाग कटकर गिरा था। इसी कारण यहाँ योनि पूजन की मान्यता है।
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तारापीठ मंदिर
मां का यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूल जिले में स्थित है तथा यह शक्तिपीठ मां तारा देवी को समर्पित है। प्राचीन समय में इस मंदिर को चंदीपुर के नाम से जाना जाता था।
नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित है तथा मां का यह मंदिर कई पौराणिक मान्यताओं के कारण भी प्रसिद्ध है, ऐसा माना जाता है कि यहाँ माता सती के नेत्र गिरे थे जिसके कारण इस मंदिर का नाम नैना देवी पड़ा।
श्री वज्रेश्वरी देवी मंदिर
माता का यह प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर मां सती का बायां वक्षस्थल गिरा था। माँ के स्थान भाग में गिरने जो शक्ति प्रकट हुई थी वह ब्रजेश्वरी कहलाई। श्री ब्रजेश्वरी देवी मंदिर ज्योतिष विद्या को लेकर अत्यधिक प्रसिद्ध है।
महालक्ष्मी मंदिर
माता सती का यह मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में उपस्थित है जो माता के महाशक्ति पीठों मे से एक है। ऐसा माना जाता है कि माता का त्रिनेत्र यहीं गिरा था क्योंकि इस स्थान पर चारों दिशाओं से प्रवेश के मार्ग है। इसके साथ ही वर्ष में एक बार यहाँ सूर्य की किरणें सीधे माता की प्रतिमा पर पड़ती है।
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कालीघाट मंदिर
माँ का यह प्रसद्धि मंदिर कोलकाता में उपस्थित है इस मंदिर में भी माँ के प्रमुख शक्तिपीठ उपस्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ मां के पांव की चार उंगलिया गिरी थी।
अम्बाजी का मंदिर
प्रसिद्ध अम्बाजी का मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा बनासकांठा जिले की दांता तालुका में उपस्थित है। यहां मां सती का हृदय गिरा था तथा नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भीड़ लगती है।
ज्वाला देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कागड़ा जिले में कालीधर पहाड़ी के बीच माता का यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। माता का यह मंदिर बहुत ही विख्यात है और सदैव माँ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर में माता के नेत्र है।
नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं जौ
हम सभी भक्त नवरात्रि के पहले दिन घटस्थाना का शुभ कार्य करते है जिसमें कलश स्थापना के साथ जौ का भी अत्यधिक महत्व है। मान्यताओं के अनुसार जौ के बिना माता की पूजा अधूरी रह जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान ब्रह्मजी ने इस सृष्टि की रचना की तो उस समय सृष्टि में कोई भी वनस्पति विकसित नही हुई थी तब पहली वनस्पति के रुप में जौ की उत्पत्ति हुई इसी कारण नवरात्रि की पूजा में जौ महत्वपूर्ण होते है।
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