2023 का पहला चन्द्र ग्रहण क्या सूतक लगेगा इस दिन क्या करना होगा | Will the first lunar eclipse of 2023 be a sutak, what should be done on this day Benefit |

☸बात करते हैं  यदि हम चन्द्र ग्रहण की तो चन्द्र ग्रहण 5 मई को पड़ने वाला है और कुछ देशों में इस ग्रहण को 6 मई को भी देखा जा सकता है। वर्ष 2023 में पड़ने वाला यह चन्द्र ग्रहण वर्ष का दूसरा ग्रहण है क्योंकि कुल मिलाकर वर्ष में चार ग्रहण पड़ेंगे जिसमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चन्द्र ग्रहण होंगे। पहला सूर्य ग्रहण आपने कुछ दिन पहले ही देखा है जो कि 20 अप्रैल को था यह सूर्य ग्रहण आंशिक पूर्ण और वलयाकारभी था जिसको हाईब्रिड सूर्य ग्रहण कहा गया था। जिसका प्रभाव लगभग भारत को छोड़कर हर जगह था।

☸सूर्य ग्रहण के बाद पड़ने वाला यह चन्द्रग्रहण वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि के दिन पड़ रहा है तो लगने वाले इस चन्द्र ग्रहण में क्या सूतक भारत में मान्य होगा ? यह चन्द्रग्रहण क्या भारत में दिखाई देगा ? विश्व के किस जगह पर यह दिखाई देगा और इस चन्द्र ग्रहण के कारण पूरे विश्व में क्या प्रभाव पड़ने वाला है तो आइए इन सभी बातों को विस्तार से हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के किये गये विश्लेषणों द्वारा समझते हैं।

क्या होता है सूतक और पातक ?

देखा जाए तो सूतक का संबंध जन्म और मरण के कारण होने वाली अशुद्धि से होता है। हिन्दू धर्म में सूतक यदि किसी के घर-परिवार में कोई शांत होता है या स्वर्ग चला जाता है तो उसे घर परिवार में सूतक लग जाता है। साथ ही उस मृतक परिवार के जितने भी खून के रिश्ते होते हैं उन सभी के घरों में सूतक माना जाता है। इसके अलावा जब किसी संतान के जन्म होने के अवसर पर जो नाल काटा जाता है, और संतान के जन्म होेने की प्रक्रिया के दौरान जो हिंसा होती है उसमें लगने वाला दोष या पाप प्रायश्चित के रुप में इसे पातक माना जाता है। इस तरह से किसी जातक के मरण के दौरान फैली हुई अशुद्धि को सूतक और किसी जातक के दाह संस्कार से हुई हिंसा के दोष को पातक माना जाता है। 

कब-कब लगता है सूतक काल ?

अब हम यह जानेंगे की सूतक लगता कब है। जब किसी व्यक्ति का जन्म काल होता है, चन्द्रग्रहण या सूर्य ग्रहण लगने के दौरान 09 घंटे पूर्व लगता है। स्त्री के मासिक धर्म काल के समय में इसके अलावा किसी जातक के मरण काल में भी सूतक और पातक का विचार किया जाता है परन्तु इन सभी विषयों के दौरान लगने वाले सूतक काल का दिन और समय का निर्धारण अलग-अलग होता है।

चन्द्र ग्रहण लगनें के कारण क्या होंगे बदलाव ?

☸चन्द्र ग्रहण लगने की अवधि में आपको उसके पहले कुछ विशेष बदलाव देखने को मिलेंगे जैसे अश्वनी नक्षत्र में स्थित सूर्यदेव भरणी नक्षत्र में पहुंच जायेंगे। इसके अलावा राहु के साथ गुरु का चाण्डाल दोष बना रहेगा साथ ही शनि ग्रह की तीसरी नीच दृष्टि भी पड़ेगी। चन्द्रमा स्वाती नक्षत्र में स्थित रहेंगे। चन्द्र ग्रहण विशेष रुप से तुला राशि तथा स्वाती नक्षत्र पर ही पड़ने वाला है।

☸स्वाती नक्षत्र अपने आप में ही राहु का नक्षत्र होता है जो कि इसके स्वामी भी होते हैं साथ ही इसके मालिक उत्तर दिशा होते हैं। स्वाती नक्षत्र वाले लोग एकदम स्वतंत्र विचार वाले होते हैं यह व्यक्ति किसी के अधीन कार्य नही कर सकते हैं। इस नक्षत्र के जातक कलात्मक, संगीत प्रेमी साथ ही दूरदर्शी भी होते हैं। दूर की चीजों को सोचने समझने की कला इनमें विशेष रुप से पाई जाती है।

☸5 मई को लगने वाला चन्द्रग्रहण उपछाया ग्रहण होगा इसलिए लगने वाले इस चन्द्रग्रहण से आपको बहुत ज्यादा घबराने की जरुरत नही हैं या फिर बहुत ज्यादा चिंतित होेने की जरुरत नही है।

☸परन्तु चन्द्रग्रहण लगने के बाद जो होगा वह बहुत ही खतरनाक होगा। 10 मई के बाद जब मंगल ग्रह अपने परम नीच राशि में पहुंचेंगे उसके बाद से ही बहुत खतरनाक स्थिति देखने को मिलेगी। इसके अलावा 17 जून को शनि देव अपनी वक्र नीच दृष्टि से देखेंगे सबसे खतरनाक योग यहाँ शनि ग्रह का बना हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में आने वाला समय बहुत खतरनाक होगा।चन्द्र ग्रहण का जो प्रभाव है वह बहुत ज्यादा देखने को नही मिलेगा।

चन्द्र ग्रहण को किन-किन जगहों पर देखा जा सकता है ?

☸चन्द्र ग्रहण के प्रभाव की बात करें तो सबसे पहले भारत में लगने वाले इस चन्द्र ग्रहण का प्रभाव आंशिक रुप से रहेगा। लेकिन यह एक उपछाया ग्रहण है। उपछाया अर्थात जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच में पृथ्वी पहुंच जाती है तो पृथ्वी पर जब सूर्य की किरणें पड़ेंगी तो उसकी एक छाया चन्द्रमा पर पड़ने लगती है जिसे छाया कहते है इसके अलावा जब बिल्कुल ही हल्की सी छाया चन्द्रमा पर पड़ती है तो उसे हम उपछाया कहते है।

☸तो लगने वाला यह चन्द्र ग्रहण जब सीधा पृथ्वी के छाया के कारण लगता तो यह बहुत ही खतरनाक हो जाता साथ ही उस समय सूतक काल भी मान्य हो जाता। अतः भारत में यह आंशिक रुप से दिखाई तो देगा परन्तु सूतक काल मान्य नही होगा। चन्द्रग्रहण बहुत ही हल्का मटमैला दिखाई देने वाला है जिसके कारण आपको लगेगा ही नही की चन्द्र ग्रहण लगा हुआ है।

☸चन्द्र ग्रहण का प्रभाव अफ्रीका में दिखाई दे सकता है। दक्षिण पूर्व एशिया में चन्द्र ग्रहण का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका तथा आस्ट्रेलिया में भी चन्द्रग्रहण का प्रभाव देखने को मिल सकता है। परन्तु चन्द्रग्रहण का प्रभाव बहुत आंशिक रहेगा इसलिए बहुत ज्यादा परेशान होेने या घबराने की जरुरत नही है। जब पूर्ण रुप से चन्द्र ग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है तब परेशानियां ज्यादा उत्पन्न होती है।

☸चन्द्रग्रहण लगने के दौरान सूतक काल बिल्कुल भी मान्य नही होगा। इसलिए आप सामान्य तरीके से पूजा-पाठ कर सकते हैं तथा किसी प्रकार की परेशानी इस ग्रहण के दौरान आपको नही होगी परन्तु हिन्दू धर्म में ग्रहण का महत्व ज्यादा होता है इसलिए थोड़ी बहुत परेशानी तुला राशि और स्वाती नक्षत्र वाले जातकों को देखने को मिल सकती है।

☸चन्द्रग्रहण लगने के पहले से ही 2 मई को शुक्र का भी राशि परिवर्तन होने वाला है जो कि मिथुन राशि में चले जायेंगे साथ ही मंगल ग्रह और शुक्र की युति एक बार पुनः बनने वाली है।

☸तुला राशि और स्वाती नक्षत्र पर लगने वाले चन्द्र ग्रहण के प्रभाव के कारण इन जातकों को मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। जिन्हें हार्निया की शिकायत है साथ ही जो जातक टायफायड से पीड़ित है उनके लिए यह बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा इन्हें किसी भी परेशानियों का सामना नही करना पड़ेगा सब ठीक होगा।

चन्द्रग्रहण लगने के दौरान क्या करें ?

☸वैसे तो चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण का असर किसी भी जातक के मन और मस्तिष्क दोनो पर पड़ता है। इसलिए हिन्दू धर्म में इस ग्रहण के दौरान इनके कुप्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष तरीके अपनाये गये हैं जिसको अपनाकर हम ग्रहण लगने के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।

☸चन्द्रग्रहण लगने के दौरान जरुरतमंदों को धन और अनाज दान करना चाहिए।

☸इस दौरान कम से कम 108 बार अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

☸इस दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

☸ ग्रहण लगने के दौरान अपने पास दूर्वा घास रखना चाहिए साथ ही किसी भी प्रकार का मानसिक और शारीरिक तनाव नही लेना चाहिए।

चन्द्रग्रहण के दौरान ना करें ये काम

☸5 मई को लगने वाले चन्द्रग्रहण के दौरान कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें बिल्कुल भी नही करना चाहिए। आपको बता दें चन्द्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही शुरु हो जाता है। इस दौरान हमें किसी भी शुभ कार्यों को नही करना चाहिए।

☸इस दौरान तुलसी के पौधों को नही छूना चाहिए सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते को तोड़ लेना चाहिए।

☸सूतक काल या ग्रहण लगने के दौरान कुछ भी खाने-पीने से परहेज करना चाहिए।

☸चन्द्रग्रहण लगने के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष रुप से सावधान रहना चाहिए तथा किसी भी परिस्थिति में ग्रहण देखने या ग्रहण और सूतक काल के दौरान सोने से बचना चाहिए।

☸ग्रहण लगने के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचना चाहिए।

चन्द्र ग्रहण लगने का समय

वर्ष 2023 का पहला चन्द्र ग्रहण अगले महीने 5 मई दिन शुक्रवार को लग रहा है।
ग्रहण लगने का समयः- शनिवार रात 8ः46 मिनट से रात्रि 01ः00 बजे तक
उपच्छाया से प्रथम स्पर्शः- रात्रि 08ः45 मिनट
परमग्रास चन्द्र ग्रहणः- रात्रि 10ः53 मिनट
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्शः- सुबह 01ः00 बजे (6 मई)
उपच्छाया की अवधिः- 4 घंटे 15 मिनट 34 सेकेण्ड

 

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