हिन्दू धर्म में कूर्म द्वादशी एक बहुत ही महत्वपूर्ण द्वादशी का दिन होता है। कूर्म द्वादशी का यह पर्व पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कूर्म का अर्थ हिन्दी में कछुआ से माना जाता है। कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु जी को पूरी तरह से समर्पित होता है। मान्यता के अनुसार समुंद्र मंथन के दौरान ही भगवान विष्णु जी नें कछुए का अवतार लिया था जो कि विष्णु जी का दूसरा अवतार था उसी दिन से भगवान विष्णु जी के इस अवतार की पूजा की जाती है।
धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जायें तो कूर्म द्वादशी तिथि के दिन घर में कछुआ लाना सबसे ज्यादा लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा मान्यता के अनुसार चाँदी या अष्टधातु से बना हुआ कछुआ दुकान या ऑफिस में रखने से अति लाभदायक फल की प्राप्ति होती है। कूर्म द्वादशी के दिन काले रंग का कछुआ लाकर अपने घर में रखना और भी ज्यादा शुभ माना जाता है ऐसा करने से जीवन में तरक्की की संभावना बढ़ जाती है।
कूर्म द्वादशी पूजा विधि
☸ कूर्म द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ उसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करने का संकल्प लें।
☸ पूजा वाले स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करके एक पूजा की चौकी पर भगवान श्री विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
☸ भगवान श्री विष्णु जी का श्रद्धापूर्वक पूजन करते हुए उन्हें पुष्प का हार चढ़ाएं तथा धूप दीप दिखाएं।
☸ उसके बाद दीपक जलाकर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
☸ अब भगवान श्री विष्णु जी को नैवेद्य के रूप में फल या फिर मिठाई अर्पित करें।
☸ उसके बाद भगवान श्री विष्णु जी के कूर्म अवतार की कथा सुनें तथा विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत या विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
कूर्म द्वादशी शुभ मुहूर्त
कूर्म द्वादशी तिथि प्रारम्भः- 21 जनवरी 2024 शाम 07ः27 मिनट से,
कूर्म द्वादशी तिथि समाप्तः- 22 जनवरी 2024 शाम 07ः52 मिनट तक।
कूर्म द्वादशी 22 जनवरी 2024 सोमवार के दिन मनाया जायेगा।