एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म मे काफी महत्वपूर्ण होता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इस व्रत को करते है उन पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी तिथि के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से न सिर्फ सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। अपितु जीवन मे आ रहे कष्ट भी दूर हो जाते है। अजा एकादशी के शुभ दिन पर गरुड़ की सवारी करते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट दूर हो जाते है। इस दिन नारायण कवच और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन दान-तर्पण का कार्य भी किया जाता है।
अजा एकादशी की व्रत विधि
☸ अजा एकादशी के दिन सर्वप्रथम उठकर शारीरिक स्वच्छ होकर मन में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
☸ उसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं तथा फल-फूल अर्पित करें।
☸ पूजा करने के पश्चात विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
☸ इस दिन निराहार एवं निर्जल व्रत का पालन करें।
☸ इसके पश्चात व्रत के दिन रात्रि में जागरण करते है।
☸ अजा एकादशी के दूसरे दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं दान-दक्षिणा दें।
☸ उसके पश्चात व्रत का पारण करें।
अजा एकादशी की शुभ तिथिः- 10 सितंबर 2023
अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारम्भः- 09 सितम्बर , 2023 को रात्रि 07:17 से
एकादशी तिथि समापन :- 10 सितम्बर , 2023 को रात्रि 09:28 तक
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 06:04 से 08:33 तक