शाकम्भरी पूर्णिमा तिथि की बात करें तो पौष माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को शाकम्भरी पूर्णिमा या पौष पूर्णिमा के नाम से जाता जाता है। इस दिन का एक अन्य नाम शाकम्भरी जयन्ती भी होता है। शाकम्भरी देवी माँ दुर्गा की शक्ति के अवतार का एक प्रतीक है। इस तिथि के दिन माँ दुर्गा ने भयंकर अकाल के समय ही अपने इस रूप में शाकम्भरी देवी का अवतार लिया था। जब इस धरती पर कई सालों तक अकाल पड़ा था तभी सभी भक्तों ने माँ दुर्गा से प्रार्थना किया जिसके फलस्वरूप इस महाशक्ति ने अवतार लिया। माँ शाकम्भरी देवी की हजारों आँखें थी जिसमें पूरे 9 दिनों तक पानी बरसता रहा और उसके बाद ही इस पूरी पृथ्वी पर हरियाली छा गई। माँ के शाकम्भरी रुप में हजारों आँखें होने के कारण इन्हें शताक्षी भी कहा जाता है।
शाकम्भरी पूर्णिमा पूजा विधि
☸ शाकम्भरी पूर्णिमा के दिन सभी भक्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और नहाने के बाद एक शुद्ध आत्मा और शरीर के साथ पूजा करने का संकल्प लें।
☸ पूजा करने का स्थान साफ-सुथरा करें और एक छोटे से ताँबे के पात्र में पानी डालकर उसमें गंगाजल मिलाकर प्रतिष्ठा करें। इस पानी को माँ को अर्पित करें।
☸ उसके बाद मां शाकम्भरी की तस्वीर या मूर्ति पूजा स्थान पर साफ चौकी पर रखकर मूर्ति के सामने धूप, दीप, नैवेद्य (प्रसाद) पुष्प, चंदन तथा कुमकुम लगाकर माँ की विधिपूर्वक पूजा करें।
☸ उसके बाद पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ या फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
☸ पूजा की समाप्ति के दौरान अंत में आरती करें और माँ दुर्गा के विशेष भोग को भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित करें।
☸ इसके अलावा इस दिन भक्तों को गरीब और जरूरतमंद लोगों को अनाज, फल, सब्जी इत्यादि का दान अवश्य करना चाहिए और यदि दान-दक्षिणा करना संभव न हो तो मंदिर मे गरीबों को इच्छानुसार पैसे दान कर सकते हैं।
शाकम्भरी पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
शाकम्भरी पूर्णिमा 25 जनवरी 2024 को बृहस्पतिवार के दिन मनाया जायेगा।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भः- 24 जनवरी 2024 रात्रि 09ः49 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समाप्तः-25 जनवरी 2024 रात्रि 11ः23 मिनट तक।