बात करें यदि हम गणतंत्र दिवस की तो गणतंत्र दिवस हमारे भारत देश का एक राष्ट्रीय पर्व है। वास्तव में आज के ही दिन हमारे भारत देश में संविधान लागू हुआ था। आज के दिन देश की राजधानी दिल्ली में कर्तव्य के पथ पर हर वर्ष परेड का आयोजन किया जाता है तथा अलग-अलग झांकियों का भी प्रदर्शन किया जाता है। इस दिन के होने वाले परेड में देश के तीनों सेना जैसे जलसेना, थलसेना और वायुसेना शामिल होते हैं। इस दिन हमारे देश के राष्ट्रपति के द्वारा तिरंगा भी फहराया जाता है साथ ही 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। इस वर्ष हमारे भारत देश में 75 वाँ गणतंत्र दिवस का आयोजन किया जा रहा है।
इस बार का गणतंत्र दिवस होगा कुछ खास केवल महिला शक्ति ही लेंगी गणतंत्र दिवस में हिस्सा
अगले वर्ष 2024 में गणतंत्र दिवस कई मायनों में बहुत खास होने वाला है जिसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा सारी तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी गई हैं। गणतंत्र दिवस के इस समारोह में सैन्य और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए गणतंत्र दिवस के इस परेड में केवल महिलाओं को हिस्सा लेने की इजाजत दी गई है फिर चाहे सेना की परेड हो या फिर वहाँ दिखाई जाने वाली झांकी या फिर अन्य कोई होने वाली वहाँ की मुख्य तैयारियाँ हो, इन सभी क्षेत्रों में केवल महिलाएं ही शामिल होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा चलाये गये अभियान के लिए महिला दस्ता कमांडरों और डिप्टी कमांडरों को चुना गया है साथ ही उन्हें लड़ाकू, भूमिकाओं में तैनाती के साथ-साथ कमान संभालने के अवसर भी दिये गये हैं। आपको बता दें महिलाओं को मिलने वाले इन्हीं अवसरों के कारण बहुत सी महिलाएं भारतीय वायु सेना में फाइटर या पायलट भी बनी हैं साथ ही जवानों के रूप में सेना में शामिल भी हुई हैं।
आखिर 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता गणतंत्र दिवस
वैसे देखा जायें तो 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस का दिन हर भारतीयों के लिए बेहद ही खास माना जाता है। यह दिन हम भारतीय नागरिकों को लोकतांत्रिक रूप से अपने देश की सरकार को चुनने की शक्ति प्रदान करता है। भारत के इतिहास में यह दिन कई तरह से बहुत ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है परन्तु क्या आप जानते हैं कि भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को यही क्यों मनाया जाता है तो आपको बता दें प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन पूरे भारत देश में संविधान लागू किया गया था और संविधान लागू करने के साथ-साथ 26 जनवरी 1950 को ही भारत देश को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था। इसी खास योजना के कारण ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिली और उसके बाद इस पूरे भारत देश को लोकतांत्रिक बनाने के लिए देश का संविधान बनाना शुरू किया गया। यह संविधान लगभग 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ और हमारे भारत देश के इस संविधान को 26 नवंबर 1949 ई0 में देश की संविधान सभा ने स्वीकार किया। संविधान स्वीकार हो जाने के बाद ही अगले साल 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में यह संविधान सम्मानपूर्वक लागू किया गया।
26 जनवरी गणतन्त्र दिवस का महत्व
गणतन्त्र दिवस हमारे पूरे स्वतंत्र भारत के लिए भारत की भावना का प्रतीक है। इस दिन 1950 ई0 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नें पूर्ण स्वराज की घोषणा की जो कि औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता की एक घोषणा थी। गणतन्त्र दिवस का यह दिन वास्तव में भारतीय नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार को चुनने की शक्ति की भी याद दिलाता है। हमारा पूरा राष्ट्र इस दिन को भारतीय संविधान की पूर्ण स्थापना के लिए 26 जनवरी के दिन राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाता है।
गणतंत्र दिवस का इतिहास
स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत का नया संविधान तैयार करने के लिए भारतीय संविधान सभा ने संविधान का निर्माण करने का कार्य शुरू किया। इस संविधान का पूरा ड्राफ्ट डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर और उनके पूरे समूह ने मिलकर तैयार किया था।
अंतिम रूप से संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को एक नया संविधान पारित किया इसके बाद यह संविधान 26 जनवरी 1950 को सबकी सहमति से 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह से लागू किया गया था। लागू हो जाने के साथ ही भारत एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रीय गणतंत्रता प्राप्त कर लिया।
पहले गणतंत्र दिवस मनाने का उद्देश्य राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रीय अधिकारियों और विदेशी मेहमानों के सामने राष्ट्रीय संविधान को समर्पित करना था परन्तु इस समारोह को अब राष्ट्रीय राजपथ पर आयोजित किया जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित सविधान
भारत की स्वतंत्रता के बाद इस देश के लिए एक संविधान की भी जरूरत महसूस हुई। इसे देखते हुए और संविधान के निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए ही संविधान सभा का गठन किया गया। इस सभा ने भारत देश के संविधान बनाने का कार्य 09 दिसम्बर 1946 ई0 को शुरू किया। इस समय संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डाॅॉ राजेन्द्र प्रसाद थे। जबकि संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डाॅॉ भीमराव अंबेडकर थे। आपको बता दें डाॅॉ भीमराव अम्बेडकर जी नें भारत के संविधान के निर्माण में एक बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी जिसके कारण उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। हमारे भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधानों में से एक है। संविधान के पूरी तरह से बन जाने के बाद संविधान सभा में डाॅॉ राजेन्द्र प्रसाद को देश का संविधान सौंपा था। उसके बाद से ही 26 जनवरी 1950 ई0 को लागू हुए संविधान को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और इस पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान कहलाया जाने लगा।
भारत का संविधान लिखित और निर्मित संविधान है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी-अच्छी बातों को जगह दिया गया है। इस संविधान के निर्माण के लिए संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है तो मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान , मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ से तो राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड , संशोधन की प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से तो व्यस्क मताधिकार की व्यवस्था भी भारती संविधान में ही की गई है ऐसी ही बहुत सी खूबियाँ इस संविधान में हैं जिनको नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए संविधान में, जगह दी गई हैं इसलिए हमारे देश का संविधान पूरी दुनियाभर में अलग है।
26 जनवरी से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
☸ भारत में सविधान सभा के गठन का विचार मानवेन्द्र नाथ राय के द्वारा दिया गया।
☸ भारत के संविधान का निर्माण कैबिनेट मिशन योजना के रिपोर्ट के आधार पर किया गया।
संविधान सभा की कार्यविधि
☸ संविधान सभा की प्रथम बैठक 09 दिसम्बर 1946 को हुई जिसके अस्थायी अध्यक्ष डाॅ0 सच्चिदानन्द सिन्हा बनें।
☸ संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसम्बर 1946 को हुई जिसके स्थायी अध्यक्ष डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद बनें तथा हरिश्चन्द्र मुखर्जी इस बैठक के उपाध्यक्ष थे।
☸ संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के पद पर बी.एन. राव की नियुक्ति की गई परन्तु ये संविधान सभा के सदस्य नही थें।
☸ संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की कुल 114 दिन बैठक हुई । संविधान सभा में कुल महिला सदस्यों की संख्या 15 थी जबकि संविधान सभा की प्रथम बैठक में केवल 08 महिला ही शामिल थीं।
☸ डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद ने भीमराव अम्बेडकर को संविधान सभा का पायलट कहा है।
☸ के. वी. राव ने भीमराव अम्बेडकर को संविधान सभा की माता एवं पिता दोनों कहा है।
☸ आधुनिक भारत का मनु भीमराव अम्बेडकर को कहा जाता है।
☸ संविधान निर्माण में कुल 02 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा तथ लगभग 24 लाभ रूपये (63 लाख 97 हजार 729 रूपये) खर्च हुए।
☸ संविधान निर्माताओं ने संविधान निर्माण के लिए कुल 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया।
☸ संविधान सभा की अन्तिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई।
☸ 20 नवम्बर 1949 को संविधान के निर्माण कार्य पूरा हुआ और इसी दिन संविधान के 15 अनुच्छेद लागू कर दिये गये।
☸ भारत का संविधान पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इस समय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग थें।
☸ वर्तमान संविधान में 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग है।
☸ भारत का राष्ट्रध्वज 22 जुलाई 1947 तथा राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत 24 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
☸ संविधान सभा में संविधान पर कुल 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था।
☸ सर्वप्रथम महात्मा गाँधी ने कहा था कि भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा।