महात्मा गांधीजी की पुण्य तिथि के बारे में बात करे तो हिंदू धर्म में सभी भारतीयों के द्वारा यह दिन हमारे राष्ट्रीयता महात्मा गांधी जी के मृत्यु दिवस के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह विशेष दिन प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को मनाया जाता है। महात्मा गांधी जी सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे। उन्होंने अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवाने के लिए सत्य और अहिंसा अपनाकर जीत हासिल की थी। गांधी जी ने अहिंसा और असहिष्णुता के खिलाफ संघर्ष किया और अपने आंदोलनों को अशांति के बिना ही शांतिपूर्वक चलाने का प्रयास किया। उनका यही असीम प्रेम, संयम, त्याग, और विनम्रता और सरलता में ही वहाँ के लाखों लोगों को प्रभावित किया जिसके कारण उन्हें बापू के नाम से जाने लगा।
महात्मा गांधी जी के पुण्य तिथि पर सभी देशभक्त उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी स्मृति स्थलों पर जाते हैं। इस दिन धार्मिक स्थलों पर भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है तथा उनके संदेशों को याद करके उनका सम्मान किया जाता है। उनके जीवन के उदाहरणों से प्रेरणा लेकर उनके विचारों को अपने जीवन में अमल करने का प्रयास आज भी लोग करते हैं। भारतीय समाज में महात्मा गांधी जी के योगदान को याद करते उन्हें राष्ट्रपिता और गांधी जी के नाम से सम्मानित किया जाता है। वास्तव में गांधी जी के दिये गये आदर्शों और सिद्धान्तों को अपने जीवन में अमल करके हम एक समृद्ध, समरसता और शांतिपूर्वक और एक विकसित समाज का निर्माण भी कर सकते हैं।
30 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं शहीद दिवस
महात्मा गांधीजी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ था। इस दिन दिल्ली के राजघाट स्थित गाँधी जी की समाधि स्थल पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री सभी लोग स्वतंत्रता संग्राम में पहुँचकर गाँधी जी के योगदान की स्मृति में श्रद्धांजलि देते है साथ ही इस दिन देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को भी इस दिन सलामी दी जाती है। इसके अलावा देशभर में बापू की स्मृति और शहीदों के द्वारा दिये गये योगदान के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा जाता है।