इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार को प्रातः 07 बजकर 49 मिनट से प्रारम्भ हो रहा है। 50 वर्षों बार इस बाद एक अद्भुत संयोग बन रहा है इस दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होगा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होगा शनि अपनी स्वराशि कुंभ में होगा बृहस्पति स्वराशि कुंभ में होगा बृहस्पति स्वराशि मीन में होगा ज्योतिष के अनुसार इन 4 ग्रहों के अनुकूल स्थिति में होेने से इस दिन अद्भुत संयोग बन रहा है। अगर आपका लंबे समय से कोई कार्य रुका हुआ है तो ये दिन कार्य को करने के लिए बहुत शुभ है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस दिन को शुभ कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया का त्यौहार रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग के बीच मनाया जायेगा। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में होेंगे इसके अलावा 2 प्रमुख उच्च राशि में विराजमान होंगे। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि 50 वर्षों के बाद यह विशेष योग बन रहा है।
अक्षय तृतीया पर माता लक्ष्मी को कैसे करें प्रसन्न
अक्षय तृतीया पर्व को बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है मान्यता है कि यह इतना शुभ दिन होता है कि इसमें शुभ कार्यों को करने के लिए पंचांग देखने की जरुरत नही पड़ती है। यह पर्व धन की देवी लक्ष्मी जी से सम्बन्धित है। हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व दान-पुण्य के कर्म के लिहाज से बहुत उत्तम होता है।
अक्षय तृतीया पर करें दान
मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति जिसे मदद की जरुरत है। उसे देवता व पितरों के नाम से जल कुंभ, शक्कर, सतु, पंखा, छाता, फलादि का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करना शुभ फलदायी होता है। ऐसा करने से लक्ष्मी माता बहुत खुश होती है और भक्त के घर में मां लक्ष्मी की कृपा होती है।
माता लक्ष्मी के आगमन हेतु पितरों को करें प्रसन्न
आज के दिन देवता व पितरों के नाम से दान देने पर अक्षय पुण्य प्राप्त होता है साथ ही महालक्ष्मी प्रसन्न होती है इसी दिन अर्थात अक्षय तृतीया के दिन इस महा विद्या मे नवमी महाविद्या मातंगी देवी का प्रादृभाव हुआ था।
दूर होता है पितृ दोष
इस दिन पूजा करते समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए, इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पितृदोष निवारण के लिए पितरों को तर्पण देना बहुत लाभदायक होता है। इस दिन पितरों के नाम का पिण्डदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर-परिवार के कष्ट दूर होते है यदि आपके घर में पितृ दोष है तो पिण्डदान के अलावा पितरों को मुक्ति के लिए गीता के 7 वें अध्याय का पाठ करें और प्रभु नारायण से पितरों की मुक्ति की प्रार्थना करें।