हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का दिन बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। साधारण शब्दों में यदि कहें तो जो अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह अमावस्या तिथि वर्ष में दो बार पड़ती है। सभी विवाहित महिलाओं द्वारा यह व्रत अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है। सोमवार का दिन विशेष रूप से शिवजी की आराधना करने के लिए माना जाता है इसलिए भी इस दिन की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धा से की गई पूजा-अर्चना से पितृ दोष तथा कालसर्प दोष से पीड़ित जातको को भी महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं। जो महिलाएँ मासिक अमावस्या का किसी कारणवश व्रत नही रख पाती हैं उन्हें सोमवती अमावस्या के दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन किये गये व्रत से पूर्ण फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी अत्यधिक महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने के बाद उस वृक्ष पर 108 बार धागा लपेटते हुए भी परिक्रमा करनी चाहिए। सोमवार का दिन चन्द्रदेव का माना जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही एक सीध में रहते है इसलिए यह पर्व विशेष प्रकार के फलों को देने वाला माना जाता है। इस दिन के व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन करने से सभी महिला जातक को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही शिव जी कि विशेष कृपा भी इन पर बनी रहती है।
सोमवती अमावस्या से जुड़ी हुई कथा
☸ सोमवती अमावस्या के दिन पूजा करने के दौरान सोमवती अमावस्या से जुड़ी हुई व्रत, कथा सुनने का भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्था कथा के अनुसार-
☸ एक गरीब ब्राह्मण परिवार था उसकी एक पुत्री थी जो धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी और वह विवाह योग्य हो गई थी। वह बहुत सुंदर, गुणी और संस्कारी भी थी परन्तु ब्राह्मण के गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।
☸ एक दिन उस ब्राह्मण के घर में एक योग्य साधु का आगमन हुआ ब्राह्मण की पुत्री के सेवा-भाव से प्रसन्न होकर उस योग्य साधु ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया और ब्राह्मण से कहा कि तुम्हारी पुत्री की हथेली में कोई विवाह रेखा नहीं है। यह सुनते ही ब्राह्मण ने उस साधु से कन्या के विवाह होने का उपाय पूछा, कि आप ही कुछ ऐसा उपाय बताइये जिससे मेरी पुत्री के विवकाह का योग बन जायें।
☸ उसके बाद उस योग्य साधु ने बहुत सोच विचार करके अपनी अंर्तदृष्टि से ध्यान करते हुए बताया कि दूर के गाँव में एक सोना नाम की धोबिन औरत रहती है। वह एक सच्ची पतिव्रता स्त्री है। तुम अपनी पुत्री को उसकी सेवा करने के लिए भेजो, वह स्त्री अपनी मांग का सिंदूर जब तुम्हारी पुत्री को लगाएगी तो इसका जीवन भी हमेशा के लिए सँवर जायेगा।
☸ उस गरीब ब्राह्मण ने अगले ही दिन अपनी पुत्री को उस धोबिन के यहाँ उसकी सेवा के लिए भेज दिया। वह घोबिन अपने बेटे और बहु के साथ रहती थी। ब्राह्मण की बेटी सुबह जल्दी जगकर धोबीन के घर के सारे काम करके आ जाती थी। धोबिन यह सोचने लगी कि उसकी बहु इतनी जल्दी काम करके फिर कैसे सो जाती है। अपने इसी शंका के कारण अगले दिन धोबीन ने छिपकर देखा, जब ब्राह्मण की बेटी उसके घर आई तो उस घोबिन ने उसे पकड़ लिया, धोबिन के पूछने पर उस ब्राह्मण की पुत्री ने उसे अपनी सारी बात बताई।
☸ उसकी सारी बातें सुनकर धोबिन खुश हुई और अपने मांग का सिंदूर उस पुत्री को लगा दिया, धोबिन के सिंदूर लगाते है उसके पति ने अपने प्राण त्याग दिए। इस दिन सोमवती अमावस्या का दिन था। पति की मृत्यु के बाद वह धोबिन तुरंत पीपल के वृक्ष के पास गई परन्तु वृक्ष की परिक्रमा करने के लिए कोई भी सामान नहीं था इसलिए वह वहाँ पड़ें ईट के टुकड़े लेकर ही पीपल वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने लगी परिक्रमा पूरी हो जाने के बाद उसके पति में जान आ गई।
☸ इस दिन के बाद से ही सभी विवाहित महिलाओं के लिए सोमवती अमावस्या के दिन को अपने पति की लम्बी आयु के लिए सर्वश्रेष्ठ महत्व माना जाने लगा। कुछ समय बीत जाने के बाद उस ब्राह्मण की कन्या का विवाह अच्छे जगह हो गया और सुखी जीवन व्यतीत करने लगी।
सोमवती अमावस्या के दिन की पूजा विधिः-
☸ सोमवती अमावस्था के दिन प्रातः काल उठकर अपने आप को साफ-सफाई करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
☸ इस अमावस्या के दिन सुबह से ही मौन रहकर किसी भी पवित्र नदी या जलाशय में स्नानादि करने का विशेष महत्व होता है इससे पितरों को भी विशेष सुख शांति की प्राप्ति होती है।
☸ इस दिन सूर्यदेव और तुलसी माँ को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्रों का जाप करना चाहिए साथ ही तुलसी या पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करके शिवलिंग पर भी जल अर्पित करना चाहिए।
☸ उसके बाद सोमवती अमावस्या के दिन गौ माता को दही और चावल अवश्य खिलाना चाहिए।
☸ इसके अलावा हो सके तो इस पूरे दिन मौन व्रत धारण करके ही रहना चाहिए।
☸ पीपल के वृक्ष के समक्ष तुलसी का वृक्ष रखकर उस पर दूध, दही, चन्दन, हल्दी, रोली, फूल और माला तथा काला तिल इत्यादि अर्पित करना चाहिए।
☸ एक पान का पत्ता लेकर उस पर हल्दी की गांठ और धान रखकर तुलसी के वृक्ष पर अर्पित करना चाहिए।
☸ उसके बाद पीपल के वृक्ष पर रक्षासूत्र या धागा लपेटते हुए अपनी मनोकामनाएँ माँगते हुए वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए।
☸ अन्त में आरती करके भोग लगाकर पूजा की समाप्ति करनी चाहिए।
☸ अपने पितरों को भी भोग अर्पण करने के लिए पूरी, खीर और आलू की सब्जी इत्यादि बनाना चाहिए।
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
कृष्ण अमावस्या प्रारम्भः- 08 अप्रैल 2024 मध्यरात्रि 03ः21 मिनट से,
कृष्ण अमावस्या समाप्तः 8 अप्रैल 2024 रात्रि 11ः50 मिनट पर।