न्दू पंचाग के अनुसार एक वर्ष मे दो बार पुत्रदा एकादशी आती है। पहली पुत्रदा एकादशी पौष माह मे तथा दूसरी पुत्रदा एकादशी सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। श्पुत्रदाश् शब्द का अर्थ है पुत्र प्रदान करने वाला। भारत के कई प्रदेशों मे इसे पवित्रोपना एकादशी तथा पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगो की संतान नही है तथा संतान से सम्बन्धित कोई परेशानी बन रही हो तो यह व्रत आपको शुभ फल प्राप्त करता है तथा संतान को किसी प्रकार का कष्ट हो उसे भी दूर करने के लिए यह व्रत उपयोगी होता है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लम्बी होती है। इस व्रत का प्रमुख उद्देश्य पुत्र प्राप्ति करना है। इस व्रत का उल्लेख पद्म पुराण मे किया गया है। व्रत का पालन करने से धन-धान्य के साथ-साथ ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा एवं व्रत विधिः-
☸सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें एवं स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ इसके पश्चात भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
☸ भगवान विष्णु जी की पूजा मे तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें।
☸ व्रत के दिन निराहार रहें और शाम मे पूजा करने के पश्चात फल ग्रहण कर सकते है।
☸ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
☸ श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बहुत बड़ा महत्व है। जागरण मे भजन कीर्तन करें।
☸ एकादशी तिथि के अगले दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद उन्हें दान दक्षिणा दें, उसके पश्चात ही व्रत का पारण करें।
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्तः-
एकादशी तिथि का प्रारम्भः- 07 अगस्त 2022 को रात्रि 11ः50 से
एकादशी तिथि का समापनः- 08 अगस्त 2022 को रात्रि 09ः00 बजे तक