गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) 2023)

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के दिन पड़ने वाले इस त्योहार को गुड़ी पड़वा, वर्ष प्रतिपदा या युगादि कहा जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है और इसी दिन से ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती हैं इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि करने के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर में एक सुन्दर गुडी लगाती हैं और उसका पूजन करती हैं। गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ के दृष्टिकोण से भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन घर में खास तरह के पकवान बनाये जाते है जैसे श्रीखंड, पूरनपोली, खीर आदि। इस दिन खाली पेट पूरन पोली का सेवन करने से बहुत से लोगों की चर्म रोग से सम्बन्धित समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्मा जी ने पूरी सृष्टि का निर्माण किया था।

गुड़ी पड़वा व्रत कथाः-

दक्षिण भारत में मनाये जाने वाले इस लोकप्रिय पर्व की लोकप्रियता को इससे जुड़ी हुई कथाओं से समझा जा सकता है। आपको बता दें जब दक्षिण भारत के क्षेत्र में रामायण काल मे बलि का शासन हुआ करता था, और जब भगवान श्री राम को यह बात पता चली की लंकापति रावण माता सीता का हरण करके ले गये हैं तो उन्हें वापस लाने के लिए तथा रावण की सेना से युद्ध करने के लिए एक सेना की आवश्यकता थी। दक्षिण भारत में आने के बाद भगवान श्री राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई, सुग्रीव ने बलि के कुशासन से अवगत कराते हुए असमर्थता जाहिर की तभी भगवान श्री राम जी ने बलि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उनसे मुक्त करवाया था और मान्यताओं के अनुसार इस दिन संयोगवश चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन था इसी कारण से शायद इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।

एक और प्राचीन कथा के अनुसार गुड़ी पड़वा का यह पर्व शालिवाहन के साथ भी जुड़ी हुई है इस दिन शालिवाहन नामक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की एक सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिये और इन्हीं सेनाओं की मदद से सारे दुश्मनों को पराजित किया था। इसी दिन से शालिवाहन शक का आरम्भ भी माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरो की सफाई कर रंगोली और बंदनवार से अपने घर के आंगन और द्वार को अच्छे से सजाते है, घर के आगे एक गुड़ी यानि झंडा रखा जाता है और इसी में एक बर्तन पर स्वास्तिक चिन्ह बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेटकर रखा जाता है। इस दिन पारम्परिक वस्त्र पहने जाते है साथ ही सूर्यदेव की आराधन भी की जाती है। गुड़ी पडवा के दिन कुछ लोग अपने घरों में सुंदरकाण्ड, रामरक्षा स्त्रोत तथा देवी भगवती के मंत्रों का जाप भी करवाते है।

गुड़ी पड़वा पूजा विधिः-

☸गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
☸मुख्य द्वार को आम के पत्तों से सजायें।
☸अपने घर के किसी भी हिस्से में गुड़ी लगायें तथा आम के पत्तों, पुष्प और कपड़ो इत्यादि से श्रृंगार करें।
☸भगवान ब्रह्मा की पूजा अर्चना करें और गुड़ी फहराते रहें।
☸गुड़ी फहराने के पश्चात भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें।

गुड़ी पड़वा शुभ तिथि शुभ मुहूर्तः-

गुड़ी पड़वा का यह पर्व 22 मार्च 2023 को मनाया जायेगा।
गुड़ी पड़वा प्रतिपदा तिथि प्रारम्भः 21 मार्च 2023 (मंगलवार रात) 10ः52 मिनट से,
गुड़ी पड़वा प्रतिपदा तिथि समाप्तः 22 मार्च 2023, (बुधवार) रात 8ः20 मिनट तक।

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