Maa Brahmacharini 2024: इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जानें मंत्र एवं भोग

Maa Brahmacharini 2024: इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जानें मंत्र एवं भोग

शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन 4 अक्टूबर 2024 को माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की पूजा होगी। माँ ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा की दूसरी स्वरूप हैं और उन्हें तप और साधना की देवी माना जाता है। यह दिन देवी पार्वती के अविवाहित स्वरूप का प्रतीक है और माँ का प्रिय पुष्प गुलदाउदी है।

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माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) का अर्थ और महत्व:

ब्रह्मचारिणी का नाम संस्कृत के दो शब्दों ‘ब्रह्म’ और ‘चारिणी’ से मिलकर बना है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है पूर्ण वास्तविकता और सर्वोच्च चेतना, जबकि ‘चारिणी’ का अर्थ है आचार या व्यवहार करने वाली। माँ ने भगवान शिव को पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव की पत्नी बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इसी कारण माँ को शक्ति और सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

पूजा विधि

पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर निम्न कार्य करें।

एक चौकी पर गंगाजल छिड़कें और माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

माँ को फूल, फल और वस्त्र अर्पित करें। विशेष रूप से सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करना न भूलें।

नवरात्रि के दूसरे दिन माता को केसर का खीर, हलवा या चीनी का भोग लगाएं। माँ को दूध से बनी मिठाइयाँ भी बेहद प्रिय हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी का प्रिय मंत्र

मंत्र:

दधाना कर पदमाभ्यामक्षमालाकमण्डलु

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिणी रुपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

स्तोत्र पाठ:

तपश्रारिणी त्वहि तापत्रय निवारणीम्

ब्रह्मरुपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्

ब्रह्माचारिणी देवी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

पूजा के फल

माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की आराधना करने से भक्तों को मानसिक शांति, ज्ञान, पराक्रम और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिन जातकों को नकारात्मक ऊर्जा का भय रहता है, उन्हें माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से सुरक्षा मिलती है। विशेष रूप से विद्यार्थी जो मेडिकल क्षेत्र में हैं, उन्हें माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नवरात्रि के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:

नवरात्रि व्रत के दौरान दिन में सोना नहीं चाहिए।

फल खाने पर उसे एक बार में ही समाप्त करें, बारबार नहीं।

नवरात्रि में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

बेल्ट, चप्पलजूते, बैग आदि चमड़े की वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना से माँ की अपार कृपा मिलती है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में सहायक होती है। इसलिए इस नवरात्रि माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना अवश्य करें और उनके आशीर्वाद का लाभ उठाएं।

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माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की विस्तृत कथा

माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की कथा देवी पार्वती के पहले अवतार से जुड़ी हुई है, जो अपने प्रेम और तपस्या के लिए जानी जाती हैं। उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे प्रेम और समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। आइए, इस कथा को विस्तार से जानते हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी का जन्म हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती के घर हुआ। वह देवी सती के रूप में पुनर्जन्म लेती हैं, जो भगवान शिव की पहली पत्नी थीं। पार्वती के जन्म के साथ ही यह संकेत मिलता है कि उनका भाग्य भगवान शिव के साथ जुड़ा हुआ है। पार्वती जब युवा हुईं, तो उन्होंने अपने मन में शिव जी को अपना पति मान लिया। उन्होंने अपने पूर्वजन्म के संबंध को समझा और अपने सच्चे प्रेम के लिए तपस्या करने का निश्चय किया। पार्वती ने भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करने के लिए कठोर तप करने का निर्णय लिया।

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कठोर तपस्या

पार्वती ने तपस्या की कठिनाइयों का सामना करते हुए संकल्प लिया कि वह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करेंगी। उन्होंने अन्नजल का सेवन नहीं किया और केवल बेलपत्र का सेवन किया। तपस्या के दौरान पार्वती ने न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक पीड़ा का भी सामना किया।

भीषण ठंड: तपस्या के दौरान पार्वती ने हिमालय की ठंडी रातों में ठंड का सामना किया।

सूर्य की प्रचंड गर्मी: तपस्या के दौरान दिन के समय सूर्य की तीव्र गर्मी में भी उन्होंने अपनी तपस्या को जारी रखा।

वर्षा की कठिनाई: मूसलधार बारिश में भी उन्होंने अपनी साधना को नहीं छोड़ा।

पार्वती की कठोर तपस्या के परिणामस्वरूप, उनके मन में भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति बढ़ती गई। उनकी तपस्या इतनी कठिन थी कि उन्होंने अपने जीवन की प्राथमिकताओं को त्याग दिया और केवल भगवान शिव को पाने का संकल्प लिया।

देवताओं की प्रार्थना

पार्वती की इस कठोर तपस्या को देखकर देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे पार्वती की तपस्या को स्वीकार करें। भगवान शिव, जो पहले से ही सती की मृत्यु के कारण दुखी थे, ने पार्वती की तपस्या की गंभीरता को समझा और उन्हें दर्शन देने का निश्चय किया।

शिव जी का दर्शन

भगवान शिव ने पार्वती की तपस्या से प्रभावित होकर उन्हें दर्शन दिए। उन्होंने पार्वती से कहा, “तुम्हारी तपस्या और भक्ति ने मुझे प्रसन्न कर दिया है। मैं तुम्हें अपने अंश के रूप में स्वीकार करता हूँ।” इस प्रकार भगवान शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रेरणादायक है। उन्हें ज्ञान, तप और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। वे देवी पार्वती के अविवाहित स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी का नाम संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: “ब्रह्म” (पूर्णता) और “चारिणी” (आचरण करने वाली)। यह दर्शाता है कि वे सच्चाई और तप का आदर्श रूप हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini 2024) की पूजा का महत्व

नवरात्रि के दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन उनकी आराधना से साधक को शक्ति और तपस्या का फल मिलता है। उनकी पूजा से मनुष्य को आत्मसंयम, ध्यान और भक्ति की शक्ति प्राप्त होती है।

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पुजन विधि:

भक्त को प्रातः स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।

एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर माँ की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

माँ को फूल, फल और विशेष रूप से सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें।

माँ को दूध से बनी मिठाई, जैसे खीर, हलवा और कच्चे केले की बर्फी का भोग अर्पित करें।

तपस्या का फल

माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से भक्तों को ज्ञान, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। विशेष रूप से, छात्रों और करियर में सफलता की कामना करने वालों के लिए माँ की आराधना अत्यंत लाभकारी होती है। उनकी कृपा से व्यक्ति मानसिक परेशानियों से मुक्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है।

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उपसंहार

इस प्रकार माँ ब्रह्मचारिणी की कथा हमें सिखाती है कि तपस्या और भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन सच्चे प्रेम और समर्पण से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उनकी पूजा से हमें शक्ति, ज्ञान और सकारात्मकता प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन को दिशा और उद्देश्य प्रदान करती है। माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है।

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