Navratri 8th day- Maa Mahagauri की पूजा

Navratri 8th day- Maa Mahagauri की पूजा

ऐसे करें मां दुर्गा की आठवीं शक्ति मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा- मां महागौरी (Maa Mahagauri), मां दुर्गा की आठवीं शक्ति हैं और नवरात्रि के आठवें दिन उनकी पूजा की जाती है। उनका रंग गौरा होने के कारण उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। मां महागौरी के हाथों में त्रिशूल, डमरु, अभय मुद्रा और वर मुद्रा होती है और उनका वाहन बैल है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां महागौरी (Maa Mahagauri) ने कठिन तपस्या के बाद गौर वर्ण प्राप्त किया था। उन्हें धन और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली, त्रैलोक्य में पूजनीय और शारीरिक, मानसिक तथा सांसारिक ताप का नाश करने वाली देवी माना जाता है। मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा करने से मन की पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे सभी पाप धुल जाते हैं और मन तथा शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाते हैं। उनकी आराधना से अपवित्र और अनैतिक विचारों का नाश होता है, मन की एकाग्रता बढ़ती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) का स्वरूप

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मां महागौरी (Maa Mahagauri) का वर्ण श्वेत यानी सफेद है, और उनके वस्त्र तथा आभूषण भी सफेद होते हैं। उनका वाहन वृषभ (बैल) है, जो भगवान शिव का भी वाहन है। उनके दाहिने हाथ में अभयमुद्रा है, जो भयमुक्ति का प्रतीक है, और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है, जो दुर्गा शक्ति का प्रतीक है। उनके अन्य हाथ में डमरू है, जो शिव का प्रतीक है। डमरू धारण करने के कारण ही उन्हें शिवा के नाम से भी जाना जाता है। मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा करने वाले भक्तों को मां अभय प्रदान करती हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। देवी की शांत मुद्रा में पूजा करने से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की महिमा

देवी भगवत पुराण में बताया गया है कि देवी मां के नौ रूप और दस महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में मां महागौरी (Maa Mahagauri) सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अत्यंत अमोघ और शीघ्र फलदायिनी है। महागौरी की (Maa Mahagauri) पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति अक्षय पुण्य का अधिकारी बनता है। नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन अधिकतर घरों में कन्या पूजन होता है, जबकि कुछ लोग नवमी तिथि को भी कन्या पूजन करते हैं।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की तपस्या

शिवपुराण के अनुसार, मां महागौरी को आठ वर्ष की आयु में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास होने लगा था। उन्होंने इस उम्र में ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया और उन्हें पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या आरंभ कर दी। इसी कारण अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा का विधान है। इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। जो लोग नवरात्रि के नौ दिन का व्रत नहीं रख पाते, वे पहले और आठवें दिन का व्रत कर पूरे नौ दिन का फल प्राप्त कर सकते हैं।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की कथा

देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। इस दौरान उन्होंने केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार किया, और बाद में केवल वायु पीकर तप करने लगीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जब देवी गंगा में स्नान करने गईं, तब उनका एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ, जिसे कौशिकी कहा गया। दूसरा स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान था, जिसे महागौरी (Maa Mahagauri) कहा गया। मां महागौरी (Maa Mahagauri) अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा करने से समस्त संकटों का हरण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। मां की कृपा से जीवन के समस्त दुख और कष्ट समाप्त होते हैं, और भक्त को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा

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नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा की तैयारी करें। सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। मां महागौरी को प्रसन्न करने के लिए “ॐ देवी महागौर्ये नमः” मंत्र का जाप करें, इससे मां आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी।

मां को लाल चुनरी अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है, खासकर कन्या पूजन करने वाले भक्तों को कन्याओं को भी लाल चुनरी अर्पित करनी चाहिए।

एक चौकी पर लाल आसन बिछाकर मां की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और साथ ही मां दुर्गा का यंत्र भी रखें। मां की मूर्ति पर सिंदूर और चावल अर्पित करें, फिर सफेद फूल हाथ में लेकर मां का ध्यान करें और फूलों को मां को अर्पित करें। पूजा विधिपूर्वक करने के बाद मां की आरती करें और उन्हें नारियल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं। नारियल का प्रसाद सभी भक्तों में बांटें और ब्राह्मणों को दान भी करें। अष्टमी के दिन जो लोग कन्या पूजन करते हैं, उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है।  

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा से भक्तों को अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। मां की आराधना से रुके हुए काम पूरे होते हैं और जीवन में कोई दुख, कष्ट या परेशानी नहीं आती है। मां की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि कोई सुहागिन महिला नवरात्रि के इस दिन मां को लाल चुनरी अर्पित करती है तो उसके सुहाग की उम्र लंबी होती है और घर में सदैव खुशियां बनी रहती हैं।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की प्रार्थना करते समय “श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा।।” मंत्र का जाप करें।

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अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिन्हें मां का ही स्वरूप माना जाता है। सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें हलवा, पूड़ी, काले चने का भोग लगाएं। कन्याओं को लाल चुनरी भी अर्पित करें।

नवरात्रि के आठवें दिन पूजा-अर्चना से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की परेशानियों का अंत होता है। इस दिन विशेष उपाय जैसे यश, व्रत, कन्या भोज, संधि पूजा आदि से मां को प्रसन्न किया जाता है। मां को लाल चुनरी अर्पित कर, किसी मंदिर में लाल ध्वजा का दान करके भी मां की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि ग्रह का प्रभाव होता है, इसलिए यदि आप शनि ग्रह से पीड़ित हैं तो इस दिन मां महागौरी (Maa Mahagauri) की विधिपूर्वक पूजा करें।

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की प्रार्थना

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

मां महागौरी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां महागौरी (Maa Mahagauri) का मंत्र

माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

ओम देवी महागौर्यै नमः।

महागौरी मां का बीज मंत्र

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

महागौरी मां की स्तुति

सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

गौरवर्णा देवी शुभप्रदा, सर्वकामां पूरये सदा

मां महागौरी (Maa Mahagauri) की आरती

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा भवानी जय महामाया।

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहां निवासा।

चंद्रकली और ममता अम्बे।

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।

भीमा देवी विमला मां ।

कौशिकी देवी जग विख्याता।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

माँ महागौरी (Maa Mahagauri) का भोग

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माँ महागौरी (Maa Mahagauri) को नारियल का भोग अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि अष्टमी के दिन माँ महागौरी (Maa Mahagauri) को नारियल का भोग अर्पित करने से भक्त को सुख, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से निःसंतान महिलाओं के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अष्टमी के दिन ब्राह्मणों को नारियल दान करने से माँ महागौरी (Maa Mahagauri) निःसंतानों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।

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माँ महागौरी (Maa Mahagauri) की कृपा से असंभव कार्य भी संभव

माँ महागौरी (Maa Mahagauri) की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। उनकी कृपा से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माँ महागौरी की पूजा से भक्त को हर प्रकार के संकटों और कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है।

 

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