गणगौर व्रत 2025: महत्व, कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गणगौर व्रत 2025: महत्व, कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गणगौर व्रत, जिसे 31 मार्च 2025 को मनाया जाएगा, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो वैवाहिक सुख, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। यह त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसका महत्व पूरे भारत में है। यह देवी पार्वती (गौरी) और भगवान शिव को समर्पित है, जो समृद्धि, वैवाहिक सामंजस्य और स्त्रीत्व के प्रतीक हैं।

गणगौर व्रत का महत्व

गणगौर भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है। विवाहित महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु और कुशलता के लिए इस व्रत का पालन करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं अपने लिए आदर्श जीवनसाथी की प्रार्थना करती हैं। यह त्योहार प्रेम की ताकत और रिश्तों में भक्ति के महत्व को दर्शाता है।

गणगौर शब्द की उत्पत्ति:

  • गण: भगवान शिव को संदर्भित करता है।
  • गौर: देवी पार्वती को संदर्भित करता है।

यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन को भी दर्शाता है, जो जीवन में नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है।

पौराणिक कथा:

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपनी शादी के बाद देवी पार्वती गणगौर उत्सव के दौरान अपने मायके लौट आईं। गांव की महिलाओं ने उनका भव्य स्वागत किया और अपनी भक्ति व्यक्त की। बदले में, पार्वती ने उन्हें वैवाहिक सुख और समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

एक अन्य कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अपनी भक्तों की भक्ति की परीक्षा ली। उन्होंने एक साधारण महिला का वेश धारण कर गांव की महिलाओं का आतिथ्य देखा। जो महिलाएं निःस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करती थीं, उन्हें देवी ने सुख और समृद्धि का वरदान दिया।

अभी जॉइन करें हमारा WhatsApp चैनल और पाएं समाधान, बिल्कुल मुफ्त!

कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 1

Join WhatsApp Channel

 

हमारे ऐप को डाउनलोड करें और तुरंत पाएं समाधान!

Download the KUNDALI EXPERT App

कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 2कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 3

हमारी वेबसाइट पर विजिट करें और अधिक जानकारी पाएं

संपर्क करें: 9818318303

गणगौर पूजा विधि

  1. तैयारी (पूर्व-उत्सव):
  • महिलाएं मिट्टी से बने भगवान शिव और देवी गौरी की प्रतिमाओं को सजाने का कार्य कुछ दिन पहले से शुरू कर देती हैं।
  • त्योहार के दिन महिलाएं पारंपरिक परिधान, जैसे कि रंगीन लहंगा-चोली या साड़ी पहनती हैं।
  1. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
  • भगवान शिव और गौरी की मिट्टी की प्रतिमाएं।
  • फूल (गेंदे और गुलाब)।
  • कलश (आम के पत्ते और नारियल सहित)।
  • हल्दी, कुमकुम, मेहंदी और चूड़ियां।
  • मौसमी फल और मिठाई (विशेष रूप से घेवर)।
  1. पूजा के चरण:
  • प्रातःकालीन विधि: महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पारंपरिक वस्त्र धारण करती हैं। प्रतिमाओं को साफ चौकी पर रखकर फूलों से सजाया जाता है।
  • व्रत का पालन: महिलाएं सख्त व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाएं फल या दूध ग्रहण करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं प्रायः निर्जल व्रत (पानी के बिना) रखती हैं।
  • देवी को अर्पण: हल्दी, कुमकुम, चूड़ियां और मेहंदी देवी पार्वती को अर्पित की जाती हैं। भक्त देवी-देवताओं की स्तुति में मंत्र जपते हैं और लोक गीत गाते हैं।
  • शाम की शोभायात्रा: कई क्षेत्रों में, गौरी और शिव की प्रतिमाओं को भव्य शोभायात्रा में निकाला जाता है। महिलाएं सिर पर जलते हुए दीयों से सजी मटकी रखकर नृत्य और गीत करती हैं।
  1. व्रत का समापन:

पूजा समाप्त होने के बाद, महिलाएं प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत खोलती हैं और इसे परिवार के सदस्यों के साथ साझा करती हैं।

गणगौर पूजा के शुभ मुहूर्त (31 मार्च 2025)

गणगौर पूजा सोमवार, 31 मार्च 2025 को मनाई जाएगी।

  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 31 मार्च 2025 को सुबह 9:11 बजे।
  • तृतीया तिथि समाप्त: 1 अप्रैल 2025 को सुबह 5:42 बजे।

पूजा को प्रातःकाल में करना अत्यधिक शुभ माना गया है।

उत्सव और क्षेत्रीय परंपराएं

  1. राजस्थान:
  • जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों में भव्य शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं। सजे हुए ऊंट, हाथी और लोक नर्तक उत्सव का हिस्सा होते हैं।
  • महिलाएं दीयों से सजी मटकी लेकर पारंपरिक गणगौर गीत गाती हैं।
  1. गुजरात और मध्य प्रदेश:
  • यहां भी इसी प्रकार की परंपराओं के साथ उत्सव मनाया जाता है। अविवाहित महिलाएं समूह बनाकर लोक गीत गाती हैं और हाथों में मेहंदी सजाती हैं।
  1. लोकगीत और नृत्य:
  • “ईसर जी को जामण” और “गोर गोर गोमती” जैसे गीत गाए जाते हैं। महिलाएं गूमर नृत्य के माध्यम से उत्सव का आनंद लेती हैं।

गणगौर व्रत के आध्यात्मिक लाभ

  1. विवाहित महिलाओं के लिए:
  • उनके पतियों की दीर्घायु और स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है।
  • वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और परिवार में खुशी लाता है।
  1. अविवाहित महिलाओं के लिए:
  • उन्हें आदर्श जीवनसाथी प्राप्त करने में मदद करता है।
  • देवी पार्वती का आशीर्वाद उनके लिए समृद्ध वैवाहिक जीवन सुनिश्चित करता है।
  1. सामान्य लाभ:
  • भक्ति और कृतज्ञता की भावना को बढ़ावा देता है।
  • जीवन में नई शुरुआत और प्रेम व सद्गुण की विजय का प्रतीक है।

निष्कर्ष

गणगौर व्रत केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि प्रेम, भक्ति और एकता का उत्सव है। यह हमें विश्वास, धैर्य और कृतज्ञता के गुणों की याद दिलाता है। सच्ची श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करके और पूजा विधियों को संपन्न करके, भक्त देवी पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

इस गणगौर पर देवी-देवता सभी भक्तों को प्रेम, खुशी और समृद्धि का आशीर्वाद दें।

 

83 Views
× How can I help you?