आखिर क्यों लिपटा रहता है भगवान शिव के गले में नाग

भगवान भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा गया है और उनकी महिमा सबसे निराली हैं। सभी देवी देवताओं की अपेक्षा उनके वस्त्र भी अलग है। महादेव अपने शरीर पर बाघ की खाल धारण करते हैं तथा उनका सबसे बड़ा श्रृंगार है उनके गले मे लिपटा नाग परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान के गले में सदैव नाम क्यों लिपटा रहा है उसका रहस्य क्या है? जो नाग गले में लिपटा है आखिर वह कौन है तो आज हम अपने लेख द्वारा भगवान शिव के गले मे लिपट नाग का रहस्य जानेंगे।

भगवान के गले में नाग लिपटने के कई कथाएं प्रचलित है, जिसमें एक प्रचलित कथा के अनुसार भगवान भोलेनाथ के गले में लिपटा नाग भगवान शिव के परम भक्त वासुकी है। एक समय की बात हैं राजा वासुकी भगवान भोलेनाथ के सबसे बड़े भक्त थे और नाग जाति ने ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा की शुरूआत की थी। जब वासुकी से प्रसन्न होकर शिव जी ने वरदान मागने के लिए कहा तब वासुकी नागराज ने कहा हें भगवान आप मुझे अपने गणो में शामिल कर लें ताकि मैं भी आपकी सेवा आपके के साथ रहकर कर सकू तब शिव जी ने उन्हे अपने गले में लिपटे रहने का वरदान दिया।

एक अन्य कथा के अनुसार

कई मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब वासुदेव कान्हा को कंस की जेल से निकालकर चुपचाप गोकुल ले जा रहे थें तब तेज बारिश और यमुना की तुफान से वासुकी नाग ने हीं उनकी रक्षा की थी तथा समुंद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को ही रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। जिसके कारण वासुदेव का शरीर घायल हो गया था और जब भगवान शिव का विष पीना पड़ा तो उनके साथ वासुकी और कई नागों ने भी विष पिया था तथा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वासुकी के सिर पर ही नागमणि है। भगवान शंकर वासुकी से अपने सवारी नंदी की तरह ही प्रेम रखते हैं।

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भगवान शिव सबसे दयालु देवताओं में से एक माने जाते हैं वह जितना जल्दी क्रोधित हो जाते है उतने ही शिध्रता से शांत भी हो जाते है।

भोलेनाथ की कृपा भक्तों पर ही देवी-देवताओं सभी पर देखने को मिलती है। उन्होंने वन्य जीवन तक की रक्षा की है।

 

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