जानिए देवी-देवताओं के कारक

हमारे हिन्दू धर्म में प्रमुख तीन देवताओं को श्रेष्ठ माना गया है जिन्हें त्रिदेव कहा जाता है तथा 3 देवियों को भी प्रमुखता मिली है।

त्रिदेवः- ब्रह्मा, विष्णु, महेश
त्रिदेवियाँः- ब्रह्मणी, लक्ष्मी, पार्वती

ब्रह्मा के कारक ग्रहः- केतु, सुबह का सूर्य, बुध + केतु, गुरु + केतु

विष्णु जी के कारक ग्रहः- बुध एवं शाम का सूर्य, कई बार शुक्र को भी माना जाता है क्योंकि शुक्र लक्ष्मी है और लक्ष्मी जी विष्णु जी की पत्नी है।

महेश अर्थात शिव जी के कारक ग्रहः- शनि, शनि + केतु, मंगल को भी शिव रुप में माना जाता है (तांड़व रुप), राहु क्योंकि शिव जी को सर्प अत्यन्त प्रिय है और हमेशा उनके गले में लिपटे रहते है।

देवियों के कारक ग्रह

ब्रह्मणी को सरस्वती माता भी कहा जाता है। उनका कारक ग्रह बुध और केतु है।
लक्ष्मी जी का कारक ग्रह बुध एवं शुक्र है।

पार्वती जी का कारक ग्रह चन्द्रमा, शनि + चन्द्र (अर्ध नारीश्वर), मंगल-शक्ति स्वरुपनि, चन्द्र + मंगल- जगत जननी।

विशेषः- सूर्य को भी ईश्वर अंश माना जाता है।

इन सभी ग्रहों का उपयोग बहुत ही सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि राशि भाव के अनुसार देवताओं के रुप बदलते रहते है। जो युति पुरुष राशि मे होगी वह पुरुष देवता का स्वरुप होगा तथा जो युति स्त्री राशि में होगी वह देवी का स्वरुप होगा।

उदाहरणः- यदि शनि + चन्द्र को स्त्री राशि या भाव में मंगल की दृष्टि या संबंध हो तो पार्वती जी महाशक्ति के रुप में होगी तथा पुरुष राशि या भाव में तांडव करते हुए शिव जी भैरव रुप में होंगे।
इसी प्रकार गुरु केतु की युति संबंध हो तो गणेश रुप बनता है परन्तु यह रुप पुरुष भाव में ज्यादा होता है।

देवताओं एवं इष्ट देव की गणना

☸प्रत्येक जातकों की कुण्डली के अनुसार उनके इष्ट देवता अलग-अलग है तो किस देव की पूजा करना आपके लिए श्रेष्ठ हैं उसके कुछ योग इस प्रकार है

☸यदि ये योग गोचर में भी बन रहें हो तो उस समय पूजा का विशेष लाभ मिलता है।

☸यदि शनि, चन्द्रमा और सूर्य देव की युति हो तो चन्द्र केसरी पूजा मंत्र कवच, नवग्रह जाप होम, सोमेश्वर तथा महामृत्युंजय का पाठ करें।

☸जब शनि, चन्द्रमा एवं मंगल की युति हो तो विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें, बुध की राशि में काली देवी की आराधना करें।

☸जब शनि, चन्द्रमा और बुध की युति हो तो दुर्गा देवी की आराधना करें तथा विष्णु तीर्थ पर जाएं ।

☸ज्ब शनि, चन्द्रमा और गुरु की युति हो तो गुरु गंगाधर योग निर्माण होगा। बृहदेश्वरी की आराधना करें।

☸जब शनि, चन्द्रमा और राहु की युति हो तो महाकाली एवं शिवलिंग की आराधना करें।

☸यदि शनि, चन्द्रमा और केतु की युति हो तो जातक स्वयं गुप्त विद्याओं का ज्ञाता होगा तथा पानी वाले तीर्थ स्नान, पवित्र पुण्य लाभ प्रदान करेंगे।

☸यदि सूर्य, शनि और केतु की युति हो तो गणेश जी एवं सत्य नारायण की पूजा करें।

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